शासन व्यवस्था
प्रीलिम्स फैक्ट्स : 18 जून, 2018
- 18 Jun 2018
- 9 min read
स्वच्छ आइकॉनिक स्थल चरण-III
चर्चा में क्यों?
स्वच्छ भारत मिशन की प्रमुख परियोजना ‘स्वच्छ आइकॉनिक स्थल (SIP) के तीसरे चरण के तहत दस नए महत्त्वपूर्ण दर्शनीय (आइकॉनिक) स्थलों पर कार्य प्रारंभ किया गया है।
स्वच्छ आइकॉनिक स्थल चरण-I, चरण-II तथा चरण-III
क्र. सं. | चरण I | चरण-II | चरण-III |
1. | अज़मेर शरीफ़ दरगाह | गंगोत्री | राघवेंद्र स्वामी मंदिर (कुरनूल, आंध्र प्रदेश) |
2. | सीएसटी मुंबई | यमुनोत्री | हजारद्वारी पैलेस (मुर्शिदाबाद, प. बंगाल) |
3. | स्वर्ण मंदिर | महाकालेश्वर मंदिर | ब्रह्मा सरोवर मंदिर (कुरुक्षेत्र, हरियाणा) |
4 | कामाख्या मंदिर | चारमीनार | विदुर कुटी (बिजनौर, उ.प्र) |
5. | मणिकर्णिका घाट | कॉन्वेंट एंड चर्च ऑफ सेंट फ्राँसिस ऑफ असीसी | माणा गाँव (चमोली, उत्तराखंड) |
6. | मीनाक्षी मंदिर | कलादी | पैंगांग झील (लेह-लद्दाख, जम्मू-कश्मीर) |
7. | श्री माता वैष्णो देवी मंदिर | गोमेतेश्वर | नागवासुकी मंदिर (इलाहाबाद, उ.प्र.) |
8. | श्री जगन्नाथ मंदिर | बैद्यनाथ धाम | इमा कैथल/मार्केट (इम्फाल, मणिपुर) |
9. | ताजमहल | गया तीर्थ | सबरीमाला मंदिर (केरल) |
10. | तिरुपति मंदिर | सोमनाथ मंदिर | कण्वाश्रम (उत्तराखंड) |
स्वच्छ आइकॉनिक स्थल
- प्रधानमंत्री द्वारा परिकल्पित यह परियोजना राज्य सरकारों और स्थानीय प्रशासन के सहयोग से पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय द्वारा समन्वित एवं संचालित की जा रही है।
- SIP इन तीन अन्य केंद्रीय मंत्रालयों -आवास एवं शहरी मामलों का मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय और पर्यटन मंत्रालय के साथ एक सहयोगात्मक परियोजना है।
- इसमें संबंधित राज्यों के स्थानीय प्रशासन शामिल हैं। इसके अलावा, इसमें प्रायोजक भागीदारों के रूप में सार्वजनिक क्षेत्र और निजी कंपनियाँ भी शामिल हैं।
- SIP के तीसरे चरण का शुभारंभ माणा गाँव में किया गया जो उत्तराखंड में बद्रीनाथ मंदिर के निकट अवस्थित है।
यूरोपीय संघ फिल्म फेस्टिवल
चर्चा में क्यों?
यूरोपीय सिनेमा पर प्रकाश डालने के लिये यूरोपीय संघ फिल्म महोत्सव (EUFF) का आयोजन 18 जून से 31 अगस्त, 2018 तक नई दिल्ली मके सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम में किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- यूरोपीय संघ फिल्म महोत्सव का आयोजन यूरोपीय संघ और विभिन्न सिटी फिल्म क्लबों में यूरोपीय संघ के सदस्य राष्ट्रों के दूतावासों के प्रतिनिधियों के साथ भागीदारी कर भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के फिल्म समारोह निदेशालय द्वारा किया गया है।
- इस वर्ष के फिल्म महोत्सव में 23 यूरोपीय सदस्य देशों की 24 नई यूरोपीय फिल्मों के चयन के साथ ही सिनेमा प्रेमियों के लिये कुछ असाधारण कहानियाँ होंगी।
- EUFF के आयोजन के दौरान नई दिल्ली, चेन्नई, पोर्ट ब्लेयर, पुद्दुचेरी, कोलकाता, जयपुर, विशाखापत्तनम, त्रिशुर, हैदराबाद और गोवा सहित देश के 11 शहरों में फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा।
- विविधता को प्रदर्शित करती EUFF में ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, बुल्गारिया, क्रोएशिया, साइप्रस, चेक गणराज्य, डेनमार्क, एस्टोनिया, फिनलैंड, फ्राँस, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, इटली, लातविया, लिथुआनिया, लक्ज़मबर्ग, नीदरलैंड, पोलैंड, पुर्तगाल, स्लोवाकिया, स्पेन और स्वीडन की फिल्में दिखाई जाएंगी।
यूरोपीय संघ (EU)
- 28 देशों से मिलकर बना यूरोपीय संघ विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और यहाँ पर चीन तथा भारत के बाद सबसे अधिक आबादी है।
- विविधताओं के बावजूद यूरोपीय देश (इसके सदस्य राष्ट्र) शांति, लोकतंत्र, कानून और मानवाधिकार का सम्मान करने के एकसमान आधारभूत मूल्यों का पालन करने के लिये प्रतिबद्ध हैं।
दुधवा के पसंदीदा हाथी की मौत
चर्चा में क्यों?
हाल ही में लखीमपुर खीरी स्थित दुधवा नेशनल पार्क में पर्यटकों के बीच अपने उछल-कूद के लिये मशहूर रहे हाथी बटालिक (Batalik) की मृत्यु हो गई।
दुधवा नेशनल पार्क
- दुधवा राष्ट्रीय उद्यान उत्तर प्रदेश राज्य के लखीमपुर खीरी ज़िले में स्थित है। यह राष्ट्रीय उद्यान एक बाघ संरक्षित क्षेत्र है।
- इसकी स्थापना 614 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र को संरक्षित करके वर्ष 1977 में की गई थी।
- शिवालिक पर्वत श्रेणी की तराई में स्थित यह उद्यान राज्य में पर्यटन की दृष्टि से ख़ास महत्त्व रखता है।
- दुधवा राष्ट्रीय उद्यान घने जंगलों से घिरा हुआ है।
- उद्यान भारत और नेपाल सीमा से लगा हुआ एक विशाल वन क्षेत्र है।
- यह उद्यान उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा एवं समृद्ध जैव विविधता वाला क्षेत्र है। उद्यान प्रमुख रूप से बाघों एवं बारहसिंगा के संरक्षण लिये विश्व प्रसिद्ध है।
- उद्यान क्षेत्र में हिरनों के झुण्ड देखे जा सकते हैं। दुधवा राष्ट्रीय उद्यान में हिरनों की पाँच प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इनमें बारहसिंगा मुख्य है।
- इसके अलावा काकड़ पाढ़ा, चीतल, सांभर भी बहुतायत में पाए जाते हैं।
ग्रीस और मेसेडोनिया के बीच 27 साल पुराने विवाद का अंत
चर्चा में क्यों?
यूरोप के दो देशों ग्रीस और मेसेडोनिया के बीच 27 साल से जारी विवाद का अंत हो गया है। दोनों देशों के बीच यह विवाद यूगोस्लाविया के नाम को लेकर था।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- वर्ष 1991 में यूगोस्लाविया से अलग होकर नया देश रिपब्लिक ऑफ मेसेडोनिया बना था।
- इसके दक्षिण में स्थित ग्रीस के कुछ हिस्सों को भी मेसेडोनिया के नाम से जाना जाता है। इस पर दोनों देशों के बीच विवाद प्रारंभ हो गया था।
- दोनों देश इस बात पर सहमत हो गए हैं कि मेसेडोनिया को अब 'रिपब्लिक ऑफ नॉर्थ मेसेडोनिया' के नाम से जाना जाएगा। मेसेडोनियन भाषा में इसे ‘सेवेर्ना मकदूनिया’ कहा जाएगा।
- नए नाम की आधिकारिक घोषणा से पहले मेसेडोनिया की जनता और ग्रीस की संसद की मंज़ूरी मिलनी आवश्यक है।
- ग्रीस के उत्तरी क्षेत्र को भी मेसेडोनिया नाम से जाना जाता है। सिकंदर महान इसी क्षेत्र का रहने वाला था। इसी वज़ह से ग्रीस के नागरिक इस नाम को लेकर नाराज़ थे।
- समझौते में यह भी स्पष्ट किया गया है कि उत्तरी मेसेडोनिया को पुरानी ग्रीक सभ्यता से संबंधित नहीं माना जाएगा।