प्रीलिम्स फैक्ट्स : 17 जनवरी 2018 | 17 Jan 2018
निर्माण – संवाद
महत्त्वाकांक्षी ‘रेल अवसंरचना विकास परियोजनाओं’ का त्वरित कार्यान्वयन सुनिश्चित करने की एक बड़ी पहल के रूप में रेल मंत्रालय द्वारा निर्माण उद्योग की अग्रणी कंपनियों सहित सभी हितधारकों के साथ एक ‘मेगा कॉनक्लेव’ का आयोजन किया जा रहा है।
प्रमुख बिंदु
- इस कॉनक्लेव के दौरान रेलवे बोर्ड के सदस्य और वरिष्ठ जोनल रेलवे अधिकारी निर्माण क्षेत्र की अग्रणी कंपनियों के साथ परस्पर संवाद को आयोजित किया जा रहा है।
- इस कॉनक्लेव का नाम ‘निर्माण-संवाद’ रखा गया है, जिसका आयोजन रेलवे पीएसयू रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) द्वारा किया जा रहा है, जो रेल परियोजनाओं के त्वरित कार्यान्वयन के लिए रेल मंत्रालय की एक समर्पित सहायक कंपनी है।
- यह कॉनक्लेव परियोजनाओं के क्रियान्वयन के मार्ग में आने वाली बाधाओं/अवरोधों पर चर्चा करने एवं बाधाओं को दूर करने के लिये सुझाव आमंत्रित करने तथा रेलवे की परियोजनाओं के निष्पादन में दक्षता लाने का एक अवसर प्रदान करता है।
- इसके अंतर्गत रेल बोर्ड, जोनल रेल, सीपीएससी के वरिष्ठ अधिकारी एवं लगभग चार सौ निर्माण एवं परामर्श कंपनियों के शीर्ष कार्यकारी अधिकारी उद्योग के सामने आने वाली बाधाओं एवं मुद्दों पर विचार किया जाएगा।
- भारतीय रेल की महत्त्वाकांक्षी अवसंरचना परियोजनाओं में दोहरीकरण परियोजनाएँ, विद्युतिकरण परियोजनाएँ, पहाड़ी रेल परियोजनाएँ, समर्पित माल ढुलाई गलियारा (डीएफसी) एवं हीरक चतुर्भुज पर उच्च गति परियोजनाएँ शामिल हैं।
एसपीटी0615 आकाशगंगा
नासा के वैज्ञानिकों द्वारा ब्रह्मांड के संबंध में निरंतर खोज के परिणामस्वरूप एक नई सफलता हाथ लगी है वैज्ञानिकों द्वारा एक ऐसी आकाशगंगा की खोज की गई है जो ब्रह्मांड में सबसे अधिक दूरी पर स्थित आकाशगंगा है।
प्रमुख बिंदु
- इसकी दूरी तकरीबन 2500 प्रकाशवर्ष बताई गई है।
- वैज्ञानिकों द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार, यह आकाशगंगा सितारों का एक आदिम समूह (क्लस्टर) है, इस आकाशगंगा के करीबन 50 करोड़ वर्ष पुरानी होने की भी आशंका व्यक्त की गई है।
- इस आकाशगंगा की खोज नासा के हबल के रियनायनाइजे़शन लेंसिंग क्लस्टर सर्वे (रेलिक्स) और स्पिट्जर स्पेस टेलिस्कोप द्वारा की गयी है।
- टेलिस्कोप द्वारा बह्मांड में एक गहन सर्वेक्षण ने गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग नामक एक घटना के तहत एसपीटी0615–जेडी नाम की आकाशगंगा की तस्वीरें ली हैं, जो घटती और बढती है।
- यह नई आकशगंगा मिल्की वे का मात्र 1/100 बताई जा रही है।
राष्ट्रीय कल्याण कोष योजना
वर्ष 1982 में खिलाड़ियों और खेल से जुड़े लोगों के लिये राष्ट्रीय कल्याण कोष की स्थापना की गई थी। इस कोष की स्थापना पुराने दौर के उन बेहतरीन खिलाड़ियों की सहायता के लिये की गई थी, जिन्होंने अपने प्रदर्शन से देश का गौरव बढ़ाया, लेकिन वर्तमान में गरीबी में जीवनयापन कर रहे हैं। जुलाई 2009 में इस योजना की अंतिम बार समीक्षा की गई थी, जिसके आधार पर इसमें संशोधन किया गया था। राष्ट्रीय कल्याण कोष की एक बार और समीक्षा की गई है, जिसके आधार पर इसमें व्यापक संशोधन किये गए हैं।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- योजना के संशोधित स्वरूप के तहत अब खिलाड़ियों के लिये वित्तीय सहायता प्राप्त करने की अहर्ता सीमा बढ़ा दी गई है। पहले यह सीमा दो लाख रुपए की सालाना आय थी, लेकिन वर्तमान में इसे बढाकर चार लाख रुपए कर दिया गया है।
- इतना ही नहीं इस योजना का दायरा भी बढ़ाया गया है ताकि अधिक-से-अधिक खिलाड़ियों और खेल से जुड़े लोगों को वित्तीय सहायता योजना का लाभ प्रदान किया जा सके।
- कल्याण कोष से आवंटित होने वाली राशि को भी बढ़ा दिया गया है।
लाभ के पात्र कौन-कौन होंगे?
- इस स्कीम के तहत गरीबी में रह रहे खिलाड़ी, खेल से जुड़े लोग और उनके परिवार के सदस्य निम्नलिखित वित्तीय सहायता प्राप्त होने के हकदार होंगे-
⇒ गरीबी में रह रहे बेहतरीन खिलाड़ियों और खेल से जुड़े लोगों के लिये अधिकतम पाँच लाख रुपए की वित्तीय सहायता मुहैया कराई जा सकती है।
⇒ प्रशिक्षण या प्रतियोगिता में हिस्सा लेते समय घायल होने पर खिलाड़ियों और खेल से जुड़े लोगों को 10 लाख रुपए तक की अधिकतम वित्तीय सहायता दी जा सकती है।
⇒ पाँच लाख रुपए की अधिकतम वित्तीय सहायता उन बेहतरीन खिलाड़ियों और खेल से जुड़े लोगों के परिवार वालों को दी जाएगा, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं।
⇒ गरीबी में रह रहे बेहतरीन खिलाड़ियों या उनके परिवार के किसी सदस्य के इलाज के लिये दस लाख रुपए तक की वित्तीय सहायता दी जाएगी।
⇒ दो लाख रुपए तक की सहायता राशि कोच और उनसे जुड़े सहायक जैसे- खेल डॉक्टर, खेल मनोचिकित्सक, परामर्शदाता और राष्ट्रीय कोचिंग शिविरों से जुड़े मालिश करने वालों को मिलेगी।
केरल में महापाषाण काल की कब्र
केरल में कोल्लम ज़िले के वियूर गाँव में चट्टान काटकर बनाई हुई गुफा से लौह काल से भी 2000 वर्ष पुरानी महापाषाण युग के समय की पत्थर से बनी कब्र प्राप्त हुई है।
प्रमुख बिंदु
- इस कब्र से हड्डी के टुकड़ें भी प्राप्त हुए हैं। हड्डी के टुकड़े पुरुष के हैं या महिला के, इसकी जाँच के लिये इन्हें कैलिफोर्निया में बीटा एनालिटिकल लैबोरेट्री में एक्सीलेरेटर मास स्पेक्ट्रोमेट्री का उपयोग करते हुए कार्बन डेटिंग के लिये भेजा जाएगा।
- इस तरह की दुर्लभ खोज केरल में अभी तक दो महापाषाणिक स्थलों चेवायूर और अथोली में हुई है। ये दोनों ही स्थल कोझीकोड ज़िले में अवस्थित है।
- यहाँ की ज़मीन को समतल करने के प्रयास में एक अर्द्ध-गोलाकार रॉक-कट चैम्बर मिलने के बाद यहाँ खुदाई शुरू की गई।
- 90 सेंटीमीटर की ऊँचाई वाली इस गुफा के अन्दर 1. 9 मीटर व्यास का एक स्तंभ भी है।
- गुफा का प्रवेशद्वार पूर्वी दिशा में था। चौकोर आकार के दरवाज़े की चारों तरफ से 50 सेंटीमीटर की समान लंबाई है।
- गुफा में विभिन्न प्रकार के बर्तन और लोहे के औजार भी पाए गए हैं।
- दक्षिण भारत में कई पुरातात्विक स्थलों पर पत्थरों की कब्रें पाई गई हैं।
- “मेगालिथ” शब्द दो लैटिन शब्दों mega और lith से मिलकर बना है जिसका अर्थ है- एक बड़ा पत्थर।
- "मेगालिथिक" शब्द ऐसे बड़े पत्थरों से बनी संरचनाओं का वर्णन करता है जो कंक्रीट या मोर्टार के उपयोग के बिना निर्मित है।