प्रीलिम्स फैक्ट्स : 15 जून 2018 | 15 Jun 2018
आयुष्मान भारत- राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन
14 जून, 2018 को 20 राज्यों तथा केंद्रशासित राज्यों ने आयुष्मान भारत– राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन (AB-NHPM) को लागू करने के लिये सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किये जो कि केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग का एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- केंद्र नीति निर्माण करेगा और राज्यों को इस योजना को अपनाना होगा। AB-NHPM देश के 50 करोड़ लोगों (10 करोड़ परिवार) को सुरक्षा प्रदान करेगा।
- लाभार्थी बिना नकद और बिना किसी कागज़ात के भारत में कहीं भी इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।
- इसके अंतर्गत सरकारी और निजी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध रहेगी।
- AB-NHPM लोगों को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करेगा, जबकि स्वास्थ्य व वेलनेस केंद्र प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करेंगे।
- आयुष्मान भारत योजना से स्वास्थ्य पर होने वाले अत्यधिक खर्च को कम किया जा सकेगा।
आयुष्मान भारत योजना
- आयुष्मान भारत योजना भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित योजना है, जिसे 1 अप्रैल, 2018 को पूरे भारत मे लागू किया गया था।
- इस योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों (बीपीएल धारक) को स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराना है।
भारतीय मूल की दिव्या बनी अमेरिकी कंपनी GM की मुख्य वित्तीय अधिकारी
हाल ही में भारतीय मूल की अमेरिकी महिला दिव्या सूर्यदेवरा को अमेरिका की सबसे बड़ी कंपनी जनरल मोटर्स (GM) का मुख्य वित्तीय अधिकारी नियुक्त किया गया है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- दिव्या सूर्यदेवरा किसी भी ऑटो कंपनी में मुख्य वित्तीय अधिकारी का पद ग्रहण करने वाली पहली महिला हैं।
- जनरल मोटर्स विश्व की पहली कंपनी है जिसके CEO तथा CFO दोनों पदों पर महिलाएँ नियुक्त हैं।
- दिव्या सूर्यदेवरा 1 सितंबर से अपना कार्यभार संभालेंगी और जनरल मोटर्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) मैरी बर्रा को रिपोर्ट करेंगी।
दिव्या सूर्यदेवरा
- भारत में जन्मी दिव्या ने चेन्नई के मद्रास विश्वविद्यालय से वाणिज्य में स्नातक किया है।
- 22 साल की उम्र में वह उच्च शिक्षा के लिये संयुक्त राज्य अमेरिका के हार्वर्ड चली गईं। यहाँ से MBA की डिग्री ली और निवेश बैंक UBS में अपनी पहली नौकरी शुरू की तथा 25 साल की उम्र में जनरल मोटर्स से जुड़ी थीं।
- 2016 में दिव्या को ऑटोमोटिव क्षेत्र की ‘राइजिंग स्टार’ का खिताब मिला था।
तेज़ी से पिघल रही है अंटार्कटिका की बर्फ़
एक नए अध्ययन रिपोर्ट में विशेषज्ञों की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम द्वारा कहा गया है कि अंटार्कटिका की बर्फ़ बहुत तेज़ी से पिघल रही है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- वर्ष 1992 से अब तक लगभग 3 ट्रिलियन टन बर्फ पिघल चुकी है।
- पिछले 25 सालों में दक्षिणी महाद्वीप की बर्फ़ इतनी तेज़ी से पिघली है कि इससे टेक्सास लगभग 13 फीट (4 मीटर) की गहराई तक ढक सकता है
- वैज्ञानिकों की गणना के अनुसार, बर्फ पिघलने के कारण विश्व के सभी महासागरों के जल स्तर में 7.6 मिलीमीटर की वृद्धि हुई है।
- 1992 से 2011 तक, अंटार्कटिका में वार्षिक रूप से 84 अरब टन बर्फ (76 बिलियन मीट्रिक टन) पिघल गई।
- नेचर पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक 2012 से 2017 तक बर्फ़ पिघलने की दर सालाना 241 बिलियन टन (219 अरब मीट्रिक टन) से अधिक हो गई।
- रिपोर्ट के अनुसार पश्चिम अंटार्कटिका का वह हिस्सा, जहाँ सबसे अधिक बर्फ पिघली है, पतन की स्थिति में पहुँच चुका है।
- यह अध्ययन नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के साथ काम कर रहे वैज्ञानिकों की टीम द्वारा किया गया दूसरा मूल्यांकन है।
- यह संभव है कि केवल अंटार्कटिका की बर्फ़ पिघलने के कारण सदी के अंत तक समुद्र का जल स्तर लगभग आधा फुट (16 सेंटीमीटर) तक बढ़ सकता है।
14 जून को पूरी दुनिया में विश्व रक्तदान दिवस मनाया गया। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य सुरक्षित रक्त एवं रक्त उत्पादों की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाना और रक्तदाताओं को सुरक्षित जीवन रक्षक रक्तदान करने के लिये प्रोत्साहित करते हुए उनका आभार व्यक्त करना है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- वर्ष 1997 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 100 फीसदी स्वैच्छिक रक्तदान नीति की नींव डाली थी।
- वर्ष 1997 में संगठन ने यह लक्ष्य रखा था कि विश्व के प्रमुख 124 देश अपने यहाँ स्वैच्छिक रक्तदान को ही बढ़ावा दें।
- उद्देश्य यह था कि रक्त की ज़रूरत पड़ने पर उसके लिये पैसे देने की ज़रूरत नहीं पड़नी चाहिये, परंतु इस नीति पर अब तक लगभग 49 देशों ने ही अमल किया है।
- विश्व रक्तदान दिवस 2018 की थीम “Be there for someone else. Give blood. Share life” है।
14 जून ही क्यों?
- महान वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन का जन्म 14 जून, 1868 को हुआ था। उन्होंने मानव रक्त में उपस्थित एग्ल्युटिनिन की मौजूदगी के आधार पर रक्तकणों का A, B और O समूह में वर्गीकरण किया।
- इस वर्गीकरण ने चिकित्सा विज्ञान में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी इसी खोज से आज करोड़ों से ज्यादा लोग रोज़ाना रक्तदान करते हैं और लाखों लोगों की जिंदगियाँ बचाई जाती हैं।
- इस महत्त्वपूर्ण खोज के लिये ही कार्ल लैंडस्टाईन को वर्ष 1930 में नोबल पुरस्कार दिया गया था।