प्रीलिम्स फैक्ट्स : 15 फरवरी, 2018
एग्रीकोन 2018
कानपुर के सोसायटी ऑफ एग्रीकल्चर प्रोफेशनल्स (Society of Agricultural Professionals) तथा चन्द्र शेखर आज़ाद कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (Chandra Shekhar Azad University of Agriculture & Technology) के सहयोग से 14-17 फरवरी, 2018 के मध्य "जलवायु परिवर्तन के परिदृश्य में विकासशील देशों में लघुधारक कृषि की स्थिरता" (Sustainability of Smallholder Agriculture in Developing Countries under Changing Climatic Scenario) पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।
प्रमुख बिंदु
- इस सम्मेलन में आईसीएआर (Indian Council of Agricultural Research), एनआईएएस (National Institute of Agricultural Sciences), एनएसआई (National Sugar Institute), आईआईएसआर (Indian Institute of Sugarcane Research), एसएसआरपी और आईएपीएसआईटी (International Association of Professionals in Sugar and Integrated Technologies) जैसे संगठन भाग ले रहे हैं।
- विश्व में कृषि द्वारा जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणामों का सामना किया जा रहा है जो छोटी जोत की खेती करने वाले और उनकी आजीविका को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर रही है।
- यद्यपि, विकासशील देशों की आर्थिक संवृद्धि में खाद्य आपूर्ति के संदर्भ में स्टॉकहोल्डर्स का काफी योगदान होता है, कृषि में कम निवेश, कृषि योग्य संसाधनों में कमी, प्राकृतिक संसाधनों पर बढ़ते बोझ आदि के कारण कृषिगत क्षेत्र प्रभावित हो रहा है।
- इस सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन के कारण प्रभावित होते कृषि क्षेत्र में सुधार हेतु विकल्पों पर विचार किया जाएगा। साथ ही, इस संदर्भ में आवश्यक पहलों के क्रियान्वयन पर भी चर्चा की जाएगी।
इराक के पुनर्निर्माण हेतु अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (International Conference for Reconstruction of Iraq)
- कुवैत में इराक के पुनर्निर्माण हेतु आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (International Conference for Reconstruction of Iraq) में एक व्यापक राजनीतिक समाधान और सामंजस्य की मांग की गई।
- इस सम्मेलन में विश्व के शक्तिशाली देशों के नेताओं द्वारा इराक के पुनर्निर्माण हेतु योजना बनाए जाने के संदर्भ में विचार विमर्श किया गया है।
- भारत इसके पुनर्निर्माण में प्रमुख भूमिका निभा रहा है।
- इस सम्मेलन का आयोजन इराक के पड़ोसी कुवैत में किया गया है।
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एकीकृत स्वचालित विमानन मौसम प्रणाली (Integrated Automatic Aviation Meteorological System)
हाल ही में केरल के कोच्चि में स्थित नौसेना वायु स्टेशन आईएनएस गरुड़ में भारतीय नौसेना द्वारा एकीकृत स्वचालित विमानन मौसम प्रणाली (Integrated Automatic Aviation Meteorological System - IAAMS) का अनावरण किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- यह एकीकृत प्रणाली के साथ स्थापित देश का चौथा वायु स्टेशन है।
- नौसेना वायु स्टेशनों (Navy Air Stations) के मौसम संबंधी बुनियादी ढाँचे के आधुनिकीकरण हेतु यह भारतीय नौसेना की एक अत्यंत महत्त्वाकांक्षी परियोजना है।
- इस नई प्रणाली की सहायता से भारतीय नौसेना द्वारा मौसम के निगरानी तंत्र में सटीकता लाने का प्रयास किया जा रहा है।
- आईएएएमएस मौसम संबंधी सेंसरों से सुसज्जित अत्याधुनिक प्रणाली है।
- इसके अंतर्गत रडार वर्टिकल विंड प्रोफाइलर, सेइलोमीटर, ट्रांसमीटर और स्वचालित मौसम निरीक्षण प्रणाली आदि को स्थापित किया गया है।
- इसके तहत सटीक मौसम पूर्वानुमान हेतु आवश्यक प्रासंगिक मौसम पैरामीटर की स्वत: एवं निरंतर रिकॉर्डिंग की जाएगी।
- इसमें एक विशेष अलार्म सुविधा को भी स्थापित किया गया है, जिसकी सहायता से मौसम के मापदंडों के असामान्य परिवर्तन के विषय में कर्मचारियों को सही समय पर सचेत किया जा सके।
- इसका उद्देश्य सुरक्षित उड़ान परिचालनों को सुनिश्चित करना है।
- इतना ही नहीं यह मानवीय हस्तक्षेप के बगैर विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) के अन्य हवाई स्टेशनों और वायु यातायात नियंत्रक टावरों के मुताबिक नियमित मौसम रिपोर्टों का स्वत: प्रसार भी कर सकता है।
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मार्स 2020 रोवर
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा मंगल ग्रह से आए उल्कापिंड एसयू008 के एक बड़े भाग को पुन: मंगल की सतह पर भेजने की तैयारी की जा रही है। 1999 में पृथ्वी से टकराने वाले इस उल्कापिंड को नासा के मार्स 2020 रोवर की सहायता से मंगल पर भेजा जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- ‘मार्स 2020 रोवर’ को मंगल ग्रह की सतह के संबंध में आवश्यक सूचनाएँ एकत्रित करने के उद्देश्य से भेजा जा रहा है।
- इस यान में लगे स्कैनिंग हैबिटेबल एन्वायरन्मेंट विथ रमन एंड लुमिनसेंस फॉर ऑर्गेनिक एंड केमिकल्स लेज़र की क्षमता जाँच हेतु उल्कापिंड को भी मंगल ग्रह पर भेजा जाएगा।
- इस लेज़र को इस प्रकार से बनाया गया है कि यह उल्कापिंड को मनुष्य के बाल के आकार में तोड़ सकता है।
- वस्तुतः इस लेज़र की सहायता से उल्कापिंड के विषय में अधिक-से-अधिक गहन जानकारियों को एकत्रित किया जा सकता है।
- अंतरिक्ष जगत में ऐसा पहली बार हो रहा है जब कोई उल्कापिंड अपने मूल ग्रह पर वापस जा रहा हो।
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