प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 14 अगस्त, 2018
- 14 Aug 2018
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पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी का निधन
लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष तथा सबसे लंबे समय तक सांसद रहे सोमनाथ चटर्जी का निधन हो गया है।
- सोमनाथ चटर्जी का जन्म 25 जुलाई, 1929 को असम के तेजपुर में हुआ था।
- इनके पिता निर्मलचंद्र चटर्जी एक जाने-माने वकील और हिंदू महासभा के संस्थापक अध्यक्ष थे।
- वर्ष 1971 में सोमनाथ चटर्जी लोकसभा सदस्य के रूप में चुने गए और तब से 2009 तक लोकसभा के सदस्य रहे। इस बीच केवल एक बार (वर्ष 1984 में जादवपुर लोकसभा क्षेत्र से ममता बनर्जी से) उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
- वर्ष 1996 में उन्हें ‘सर्वश्रेष्ठ सांसद’ का पुरस्कार मिला।
- चटर्जी 1968 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) CPI (M) में शामिल हुए और 2008 में पार्टी से निकाले जाने तक इसमें रहे।
- वर्ष 1989 से 2004 तक वह लोकसभा में CPI(M) संसदीय दल के नेता भी रहे।
- वर्ष 2004 में उन्हें लोकसभा अध्यक्ष के रूप में चुना गया था।
जीवन सुगमता सूचकांक में पुणे शीर्ष पर
हाल ही में आवास एवं शहरी मामले मंत्रालय ने जीवन सुगमता सूचकांक (Ease of Living Index) जारी किया है। इसमें राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली शीर्ष 50 में भी स्थान नहीं बना सकी।
सूचकांक में शामिल शीर्ष दस शहर
रैंक | शहर | रैंक | शहर |
1. | पुणे | 6. | ठाणे |
2. | नवी मुंबई | 7. | रायपुर |
3. | ग्रेटर मुंबई | 8. | इंदौर |
4. | तिरुपति | 9. | विजयवाड़ा |
5. | चंडीगढ़ | 10. | भोपाल |
- यह सर्वेक्षण देश के 111 शहरों में किया गया।
- दिल्ली को इस सूची में 65वाँ स्थान प्राप्त हुआ है।
- उत्तर प्रदेश का रामपुर इस सूची में 111वें स्थान पर है।
- आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के अनुसार, कोलकाता ने इस सर्वेक्षण में हिस्सा लेने से मना कर दिया था।
जीवन सुगमता सूचकांक के बारे में
- जीवन सुगमता सूचकांक आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय की पहल है, जिसके ज़रिये शहरों में बसने वाले लोगों के जीवन को आसान बनाने का प्रयास किया गया है।
- इस सूचकांक पर किसी शहर का आकलन चार प्रमुख मानकों के आधार पर किया जाता है, जिसमें संस्थागत प्रबंधन, सामाजिक और आर्थिक स्थिति तथा बुनियादी ढाँचे की स्थिति शामिल है। इन चार मानकों को आगे 15 उपश्रेणियों और 78 संकेतों में वर्गीकृत किया गया है।
पेट्रोल संचालित वाहनों के लिये ब्लू स्टिकर
- सुप्रीम कोर्ट ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) के एक प्रस्ताव पर सहमति जताई है जिसके तहत वाहनों पर होलोग्राम आधारित रंगीन स्टिकर लगाए जाएंगे।
- होलोग्राम आधारित रंगीन स्टिकर लगाए जाने से वाहनों द्वारा इस्तेमाल होने वाले ईंधन की प्रकृति को इंगित किया जा सकेगा।
- हल्के नीले रंग के होलोग्राम आधारित स्टिकर का इस्तेमाल पेट्रोल और सीएनजी संचालित वाहनों के लिये, जबकि नारंगी रंग के समान स्टिकर डीज़ल वाहनों पर लगाए जाएंगे।
- वाहन के पंजीकरण की तारीख भी इन स्टिकर पर मुद्रित की जाएगी।
स्वच्छ रेलवे स्टेशन सर्वेक्षण में राजस्थान का जोधपुर सबसे साफ रेलवे स्टेशन
- तीसरे स्वच्छता सर्वेक्षण में सबसे साफ स्टेशन के मामले में प्रथम स्थान पर जोधपुर रेलवे स्टेशन तथा दूसरे और तीसरे स्थान पर क्रमशः जयपुर और तिरुपति रेलवे स्टेशन रहे।
- जोधपुर को ए-1 स्टेशन श्रेणी के तहत सबसे स्वच्छ स्टेशन घोषित किया गया है, जबकि पिछले वर्ष विशाखापत्तनम पहले स्थान पर तथा जोधपुर,जयपुर और तिरुपति क्रमशः17वें 18वें 19वें स्थान पर थे।
- इस सर्वेक्षण में कुल 407 स्टेशन कवर किये गए हैं, इनमें से 75 स्टेशन ए-1 श्रेणी में तथा 332 स्टेशन को ए श्रेणी में शामिल हैं।
- ए-1 श्रेणी के रेलवे स्टेशनों में (75 में से) पहले स्थान पर जोधपुर/उत्तर-पश्चिमी रेलवे, जबकि दूसरे तथा तीसरे स्थान पर क्रमशः जयपुर/उत्तर-पश्चिमी रेलवे तथा तिरुपति/ दक्षिण-मध्य रेलवे स्टेशन शामिल हैं।
- ए श्रेणी के स्टेशनों (कुल 332 में से) में पहले स्थान पर मारवाड़/उत्तर-पश्चिमी रेलवे, जबकि दूसरे तथा तीसरे स्थान पर क्रमशः फुलेरा/उत्तर-पश्चिमी रेलवे तथा वारंगल/दक्षिण-मध्य रेलवे शामिल हैं।
- क्षेत्रीय रेलवे रैंकिंग में उत्तर पश्चिमी रेलवे को पहला तथा दूसरा एवं तीसरा स्थान क्रमशः दक्षिण मध्य रेलवे और पूर्वी तट रेलवे को प्राप्त हुआ।
- पहला स्वच्छ रेलवे स्टेशन सर्वेक्षण आईआरसीटीसी ने वर्ष 2016 में किया था, जबकि दूसरा सर्वेक्षण क्यूसीआई द्वारा किया गया था।
- पिछले चार वर्षों के दौरान स्वच्छता कवरेज बढ़ा है। वर्ष 2014 में जहाँ स्वच्छता कवरेज 38 प्रतिशत था, वहीं यह बढ़कर 2018 में 83 प्रतिशत तक हो गया है।
- इस वर्ष के सर्वेक्षण में वाराणसी रेलवे स्टेशन 14वें स्थान से फिसलकर 69वें स्थान पर पहुँच गया है।
- ए-1 स्टेशन श्रेणी में मथुरा रेलवे स्टेशन को सबसे गंदा स्टेशन घोषित किया गया,जबकि दरभंगा स्टेशन इस वर्ष 52वें स्थान पर रहा।
‘रोडमैप टुवर्ड्स क्लीनिंग इंडियाज़ एयर’
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 'रोडमैप टुवर्ड्स क्लीनिंग इंडियाज एयर' नामक अध्ययन जारी किया है जिसके अनुसार अगर भारत वायु की गुणवत्ता हेतु WHO द्वारा तय किये गए मानकों तक पहुँच जाता है तो भारतीयों की औसत उम्र में लगभग 4 साल की वृद्धि हो जाएगी।
- यह अध्ययन यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो और हार्वर्ड कैनेडी स्कूल के शोधकर्त्ताओं द्वारा किया गया है।
- इस अध्ययन के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण भारत को हर साल लगभग 5 खरब डॉलर अर्थात् करीब 350 खरब रुपए का नुकसान झेलना पड़ता है।
- अध्ययन के अनुसार, लगभग 66 करोड़ भारतीय देश के सर्वाधिक प्रदूषित इलाकों में निवास करते हैं।
- शोधकर्त्ताओं के समूह द्वारा भारत को इस समस्या से निपटने के लिये कुछ सुझाव दिये गए हैं जो इस प्रकार हैं –
♦ उत्सर्जन से संबंधित रियल टाइम डेटा उपलब्ध कराना।
♦ अत्यधिक उत्सर्जन करने वालों पर आर्थिक दंड लगाना।
♦ लोगों को प्रदूषकों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराना।