प्रीलिम्स फैक्टस : 14 मार्च, 2018 | 14 Mar 2018

अंतर्राष्‍ट्रीय पुलिस सम्‍मेलन

14 मार्च को नई दिल्ली में पुलिस प्रमुखों की अंतर्राष्‍ट्रीय एसोसिएशन (International Association of Police Chiefs) के दो दिवसीय एशिया प्रशांत क्षेत्रीय सम्‍मेलन का आयोजन किया जा रहा है।

विषय

  • इस सम्‍मेलन का विषय है, “2020 में पुलिस चुनौतियाँ-किस तरह साइबर स्‍पेस अपराध तथा आतंकवाद के प्रति हमारे दृष्टिकोण को आकार दे रहा है, हम इसके अंदर कैसे प्रदर्शन करेंगे और कैसे इसका लाभ उठाएंगे”।

आयोजन

  • इस क्षेत्रीय सम्‍मेलन का आयोजन आईएसीपी के एशिया प्रशांत विश्‍व क्षेत्रीय कार्यालय (एपीडब्‍ल्‍यूआरओ) द्वारा गुप्‍तचर ब्‍यूरो की साझेदारी में किया जा रहा है।
  • एपीडब्‍ल्‍यूआरओ के अध्‍यक्ष के रूप में गुप्‍तचर ब्‍यूरो के निदेशक सम्‍मेलन के मेज़बान हैं।

मुख्‍य फोकस

  • इस सम्‍मेलन का मुख्‍य फोकस विभिन्‍न आतंकवादी/संगठित समूहों तथा चरमपंथी तत्त्‍वों द्वारा घृणित अपराधों और षडयंत्रों को अंजाम देने के लिये साइबर स्‍पेस और इसकी अग्रणी टेक्‍नोलॉजियों के दोहन में उनकी दिलचस्‍पी पर चर्चा करना है।
  • यह सम्‍मेलन राष्‍ट्रीय और अन्‍तर्राष्‍ट्रीय स्‍तर के शीर्ष पुलिस अधिकारियों को यह समझने का मंच प्रदान करेगा कि कैसे साइबर स्‍पेस, साइबर अपराध और आतंकवाद की दिशा में हमारे दृष्टिकोण को आकार दे रहा है और अच्‍छी पुलिस व्‍यवस्‍था के लिये कैसे लाभ उठाया जा सकेगा।
  • सम्‍मेलन में एशिया प्रशांत क्षेत्र-अफगानिस्‍तान, ऑस्‍ट्रेलिया, बांग्‍लादेश, कम्‍बोडिया, दुबई, फिजी, म्‍याँमार, मंगोलिया, नेपाल, कोरिया गणराज्‍य, श्रीलंका, ताईवान तथा थाईलैंड के पुलिस संगठनों के प्रतिनिधियों के अतिरिक्‍त आईएसीपी के अध्‍यक्ष व आईएसीपी मुख्‍यालय के वरिष्‍ठ कार्यकारी भाग लेंगे।

पुलिस प्रमुखों की अंतर्राष्‍ट्रीय एसोसिएशन
International Association of Police Chiefs

आईएसीपी विश्‍व के पुलिस/प्रवर्तन अधिकारियों का सबसे बड़ा संगठन है। कानून लागू करने वाले समुदाय की बदलती आवश्‍यकताओं को पहचानने और उनका समाधान निकालने में आईएसीपी की भूमिका को महत्त्‍वपूर्ण माना जाता है।

  • IACP प्रथाओं, सहकारी प्रयासों और पुलिस प्रशासकों तथा अन्य संस्थाओं एवं संगठनों के बीच सूचना के आदान-प्रदान को बढ़ावा देकर पुलिस के पेशे को आगे बढ़ाने के लिये प्रतिबद्ध है।
  • संघ भर्ती और पुलिस एजेंसियों में योग्यता प्राप्त व्यक्तियों के प्रशिक्षण के संदर्भ में काम करता है और संभव उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिये दुनिया भर में पुलिस अधिकारियों को प्रोत्साहित करता है।

मिशन

  • IACP वकालत, आउटरीच, शिक्षा और कार्यक्रमों के माध्यम से कानून प्रवर्तन पेशे को आगे बढ़ाने के लिये समर्पित है।

मुख्‍यालय

  • आईएसीपी का मुख्‍यालय अमेरिका के वर्जिनिया में है। भौगोलिक आधार पर इसके सात विश्‍व क्षेत्रीय कार्यालय हैं।
  • इसमें एपीडब्‍ल्‍यूआरओ शामिल है। आईएसीपी की वर्ष में एक बार अमेरिका में बैठक होती हैं, जिसमें विभिन्‍न विषयों पर पूरे विश्‍व के 15,000 से अधिक पुलिस अधिकारी विचार-विमर्श करते हैं।
  • एशिया प्रशांत विश्‍व क्षेत्रीय कार्यालय (एपीडब्‍ल्‍यूआरओ) की स्‍थापना नई दिल्‍ली में 1994 में की गई थी और गुप्‍तचर ब्‍यूरो के निदेशक को इसका अध्‍यक्ष बनाया गया। 
  • पहले आईएसीपी, एपीडब्‍ल्‍यूआरओ के तत्त्‍वावधान में नई दिल्‍ली में चार सम्‍मेलन – जनवरी 1992 में चौथा आईएसीपी, एशिया प्रशांत क्षेत्रीय सम्‍मेलन, मार्च 2001 में आठवाँ आईएसीपी, एशियाई कार्यकारी पुलिस सम्‍मेलन, सितम्‍बर 2008 में आतंकवाद पर आईएसीपी संगोष्‍ठी तथा सितम्‍बर 2013 में पुलिस व्‍यवस्‍था पर सोशल मीडिया के प्रभाव पर क्षेत्रीय सम्‍मेलन – आयोजित किये गए।

चुंबकीय तूफान 
Geomagnetic storm

कुछ समय पहले 18 मार्च को पृथ्वी पर एक बड़े भू-चुंबकीय तूफान (Geomagnetic Storm) आने की आशंका संबंधी रिपोर्ट चर्चा का विषय बनी हुई है। हालाँकि, इस संबंध में राष्ट्रीय समुद्रीय और वायुमंडलीय प्रशासन (National Oceanic and Atmospheric Administration –NOAA) द्वारा की गई जाँच में यह पाया गया कि इन रिपोर्टों का कोई आधार नहीं है, यह एक बेबुनियादी जानकारी है।

भू-चुंबकीय तूफान

  • पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में होने वाले बड़े विक्षोभों को भू-चुंबकीय तूफान कहते हैं। इसके दौरान पृथ्वी की ओर होना वाला सौर विकिरण सामान्य स्तर से काफी अधिक होता है। 
  • यह विकिरण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से संपर्क करते हुए एक भू-चुंबकीय तूफान उत्पन्न करता है।
  • भू-चुंबकीय तूफानों की तीव्रता ध्रुवीय प्रकाश के क्षेत्रों में सबसे अधिक होती है। 

भू-चुंबकीय तूफानों का वर्गीकरण

  • सबसे कमज़ोर भू-चुंबकीय तूफ़ान (G1) का प्रभाव यह होता है कि इससे उपग्रह के संचालन में मामूली असर पड़ता है तथा पावर ग्रिड में हल्के उतार-चढ़ाव आते हैं। साथ ही इससे ध्रुवीय ज्योति की परिघटना भी घटित हो सकती है।
  • अपनी चरमावस्था में (G5) प्रभाव यह होता है कि कुछ ग्रिड सिस्टम के क्षीण होने अथवा ब्लैकआउट होने के साथ वोल्टेज नियंत्रण की समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। रेडियो तरंगों का संचरण बाधित हो सकता है और ध्रुवीय ज्योति को अपेक्षाकृत सामान्य से निम्न अक्षांश पर भी देखा जा सकता है।

QOL-2C: कैंसर के मरीज़ों के लिये एक आयुष ड्रग

केन्द्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद (CCRAS) ने कैंसर के रोगियों की जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिये एक कोडित दवा AYUSH-QOL-2C का विकास किया है।

प्रमुख बिंदु

  • CCRAS भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्तशासी निकाय है।
  • यह भारत में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में वैज्ञानिक विधि से शोध कार्य प्रतिपादित करने, उसमें समन्वय स्थापित करने, उसका विकास करने एवं उसे समुन्नत करने हेतु एक शीर्ष राष्ट्रीय निकाय है।
  • केंद्रीय आयुष मंत्री परिषद के शासी निकाय का पदेन अध्‍यक्ष होता है, जबकि संयुक्त सचिव स्‍थायी वित्त समिति‍का अध्‍यक्ष होता है।
  • वैज्ञानिक/अनुसंधान कार्यक्रम, वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड एवं वैज्ञानिक सलाहकार समूह के द्वारा संचालित/पर्यवेक्षि‍त किये जाते हैं।

CCRAS के उद्देश्य

  • आयुर्वेद में अनुसंधान का विकास उपक्रम, समन्‍वय, सहायता एवं अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिये CCRAS को गतिशील, जीवंत एवं आदर्श अनुसंधान संगठन के रूप में विकसित करना।
  • प्रचलित वैज्ञानिक निधियों द्वारा आयुर्वेद वैज्ञानिक निधि के अन्वेषण हेतु आधुनिक वैज्ञानिक ज्ञान तकनीक का विकास करना।
  • जीवन शैली से संबंधित उभरते मुख्य रोगों की रोकथाम एवं उपचार तथा स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु अनुसंधान में वैश्विक नेतृत्‍व प्रदान करना।