प्रीलिम्स फैक्ट्स : 14 फरवरी, 2018
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
1 मई, 2016 को श्रमिक दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले में प्रधानमंत्री उज्जवला योजना की शुरुआत की गई।
उद्देश्य
- इस योजना का उद्देश्य अगले तीन वर्षो में गरीबी रेखा से नीचे के पाँच करोड़ बीपीएल (Below Poverty Line-BPL) महिलाओं को रसोई गैस का कनेक्शन प्रदान करना है। हालाँकि हाल ही में पेश केंद्रीय बजट में इस लक्ष्य को 5 करोड़ से बढ़ाकर 8 करोड़ करने का प्रस्ताव किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- इस योजना को तीन साल (2019) में पूरा करने का लक्ष्य तय किया जाएगा।
- इस योजना के तहत केंद्र सरकार पात्र बीपीएल परिवारों को एलपीजी कनेक्शन के लिये 1,600 रुपए की वित्तीय सहायता देगी।
- योजना के तहत एलपीजी कनेक्शन परिवारों की महिलाओं को नाम पर दिया जाएगा।
- सरकार गैस स्टोव प्रदान करने और सिलेंडर भरवाने की लागत को पूरा करने के लिये ईएमआई की सुविधा भी प्रदान करेगी।
- इस योजना को भारत सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अंतर्गत चलाया जाएगा।
- केंद्र सरकार पात्र बीपीएल परिवारों की पहचान राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों के परामर्श से करेगी।
- वर्तमान में देश में 16.64 करोड़ सक्रिय एलपीजी उपभोक्ता हैं और इनमें से अधिकांश शहरी एवं अर्ध-शहरी क्षेत्रों में हैं। गरीब परिवारों तक स्वच्छ ईंधन (एलपीजी) की पहुँच सीमित है।
- 4 दिसंबर, 2017 को 3.2 करोड़ से अधिक बीपीएल महिलाओं को नए एलपीजी कनेक्शन दिये जा चुके हैं। इनमें से 30.5 प्रतिशत और 13.3 प्रतिशत कनेक्शन क्रमश: अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के वर्गों को दिये गए हैं।
एलपीजी पंचायत योजना
हाल ही में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा एलपीजी पंचायत का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य एलपीजी उपभोक्ताओं को एक-दूसरे से बातचीत करने, एक-दूसरे से सीखने तथा अनुभव साझा करने के लिये मंच प्रदान करना है।
मुख्य बिंदु
- प्रत्येक एलपीजी पंचायत में लगभग 100 एलपीजी उपभोक्ता एलपीजी के सुरक्षित और सतत् उपयोग, इसके लाभ और खाना पकाने में स्वच्छ ईंधन तथा महिला सशक्तिकरण के बीच संबंध पर चर्चा करने के लिये अपने निवास के नज़दीक एकत्रित होते हैं।
- पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय का लक्ष्य 31 मार्च, 2019 से पहले देशभर में ऐसी एक लाख पंचायतें आयोजित करने की है।
- इन पंचायतों में हर क्षेत्र में काम कर रही महिलाओं की मदद भी ली जा रही है।
- इसमें आंगनवाडी, समाज सेवा, राजनीति के क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं को भी शामिल किया जा रहा है।
- एलपीजी पंचायतों के ज़रिये देश के दूरदराज़ के क्षेत्रों में भी जागरूकता बढ़ाने में मदद मिलेगी क्योंकि एलपीजी उनके द्वारा उपयोग में लाए जा रहे पारंपरिक उर्जा से सस्ती भी है और स्वच्छ भी।
- एलपीजी पंचायतों में इस बात पर बल दिया जाता है कि एलपीजी का इस्तेमाल न सिर्फ सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिये बेहतर है, बल्कि आस-पास के पर्यावरण को भी स्वच्छ रखने में मददगार होता है।
- उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का मुख्य उद्देश्य अशुद्ध ईंधन पर खाना बनाने की वज़ह से होने वाली मृत्यु-दर में कमी लाना और अशुद्ध ईंधन के जलने की वज़ह से बढ़ रहे वायु प्रदूषण को कम करना है।
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ट्यूमर के खात्मे हेतु नैनो रोबोट
अमेरिका स्थित एरिजोना यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा ऐसे नैनो रोबोट विकसित करने में सफलता हासिल की गई है जो ट्यूमर को नष्ट कर कैंसर का उपचार करने में सक्षम हैं। इन नैनो रोबोट को डीएनए ओरिगैमो विधि के अंतर्गत डीएनए शीट से विकसित किया गया है।
रोबोट का आकार
- 90 नैनोमीटर लंबाई और 60 नैनोमीटर चौड़ाई।
प्रमुख विशेषताएँ
- इसकी सतह से रक्त प्रवाह को रोकने वाले एंजाएम थ्रॉम्बिन को संबद्ध किया गया है। इसे जोड़ने का सबसे अहम कारण यह है कि थ्रॉम्बिन ट्यूमर में रक्त के प्रवाह को रोक देता है। इससे ट्यूमर पूरी तरह से नष्ट हो जाता है।
- जैसा कि हम जानते है कि कैंसर के उपचार के लिये रेडिएशन और कीमोथेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया में कई बार स्वस्थ उतकों के नष्ट होने का खतरा बना रहता है।
- यह एक बेहद महत्त्वपूर्ण खोज है। बाल से हज़ार गुना छोटे आकार के रोबोट को शरीर में प्रवेश कराकर ट्यूमर में रक्त के प्रवाह को रोका जा सकता है।
- वस्तुतः ट्यूमर में रक्त का प्रवाह रुकने के साथ ही इन नैनो रोबोट का प्रयोग आणविक भार का शरीर में परिवहन कराने के लिये भी किया जा सकता है।
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तवांग का रोडोडेंड्रॉन पार्क (Tawang gets rhododendron park)
तवांग की घटती रोडोडेंड्रॉन प्रजातियों को संरक्षित करने के लिये अरुणाचल प्रदेश के तवांग ज़िले में एक रोडोडेंड्रॉन पार्क की स्थापना की जा रही है। इस पार्क में रोडोडेंड्रॉन की तकरीबन 30 प्रजातियों को संरक्षित किया जाएगा।
- इसके अंतर्गत बहुत सी अन्य सुविधाओं के साथ-साथ एक आधुनिक नर्सरी, एक सूचना केंद्र, आराम करने हेतु शेड और एक पार्किंग सुविधा का भी निर्माण किया जाएगा।
रोडोडेंड्रॉन क्या है?
- उप-उष्णकटिबंधीय जंगलों की अल्पाइन झाड़ियों में विभिन्न प्रकार के रोडोडेंड्रॉन वृक्ष पाए जाते हैं, ये बौनी झाड़ियों से लेकर बड़े पेड़ों तक किसी भी रूप में हो सकते हैं।
- रोडोडेंड्रॉन की सबसे छोटी प्रजाति आर. नीवल और आर. पुमिलुम सिर्फ 10 से 50 सेंटीमीटर लंबी होती है।
- इसके विपरीत सबसे बड़ी प्रजाति आर. आर्बोरेटम 40 मीटर तक लंबी हो जाती है।
- रोडोडेंड्रॉन (Rhododendron), झाड़ी अथवा वृक्ष के समान ऊँचाई वाला पौधा होता है, इसे एरिकेसिई कुल (Ericaceae) में शामिल किया जाता है।
- वृक्ष की सुंदरता और सुंदर गुच्छेदार फूलों के कारण यूरोप में इसे वाटिकाओं में भी लगाया जाता है।
- आरबोरियम रोडोडेंड्रॉन (Rorboreum) अपने सुंदर चमकदार गाढ़े लाल रंग के फूलों के लिये प्रसिद्ध है।
- पश्चिम हिमालय पर इसकी कुल चार प्रजातियाँ पाई जाती हैं। जबकि, दक्षिण भारत में इसकी केवल एक प्रजाति रोडोडेंड्रॉन निलगिरिकम (R. Nilagiricum) नीलगिरि पर्वत पर पाई जाती है।
- इसकी लकड़ी अधिकतर जलाने के काम आती है। कुछ अच्छी लकड़ियों से सुंदर फर्नीचर जैसे अल्मारियाँ आदि भी बनाई जाती हैं।
- इसके अतिरिक्त, इसके फूलों को एक विशेष प्रकार की ौषधि के रूप में भी प्रयुक्त किया जाता है।
ये कहाँ पाए जाते हैं?
- पूर्वी हिमालय के ठंडे, नम ढलानों और गहरी घाटियों वाले क्षेत्र रोडोडेंड्रॉन प्रजातियों की उत्कृष्ट वृद्धि के लिये सबसे उपयुक्त आवास होते है।
- भारत में अरुणाचल प्रदेश रोडोडेंड्रॉन की 119 टैक्सा (74 प्रजातियों, 21 उप-प्रजातियों और 24 किस्मों) के साथ सबसे अधिक संख्या वाला राज्य है।
- इसके आलावा सिक्किम जैसा छोटा राज्य भी 42 टैक्सा (25 प्रजातियों, 11 उप-प्रजातियों और 6 किस्मों) के साथ दूसरे स्थान पर आता है।
- इसके बाद इस क्रम में 11 टैक्सा के साथ नागालैंड का स्थान आता है।
- इसके अतिरिक्त उत्तर-पूर्व के मणिपुर में 10 टैक्सा एवं मिज़ोरम में 4 टैक्सा पाई जाती हैं।
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