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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 13 दिसंबर, 2017

  • 13 Dec 2017
  • 8 min read

3D प्रिंटेड बायो इंक
(Living materials' 3D-printed using bio ink)

वैज्ञानिकों द्वारा बैक्टीरिया-भारित स्याही (bacteria-loaded inks) का उपयोग करके तीन-आयामी (3D) 'जीवित पदार्थ’ (living materials) को मुद्रित किया गया है। इस नए मुद्रित पदार्थ को "फंक्शनल लिविंग इंक" अथवा "फ्लिंक" (functional living ink – Flink) का नाम दिया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • हाल ही में ‘साइंस एडवांस’ (Science Advances) जर्नल में प्रकाशित इस तकनीक में बैक्टीरिया स्यूडोमोनस पुटिडा (Pseudomonas putida) और एक्टोबैक्टर ज़ाइलेनम (Acetobacter xylinum) का इस्तेमाल किया गया।
  • यह बैक्टीरिया सेलूलोज़ (bacterial cellulose) न केवल दर्द से राहत प्रदान करता है और नमी को बरकरार रखता है, बल्कि जले के उपचार में संभावित अनुप्रयोगों के लिये भी विकल्प प्रदान करता है। 
  • यह स्याही एक जैव-संगत हाइड्रोजेल से निर्मित है जो इसे संरचनात्मक रूप प्रदान करती है।
  • हाइड्रोजेल (Hydrogel) को हाइलूरोनिक एसिड (Hyaluronic Acid), लंबी श्रृंखला वाले चीनी के अणुओं (long-chain sugar molecules) और पायरोजेनिक सिलिका (Pyrogenic Silica) से तैयार किया जाता है। 
  • इस हाइड्रोजेल को एक आधार के रूप में इस्तेमाल करते हुए शोधकर्त्ताओं ने "गुणों की श्रेणी" (Range of Properties) के साथ वांछित जीवाणुओं को संबद्ध किया, फिर उसकी सहायता से एक तीन-आयामी संरचना को प्रिंट किया गया।

 राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस
(National Energy Conservation Day)

विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (Bureau of Energy Efficiency - BEE) ऊर्जा दक्षता और संरक्षण के महत्त्व के बारे में जन जागरूकता फैलाने के लिये प्रतिवर्ष 14 दिसंबर को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस (National Energy Conservation Day) के रूप में मनाया जाता है। 

  • जागरूकता फैलाने के रूप में बी.ई.ई. ऊर्जा उपभोग को कम करने में उद्योगों के प्रयासों को मान्यता प्रदान करने तथा उन्हें प्रोत्साहित करने के लिये राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार प्रदान करता है। 
  • इस अवसर पर “राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार” प्रदान किये जाते है। 
  • ये पुरस्कार भारत सरकार के विद्युत् मंत्रालय के तत्त्वाधान में ऊर्जा की महत्ता के बारे में जागरूकता बढ़ाने वाले उपकरणों तथा प्रणालियों के उपयोग एवं संरक्षण के क्षेत्र में प्रदान किये जाते है। 

नाविका सागर परिक्रमा

भारतीय नौसेना का नौकायन पोत (Indian Naval Sailing Vessel - INSV) तारिणी 12 दिसंबर, 2017 को आगे की यात्रा के लिये पोर्ट स्टेनले (फॉकलैंड्स) से रवाना हो गया है। हाल ही में भारतीय नौसेना के पोत वाहक जहाज़ तारिणी (आईएनएसवी) तारिणी को गोवा से रवाना किया गया था। 

  • गोवा के आईएनएस मंडोवी नौका पूल से रवाना किये गए इस पोत की विशेषता यह है कि इसमें सभी महिला क्रू शामिल हैं। 
  • यह पूरे संसार की पहली भारतीय जल यात्रा है जिसमें चालक दल की सभी सदस्य महिलाएँ हैं। वे गोवा से अपनी जल यात्रा की शुरुआत कर रही हैं और संसार की जल यात्रा को पूरा करने के बाद उनके मार्च 2018 में गोवा वापस लौट आने की उम्मीद है।

प्रमुख बिंदु

  • यह भारत सरकार का एक विशिष्ट प्रकार का अभियान है, जिसके अंतर्गत हाल ही में (10 सितंबर को)  भारतीय नौसेना की महिला अधिकारियों की एक टीम ने स्वदेश निर्मित पाल नौका (सैल बोट) आई.एन.एस.वी. (INSV - Indian Naval Sailing Vessel) ‘तारिणी’ पर सवार होकर विश्व की परिक्रमा करने के लिये प्रस्थान किया। 
  • यह देश के लिये अब तक का पहला अवसर है, जब सर्व-महिला चालक दल द्वारा इस प्रकार के अभियान को कार्यान्वित किया जा रहा है। इस अभियान के अप्रैल 2018 तक पूर्ण होने की संभावना है, जिसके अंतर्गत इसे पाँच चरणों में संपन्न किया जाएगा। 
  • इस दौरान यह ऑस्ट्रेलिया के फ्रीमेंटल, न्यूज़ीलैंड के लिटलेटन, फॉकलैंड्स के पोर्ट स्टेनले और दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन बंदरगाहों पर रुकेगा। 
  • इस अभियान का विषय ‘नाविका सागर परिक्रमा’, महिलाओं का उनकी अंतर्निहित शक्ति के ज़रिये सशक्तीकरण किये जाने की राष्ट्रीय नीति के अनुरूप है। 

उद्देश्य

  • इसका उद्देश्य भारत में महिलाओं के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण और सोच में बदलाव लाना है। समुद्री यात्रा में पर्यावरण लाभकारी, गैर-परपंरागत ऊर्जा स्रोतों के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा। इस अभियान का उद्देश्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाना भी है। 
  • साथ ही, इसे नौसेना में ‘महासागर में नौकायन’ की गतिविधियों को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल के रूप में समझा जा रहा है। 

लक्ष्य

  • इसके अतिरिक्त इस अभियान के अन्य निहित लक्ष्य निम्नलिखित हैं-  
    ⇒ नारी शक्ति।
    ⇒ पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन।
    ⇒ मेक इन इंडिया।
    ⇒ मौसम/महासागर/वेब डेटा आब्ज़र्वेशन। 
    ⇒ समुद्री प्रदूषण। 
    ⇒ स्थानीय पी.आई.ओ. के साथ संवाद आदि। 

दूसरा विश्व पर्यटन व संस्कृति सम्मेलन

11-12 दिसम्बर, 2017 को ओमान की राजधानी मस्कट में संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन/ यूनेस्को द्वारा दूसरे विश्व पर्यटन व संस्कृति सम्मेलन का आयोजन किया गया। भारत की और से केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा इस सम्मेलन में भाग लिया गया। इस वर्ष इस सम्मेलन का मुख्य विषय “सतत् पोषणीय विकास” है। 

सम्मेलन के अन्य मुख्य विषय हैं –

  • शान्ति व समृद्धि के घटक के रूप में संस्कृति और पर्यटन का विकास। 
  • आर्थिक विकास के साथ-साथ सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण।
  • शहरी विकास व रचनात्मकता को सुनिश्चित करना।
  • संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्र में सांस्कृतिक स्थलों की पहचान करना।
  • इन सबके अतिरिक्त इस सम्मेलन में वर्ष 2030 के एस.डी.जी. के एजेंडे को प्राप्त करने पर भी बल दिया गया।
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