प्रीलिम्स फैक्ट्स : 13 जनवरी, 2018 | 13 Jan 2018
आधार के लिये नई सुरक्षा परत
आधार कार्ड की सुरक्षा और निजता पर आलोचनाओं के चलते भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने इसकी सुरक्षा के लिये वर्चुअल आईडी नामक नए सुरक्षा प्रावधान को शुरू करने की घोषणा की है।
प्रमुख बिंदु
- भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने 1 जून, 2018 से वर्चुअल आईडी ‘(Virtual ID-VID) की अवधारणा को लागू करने का फैसला किया है। इसके तहत अब मोबाइल सिम या बैंक खाते को आधार से लिंक करने या अन्य कार्यों के लिये 12 अंकों का अपना आधार नंबर बताना अनिवार्य नहीं होगा
- इसके स्थान पर 16 अंकों की वर्चुअल आईडी से सारी प्रक्रियाएँ पूरी की जा सकेंगी। आधार कार्डधारक इस आईडी को प्राधिकरण की वेबसाइट के ज़रिये प्राप्त कर सकेंगे।
- इस आईडी की प्रमुख विशेषता यह है कि इसकी वैधता एक निश्चित अवधि के लिये ही होगी और वर्चुअल आईडी का दोबारा प्रयोग नहीं किया जा सकेगा। इससे इसका दुरुपयोग होने की संभावना कम हो जाएगी। प्रयोक्ता जितनी बार चाहे उतनी बार वर्चुअल आईडी प्राप्त कर सकेंगे।
- इसके जरिये संबंधित व्यक्ति के बारे में सीमित जानकारियाँ ही प्राप्त की जा सकेंगी। इससे सीमित केवाईसी (Know Your Customer-KYC) की व्यवस्था लागू हो पाएगी। इससे केवल व्यक्ति के नाम, पता और फोटो तक ही पहुँच मिल सकेगी।
- प्राधिकरण के अनुसार, इसके लिये आवश्यक सॉफ्टवेयर को 1 मार्च तक विकसित कर लिया जाएगा और 1 जून से इसे अनिवार्य रूप से लागू कर दिया जाएगा। इस समयावधि में प्राधिकरण से संबद्द एजेंसियों को इसे अपनाना होगा।
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण
- भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (Unique Identification Authority of India-UIDAI) एक सांविधिक प्राधिकरण है।
- इसकी स्थापना भारत सरकार द्वारा आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं के लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016 (“आधार अधिनियम, 2016”) के प्रावधानों के द्वारा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत दिनांक 12 जुलाई, 2016 को की गई।
- प्राधिकरण का मुख्यालय नई दिल्ली में है और देशभर में इसके आठ क्षेत्रीय कार्यालय हैं। UIDAI के दो डेटा सेंटर, हेब्बल (बेंगलुरु) कर्नाटक में और मानेसर (गुरुग्राम) हरियाणा में है।
- UIDAI की स्थापना भारत के सभी निवासियों को “आधार” नाम से एक विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान करने हेतु की गई थी ताकि इसके द्वारा दोहरी और फ़र्जी पहचान समाप्त की जा सके और उसे आसानी से एवम् किफायती लागत में सत्यापित और प्रमाणित किया जा सके।
- एक सांविधिक प्राधिकरण के रूप में अपनी स्थापना से पूर्व यह तत्कालीन योजना आयोग (अब नीति आयोग) के एक संबद्द कार्यालय के रूप में कार्य कर रहा था। बाद में सरकार द्वारा सरकारी कार्य आवंटन नियमों में संशोधन करके 12 सितम्बर, 2015 को UIDAI को तत्कालीन सूचना और प्रौद्योगिकी विभाग के साथ संबद्द कर दिया गया।
प्रमुख बिंदु
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