राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने पर नई दिल्ली में रजत जयंती समारोह का आयोजन किया जा रहा है।
पृष्ठभूमि
- राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की स्थापना वर्ष 1993 में मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत की गई थी।
- यह मानवाधिकारों के संरक्षण के क्षेत्र में भारत की सर्वोच्च संस्था है जो भारतीय संविधान एवं अंतर्राष्ट्रीय संधियों के आधार पर व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता, गरिमा जैसे मानवाधिकारों के सरंक्षण एवं प्रसार का कार्य करती है।
- आयोग में एक अध्यक्ष जो कि सुप्रीम कोर्ट का सेवारत अथवा पूर्व मुख्य न्यायाधीश होता है, सदस्य के तौर पर एक सुप्रीम कोर्ट का सेवारत अथवा पूर्व न्यायाधीश, एक अन्य सदस्य के तौर पर हाईकोर्ट का सेवारत अथवा पूर्व मुख्य न्यायाधीश शामिल होते हैं। साथ ही मानव अधिकार के क्षेत्र में विशेष जानकारी रखने वाले दो व्यक्तियों को भी सदस्य के तौर पर नियुक्त किया जाता है।
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय समिति की सिफारिशों पर राष्ट्रपति द्वारा अध्यक्ष और सदस्य नियुक्त किये जाते हैं।
- लोक संहिता प्रक्रिया, 1908 (code of civil procedure, 1908) के अधीन आयोग को सिविल न्यायालय की समस्त शक्तियाँ प्राप्त हैं।
- आयोग किसी पीड़ित अथवा उसकी ओर से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दायर किसी याचिका पर स्वयं सुनवाई एवं कार्यवाही कर सकता है।
- इसके अलावा, आयोग न्यायालय की स्वीकृति से न्यायालय के समक्ष लंबित मानवाधिकारों के प्रति हिंसा संबंधी किसी मामले में हस्तक्षेप कर सकता है।
- आयोग संबंधित अधिकारियों को पूर्व सूचित करके किसी भी कारागार का निरीक्षण कर सकता है।
यह आयोग मानवाधिकारों से संबंधित संधियों इत्यादि का अध्ययन करता है तथा उन्हें और अधिक प्रभावी बनाने हेतु आवश्यक सुझाव भी देता है।
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