शासन व्यवस्था
प्रीलिम्स फैक्ट्स : 12 मई, 2018
- 12 May 2018
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भारत रत्न मृणालिनी साराभाई
गूगल ने भारत रत्न विजेता, नृत्यांगना एवं कोरियोग्राफर मृणालिनी साराभाई को डूडल बनाकर याद किया है। मृणालिनी साराभाई को यह सम्मान उनके 100वें जन्मदिवस पर दिया गया।
- मृणालिनी साराभाई का जन्म 11 मई, 1918 को केरल में हुआ था। इनके पिता मद्रास हाईकोर्ट में वकील थे।
- मृणालिनी साराभाई को वर्ष 1965 में पद्मश्री और 1992 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था।
- मृणालिनी को बचपन से ही नृत्य का बहुत शौक था जिसके चलते उनकी माँ ने उन्हें प्रशिक्षण के लिये बचपन में ही स्विटज़रलैंड भेज दिया था।
- मृणालिनी साराभाई का काफी समय रबींद्रनाथ टैगोर की देख-रेख में बीता, उन्होंने शांति निकेतन से अध्ययन भी किया।
- 24 वर्ष की आयु में उन्होंने विक्रम साराभाई से विवाह किया। आपको बता दें कि विक्रम साराभाई को भारत के दिग्गज वैज्ञानिकों और शोधकर्त्ताओं में शामिल किया जाता है। उन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक भी कहा जाता है।
- वर्ष 1948 में मृणालिनी ने अहमदाबाद में एक अकादमी की शुरुआत की जिसका नाम उन्होंने 'दर्पण' रखा।
- उन्होंने बहुत से उपन्यास लिखने के साथ-साथ नाटक लेखन का भी काम किया।
- इसके अतिरिक्त उन्होंने एक आत्मकथा भी लिखी।
- 87 वर्ष की उम्र में अहमदाबाद में उनका निधन हो गया था।
दशकों से अनदेखी तितलियाँ फिर से वापस आईं
अरुणाचल प्रदेश की दिबांग घाटी में स्थित निचली दिबांग घाटी ज़िले में (जहाँ विवादास्पद दिबांग बांध का निर्माण प्रस्तावित है) काले रंग की तथा पवनचक्की के समान आकृति वाली तितली (Byasa crassipes) पाई गई है।
- अब तक इस तितली का उल्लेख केवल दो पुस्तकों- 1913 में ईस्ट इंडिया कंपनी के फ्रेडरिक मूर द्वारा भारत की तितलियों पर एक पुस्तक ‘10-वॉल्यूम लेपिडोप्टेरा इंडिका’ (10-volume Lepidoptera Indica) तथा 1939 में जॉर्ज टैलबोट द्वारा लिखित ‘द फॉन ऑफ ब्रिटिश इंडिया’ (The Fauna of British India) में किया गया है।
- उसके बाद यह तितली भारत में कभी नहीं देखी गई थी।
- इससे पहले 2012 में भी हिमाचल प्रदेश के दरंघती वन्य जीव अभयारण्य में असामान्य दुर्लभ प्रजाति की तितली (Hestina nicevillei) की उपस्थिति दर्ज की गई थी।
- ऐसा पहली बार हुआ है जब इन प्रजातियों की तस्वीर ली गई और 1917 से अब तक इन्हें भारत में पहली बार देखा गया है।
- तितली की ये दोनों प्रजातियाँ भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (1972) की अनुसूची 1 (जो कीटों के लिये भी बाघों के समान सुरक्षा सुनिश्चित करती है) के तहत सूचीबद्ध हैं।
- तितलियों के अवलोकन वाले स्थलों को प्रायः ‘भारत की तितलियाँ’ (Butterflies of India) के अंतर्गत सार्वजनिक किया जाता है जहाँ दोनों प्रजातियों की पुनः प्राप्ति को सूचीबद्ध किया गया है।
वैज्ञानिकों ने एक ऐसे एक्सोप्लैनेट का पता लगाया है जिसके वायुमंडल में बादल नहीं हैं। इस खोज से हमारे सौरमण्डल के बाहर के ग्रहों के बारे में जानकारी प्राप्त करने में मदद मिल सकेगी
- इस एक्सोप्लैनेट को WASP-96B नाम दिया गया है।
- इसका अध्ययन बेहद शक्तिशाली 8.2 M टेलीस्कोप की मदद से किया गया।
- WASP-96B के स्पेक्ट्रम में पूर्ण रूप से सोडियम की उपस्थिति प्रदर्शित हुई। ऐसा तभी हो सकता है जब वायुमंडल में बादल न हों।
- WASP-96B गर्म गैसों से भरा हुआ है।
- इसका द्रव्यमान शनि (Saturn) के बराबर, जबकि आकार बृहस्पति (Jupiter) से 20 गुना बड़ा है।
- यह एक्सोप्लैनेट दक्षिणी नक्षत्र फीनिक्स से 980 प्रकाश वर्ष दूर स्थित सूर्य के समान किसी तारे का चक्कर काट रहा है।
- गौरतलब है कि ये वैज्ञानिक 20 से ज़्यादा एक्सोप्लैनेट की निगरानी कर रहे थे जिसमें से WASP-96B एकमात्र ऐसा एक्सोप्लैनेट था जिसका वायुमंडल पूरी तरह से बादलों से मुक्त है।
दक्षिण-पश्चिम रेलवे को मिली परिचालन संबंधी सुरक्षा शील्ड
बेहतर सुरक्षा के लिये दक्षिण-पश्चिम रेलवे के प्रयासों को मान्यता देते हुए दक्षिण पश्चिम रेलवे को 2017-18 के लिये सुरक्षा शील्ड प्रदान की गई। गौरतलब है कि दक्षिण-पश्चिम रेलवे ने ट्रेनों के परिचालन से संबंधित सभी क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ आँकड़े प्रदर्शित किये।
- दक्षिण-पश्चिम रेलवे में दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आई है।
- 2014 में इस मंडल में 11, 2015-16 में 8, 2016-17 में 3 और 2017-18 में केवल 1 दुर्घटना हुई।
- दक्षिण-पश्चिम रेलवे द्वारा बजटीय व्यय को कुछ वर्ष पहले 1000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर करीब 3000 करोड़ रुपए किया गया।
- सभी मानव रहित फाटकों पर 24 घंटे गेट मित्रों की तैनाती की गई।
- 2017-18 में आरओबी/आरयूबी/सबवे के निर्माण द्वारा 27 मानव रहित फाटकों को हटाया गया।
- मंत्रालय ने राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष की स्थापना 2017-18 के बजट में की थी।
- इसके अंतर्गत दक्षिण-पश्चिम रेलवे ने 2017-18 में 687 करोड़ रुपए का कोष बनाया।
- सुरक्षा मद्देनज़र इस कोष की अधिकांश राशि पटरियों को नए सिरे से बनाने और उनके उन्नयन में खर्च की जा रही है।
दक्षिण-पश्चिम रेलवे
- यह भारतीय रेल की एक इकाई है। इसकी स्थापना 1 अप्रैल 2003 को हुई थी। इसका मुख्यालय हुबली में स्थित है।