प्रीलिम्स फैक्ट्स: : 12 अप्रैल, 2018
वास्तविक समय पर जन शिकायतों की निगरानी हेतु ऑनलाइन डैशबोर्ड
केन्द्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय (Ministry of Personnel, Public Grievances & Pensions) द्वारा प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (Department of Administrative Reforms and Public Grievances - DARPG) द्वारा विकसित एक ऑनलाइन डैशबोर्ड लॉन्च किया गया। यह डैशबोर्ड वास्तविक समय पर लोक अथवा जन शिकायतों की निगरानी करेगा और समय-समय पर प्रणालीगत सुधारों की प्रगति की समीक्षा करेगा।
- सुव्यवस्थित सुधारों और उनकी निगरानी के उन पैमानों को डैशबोर्ड पर दर्शाया जाता है, जो जन शिकायतों के मसलों से जुड़े होते हैं। इससे संबंधित मंत्रालयों/विभागों को इन सुधारों की निगरानी करने में मदद मिलेगी।
- इस डैशबोर्ड के लिये प्रमुख (नोडल) विभाग डीएआरपीजी है।
- यह विभिन्न पहलों के क्रियान्वयन की निगरानी करने में संबंधित मंत्रालयों/विभागों के लिये भी मददगार साबित होगा और उन्हें आवश्यक जानकारियाँ (इनपुट) उपलब्ध कराएगा।
- इस अवसर पर ‘सुव्यवस्थित सुधारों एवं जन शिकायतों की निगरानी’ पर परियोजना निगरानी रिपोर्ट के साथ-साथ ‘शिकायत डेटा विश्लेषण, CPENGRAMS (Centralized Pensioners Grievance Redress And Monitoring System - CPENGRAMS) एवं प्रणालीगत सुधार संबंधी सिफारिशों के अध्ययन’ और ‘अनुभव पोर्टल के लिये सिफारिशों’ पर भी रिपोर्ट जारी की गई।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना
8 अप्रैल को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री द्वारा माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट रिफाइनेंस एजेंसी (MUDRA) बैंक की शुरुआत की गई। वित्त वर्ष 2015-16 के बजट में 20,000 करोड़ रुपए की पुनर्वित्त राशि और 3,000 करोड़ रुपए की साख गारंटी राशि के साथ एक सूक्ष्म इकाई विकास पुनर्वित्त एजेंसी (मुद्रा) बैंक के सृजन का प्रस्ताव रखा गया था।
- ‘मुद्रा' का मुख्य कार्य प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तत्वावधान में सूक्ष्म व्यवसायों/इकाइयों को दिये जाने वाले कर्जों के लिये पुनर्वित्त सुविधा मुहैया करना है।
- इसके तहत उत्पादों को शिशु, किशोर एवं तरुण श्रेणियों के अंतर्गत कवर किया जाएगा, जो लाभार्थी सूक्ष्म इकाई (उद्यमी) के विकास एवं वित्त संबंधी जरूरतों के चरण को रेखांकित करेंगा।
♦ शिशु : इसके तहत 50,000 रुपए तक के कर्ज़ों को कवर किया जाएगा। ♦ किशोर : इसके तहत 50,000 रुपए से ज़्यादा और 5 लाख रुपए तक के कर्ज़ों को कवर किया जायेगा। ♦ तरुण : इसके तहत 5 लाख रुपए से ज़्यादा तथा 10 लाख रुपए तक के कर्ज़ों को कवर किया जाएगा।
- इसके तहत जो व्यवसाय/उद्यम/इकाइयाँ कवर होंगी, उनमें ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में छोटी विनिर्माण इकाइयों, दुकानदारों, फल/सब्जी विक्रेताओं, सैलून, ब्यूटी पार्लर, ट्रांसपोर्टरों, ट्रक ऑपरेटरों, मशीन ऑपरेटरों, छोटे उद्योगों, कारीगरों, स्वयं सहायता समूहों, प्रोफेशनल, सेवा प्रदानकर्त्ताओं इत्यादि के रूप में स्वयं संचालन करने वाली स्वामित्व (प्रोप्राइराइटरशिप)/भागीदारी फर्म शामिल होंगी और जिनकी वित्त पोषण संबंधी आवश्यकता 10 लाख रुपए तक की होगी।
- 'मुद्रा' की स्थापना से न केवल बैंकिंग सुविधाओं से वंचित उद्यमियों को वित्त मुहैया कराने में मदद मिलेगी, बल्कि इससे असंगठित सूक्ष्म/छोटे उद्यमी क्षेत्र को वित्त पोषकों से मिलने वाले वित्त की लागत भी घट जाएगी।
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ज्योतिराव गोविंदराव फुले
11 अप्रैल को 19वीं सदी के महान भारतीय विचारक, समाजसेवी, लेखक, दार्शनिक और क्रांतिकारी कार्यकर्त्ता ज्योतिराव गोविंदराव फुले की जयंती थी। 11 अप्रैल, 1827 को महाराष्ट्र में निचली जाति में जन्मे फुले को महात्मा फुले और ज्योतिबा फुले के नाम से जाना जाता है।
- ज्योतिबा फुले ने ब्राह्मणों की धार्मिक सत्ता के खिलाफ जीवन भर आंदोलन चलाया। वे आधुनिक शिक्षा को निचली जातियों की मुक्ति का सबसे प्रभावशाली अस्त्र मानते थे।
- वे ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने निचली जातियों की कन्याओं के लिये अनेक विद्यालय खोले।
- सितंबर 1873 में उन्होंने महाराष्ट्र में ‘सत्य शोधक समाज’ नामक संगठन का गठन किया।
- उन्होंने जितना मुखर विरोध बाल विवाह एवं ब्राह्मणवाद का किया उतने ही वे विधवा विवाह के पुरज़ोर समर्थक भी थे।
- समाज के सभी वर्गो को शिक्षा प्रदान करने के वे प्रबल समथर्क थे। वे भारतीय समाज में प्रचलित जाति पर आधारित विभाजन और भेदभाव के विरुद्ध थे।
- उन्होंने बिना किसी ब्राह्मण या पुरोहित के विवाह-संस्कार की प्रथा आरंभ की, साथ ही बाद में इसे बॉम्बे उच्च न्यायालय से मान्यता भी प्रदान कराई।
- महिलाओं व दलितों के उत्थान के लिये ज्योतिबा फुले ने अनेक कार्य किये। उन्होंने विधवाओं और महिलाओं के कल्याण के लिये भी काफी काम किया।
- स्त्रियों की दशा सुधारने और उनकी शिक्षा के लिये 1848 में एक स्कूल खोला। महिला शिक्षा के संदर्भ में यह देश का पहला विद्यालय था।
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रीढ़ की हड्डी की विकृतियों को ठीक करेगा नया आविष्कार
कोलंबिया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा शरीर को बाहर से मज़बूती प्रदान करने के लिये एक रोबोटिक स्पाइन एक्सोस्केलटन (रोस) विकसित किया गया है, इसे पहनकर रीढ़ की हड्डी की विकृतियों को सही किया जा सकता है। शरीर में ये विकृतियाँ रीढ़ की हड्डी के असामान्य टेढ़ेपन के कारण उत्पन्न होती हैं।
- वैज्ञानिक भाषा में इन विकृतियों को ‘इडियोपैथिक स्कोलियोसिस’ एवं ‘काईफोसिस’ कहा जाता है।
- नए रोबोटिक स्पाइन एक्सोस्केलटन (रोस) के उपयोग से रीढ़ की हड्डी की विकृतियों के उपचार की नई विधियाँ विकसित की जा सकती हैं।
- इन विकृतियों से पीड़ित बच्चों को पेट और कूल्हों के समीप ब्रेस लगाने की सलाह दी जाती है, चूँकि इस प्रकार के ब्रेस कठोर, स्थिर और असुविधाजनक होते हैं।
- लंबे समय तक ब्रेस का इस्तेमाल करने से त्वचा पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। साथ ही ये ब्रेस इलाज के दौरान शरीर में होने वाले परिवर्तनों के अनुसार स्वयं को ढालने में सक्षम नहीं हैं, यही वज़ह है कि ये बहुत प्रभावी नहीं होते हैं।
- अत: बहुत समय से वैज्ञानिकों द्वारा एक ऐसा उपकरण विकसित करने का प्रयास किया जा रहा था जिससे इस समस्या का स्थायी हल किया जा सके।
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