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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 12 जनवरी, 2018

  • 12 Jan 2018
  • 9 min read

आई.बी.एम. क्यू : यूनिवर्सल क्वांटम कंप्यूटिंग सिस्टम

  • ‘आई.बी.एम. क्यू’ एक ऐसी औद्योगिक पहल है जिसका उपयोग व्यवसाय और विज्ञान अनुप्रयोगों हेतु व्यावसायिक रूप से यूनिवर्सल क्वांटम कंप्यूटिंग सिस्टम बनाने के लिये किया जाता है।
  • इस प्रणाली का उपयोग तथा इसकी सेवाओं को आई.बी.एम. क्लाउड प्लेटफॉर्म के माध्यम से वितरित किया जाएगा। 
  • इस प्रणाली का उपयोग वैज्ञानिक अनुसंधान के लिये किया जाएगा।
  • इसके अतिरिक्त इसका इस्तेमाल विद्यार्थियों द्वारा शोध, अध्ययन इत्यादि में भी किया जा सकता है।

‘इंडिया @70 : दी जम्मू एंड कश्मीर सागा’

भारत में जम्मू एवं कश्मीर के विलय के 70 पूरे वर्ष हो जाने पर संस्कृति मंत्रालय द्वारा ‘इंडिया@70 : दी जम्मू एंड कश्मीर सागा’ (INDIA @ 70: THE JAMMU & KASHMIR SAGA) प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया। एक महीने चलने वाली इस प्रदर्शनी की रचना संस्कृति मंत्रालय के अधीन भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार (National Archives of India of Ministry of Culture) द्वारा की गई है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • जम्मू-कश्मीर भारत का एक अटूट अंग है और भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार द्वारा आयोजित इस प्रदर्शनी में उसके विलय को बहुत खूबसूरती के साथ पेश किया गया है।
  • इस संवादमूलक डिजिटल प्रदर्शनी के ज़रिये भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार का उद्देश्य यह है कि कश्मीर विवाद पर एक ऐतिहासिक प्रस्तुति की जाए, ताकि युवा पीढ़ी को इस विषय में संवेदनशील बनाया जाए तथा उन्हें हमारे सशस्त्र बलों तथा आम नागरिकों के राष्ट्र प्रेम, वीरता और बलिदान के प्रति जागरूक किया जाए।
  • प्रदर्शनी में दर्शकों का प्रवेश 1947-48 की वीथिका से होता है, जहाँ कश्मीर विवाद से संबंधित मूल पत्रों, टेलीग्रामों और दुर्लभ दस्तावेज़ देखने को मिलते हैं।
  • इन दस्तावेज़ों के साथ पुरानी तस्वीरें, दस्तावेज़ी नक्शे, सैन्य नक्शे, अखबारी रिपोर्टें और कश्मीर पर असंख्य पुस्तकें प्रदर्शित की गई हैं, जो पूरे इतिहास को दर्शाती हैं। 
  • इसमें विलय के बाद की कार्रवाइयों का भी ब्यौरा है, जो देश की अखंडता की सुरक्षा तथा जम्मू-कश्मीर में शांति बहाली के प्रयासों से संबंधित हैं।
  • इस प्रदर्शनी की सबसे अहम् बात यह है कि इसके अंतर्गत रक्षा मंत्रालय के इतिहास प्रभाग द्वारा जम्मू-कश्मीर अभियान, 1947-48 से संबंधित युद्ध डायरियों, संदेशों सहित अत्यंत दुर्लभ एवं मूल्यवान दस्तावेज़ों को आम जनता के लिये पहली बार पेश किया गया है।
  • इसके अतिरिक्त प्रदर्शनी में 11 मार्च, 1846 की लाहौर संधि, 16 मार्च, 1846 की अमृतसर संधि, 27 अक्तूबर, 1947 के विलय-समझौते एवं नव-स्वाधीन भारत और पाकिस्तान तथा नए राज्य में अपने विलय के पहले ब्रिटिश शासन के अधीन रजवाड़ों से संबंधित समझौतों को भी पेश किया गया हैं। 

विश्व का प्रथम स्थिर अर्द्ध-कृत्रिम जीव

हाल ही में वैज्ञानिकों द्वारा एक ऐसे अर्द्ध-कृत्रिम जीव को विकसित किया गया है जो दवाओं की खोज एवं अन्य अनुप्रयोगों में महत्त्वपूर्ण भूभिका निभा सकता है।

विशेषताएँ

  • यह एक एकल कोशिकीय जीव है।
  • इसकी सहायता से न केवल संश्लेषित आधार युग्मों पर पकड़ बनाए रखने में आसानी होगी, बल्कि उनका विखंडन करना भी आसान होगा।
  • वैज्ञानिकों के अनुसार, अक्सर देखा जाता है कि एक निश्चित समय के बाद जीवाणुओं द्वारा अपने डीएनए में अतिरिक्त सूचनाओं को संगृहित करने हेतु x एवं y आधार युग्मों को स्वयं से अलग कर दिया जाता है।
  • इस बात को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिकों द्वारा ‘न्यूक्लियोटाइड ट्रांसपोर्टर’ नामक एक उपकरण को विकसित किया गया है। 
  • यह उपकरण कोशिका झिल्ली के चारों ओर से अप्राकृतिक आधार युग्मों के निर्माण हेतु आवश्यक सामग्री को एकत्रित करता है।

सूर्य के जैसे दिखने वाले तारे की खोज

वैज्ञानिकों ने सूर्य के समान दिखने वाले किंतु रासायनिक संरचना में भिन्न तारे की खोज की है। इसके आधार पर सौर निकाय में परिवर्तनों और पृथ्वी के जलवायु पर प्रभाव का अध्ययन किया जा सकेगा।

प्रमुख बिंदु

  • प्रत्येक 11 वर्ष के समयांतराल में सूर्य की सतह पर वातावरण में परिवर्तनों के चक्र को सौर चक्र के रूप में जाना जाता है। इस सौर चक्र में सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र में विक्षोभ पैदा होने के कारण सूर्य की सतह पर गहरे रंग के धब्बे दिखने लगते हैं, जिन्हें सौर कलंक कहते हैं।
  • ये गहरे रंग के इसलिये दिखाई देते हैं क्योंकि इनका तापमान अपने आस-पास के तापमान से कम होता है।
  • सौर चक्र सौर डाइनेमो द्वारा संचालित होता है जो कि चुंबकीय क्षेत्र, संवहन और घूर्णन के बीच की परस्पर क्रिया है।
  • हालाँकि, सौर डाइनेमो में निहित भौतिकी को वैज्ञानिक पूर्णतया समझ नहीं पाए हैं। 
  • हाल ही में डेनमार्क के शोधकर्त्ताओं के नेतृत्व में एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने एक तारे की खोज की है जो सौर डाइनेमो में अंतर्निहित भौतिकी पर प्रकाश डालने में मदद कर सकता है।
  • यह तारा सूर्य की तरह ही दिखता है और इसका द्रव्यमान, त्रिज्या और उम्र भी सूर्य के समान है, किंतु इसकी रासायनिक संरचना बहुत अलग है।
  • इस तारे में सूर्य में पाए जाने वाले तत्त्वों से दोगुने ज़्यादा भारी तत्त्व पाए जाते हैं। भारी तत्त्व हाइड्रोजन और हीलियम से अधिक भारी होते हैं।
  • नए अध्ययन से यह समझने में मदद मिल सकती है कि समय के साथ सूर्य के विकिरण में किस प्रकार परिवर्तन हुआ जिसका असर पृथ्वी की जलवायु पर भी पड़ता है।
  • टीम ने केपलर अंतरिक्ष यान के प्रेक्षणों का लगभग 1978 से एकत्रित किये गए भू-आधारित प्रेक्षणों से मिलान कर इस तारे में 7.4 वर्षीय चक्र का निर्धारण करने में सफलता पाई है।
  • केपलर एक अंतरिक्ष वेधशाला है जिसे नासा द्वारा दूसरे तारों की परिक्रमा करने वाले पृथ्वी के आकार के ग्रहों की खोज के लिये 2009 में लॉन्च किया गया था।
  • प्रेक्षणों से यह पता चला है कि तारे के चुंबकीय क्षेत्र में देखे गए चक्र का आयाम सूर्य पर देखे जाने वाले चक्र से दोगुना मज़बूत है और दृश्य प्रकाश में यह और भी अधिक मज़बूत है।
  • इससे वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकाला है कि अधिक भारी तत्त्व अधिक मज़बूत चक्र का निर्माण करते हैं।
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