प्रीलिम्स फैक्ट्स: 11 अगस्त, 2018 | 11 Aug 2018
शून्य बजट प्राकृतिक खेती (ज़ेडबीएनएफ)
- शून्य बजट प्राकृतिक खेती (ज़ेडबीएनएफ) प्राकृतिक खेती विधियों के एक सेट को संदर्भित करती है, जहाँ फसलों की बुवाई और कटाई शून्य लागत प्रभावी ढंग से की जाती है।
- यह किसी भी उर्वरक, कीटनाशक या अन्य विदेशज तत्त्व को फसल और भूमि में उपयोग किये बिना प्राकृतिक रूप से फसलों की वृद्धि में विश्वास करती है।
- हाल ही में आंध्र प्रदेश और हिमाचल प्रदेश ने ज़ेडबीएनएफ में रुचि दिखाई है और संबंधित राज्यों में इस परियोजना को प्रोत्साहित भी किया जा रहा है।
- भारत की बढ़ती खाद्य ज़रूरतों को देखते हुए ज़ेडबीएनएफ, देश में खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिये एक सही कदम है।
लाभ
- यह प्रणाली मिट्टी और जल प्रदूषण संबंधी खतरे की जाँच करेगी और फसलों की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करेगी।
- यह खेती की शुरुआती लागत को कम करेगी जो अप्रत्यक्ष रूप से किसानों की आय को दोगुना करने हेतु सरकार के प्रयासों की मदद करेगी।
- यह प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग में योगदान देगी।
- इससे कृषि से प्राप्त जीडीपी के भाग में वृद्धि होगी।
- यह कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर पैदा कर सकती है।
- यह छुपे हुए भूख की समस्या को हल करेगा क्योंकि इस पद्धति के माध्यम से उत्पादित फसलें सूक्ष्म पोषक तत्त्वों से समृद्ध होगी।
एकल खिड़की हब ‘परिवेश’ लॉन्च
(PARIVESH: Pro-Active and Responsive facilitation by Interactive, Virtuous and Environmental Single-window Hub)
- प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने ‘विश्व जैव ईंधन दिवस’ के अवसर पर ‘परिवेश’ को लॉन्च किया है।
- ‘परिवेश’ एकीकृत पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली के लिये एकल खिड़की सुविधा प्रदान करता है।
- प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को ध्यान में रखते हुए इस सुविधा को विकसित किया गया है।
- इसमें न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन की भावना को भी शामिल किया गया है।
- परिवेश के माध्यम से प्रधानमंत्री के ई-शासन के सपने को पूरा करने का प्रयास किया गया है।
- परिवेश के माध्यम से पर्यावरण मंत्रालय, नियामक न होकर एक सुविधा प्रदान करने वाला मंत्रालय हो गया है।
- केंद्र, राज्य और ज़िला स्तर के विभागों द्वारा विभिन्न प्रकार की स्वीकृतियों के लिये (पर्यावरण, वन, वन्यजीव और तटीय क्षेत्र स्वीकृतियाँ ) आवेदन जमा करने, आवेदनों की निगरानी और मंत्रालय द्वारा प्रस्तावों का प्रबंधन करने की संपूर्ण प्रक्रिया ऑनलाइन हो गई है।
- राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केंद्र (एनआईसी), नई दिल्ली के तकनीकी सहयोग से पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इस प्रणाली को डिज़ाइन और विकसित किया है।
- ‘परिवेश’ की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता सभी प्रकार की स्वीकृतियों के लिये एकल पंजीयन है।