प्रीलिम्स फैक्ट्स : 11 जून 2018 | 11 Jun 2018
विश्व महासागर दिवस
चर्चा में क्यों?
8 जून को पूरी दुनिया में विश्व महासागर दिवस (World Ocean Day) के रूप में मनाया गया। यह दिवस महासागरों के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के लिये मनाया जाता है।
प्रमुख बिंदु
- विश्व महासागर दिवस मनाए जाने का प्रस्ताव 1992 में रियो डी जेनेरियो में आयोजित 'पृथ्वी ग्रह' नामक फोरम में लाया गया था।
- इसी दिन विश्व महासागर दिवस को हमेशा मनाए जाने की घोषणा भी की गई थी। लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ ने इससे संबंधित प्रस्ताव को 2008 में पारित किया था औऱ इस दिन को आधिकारिक मान्यता प्रदान की थी।
- पहली बार विश्व महासागर दिवस 8 जून, 2009 को मनाया गया था।
- इसका उद्देश्य केवल महासागरों के प्रति जागरुकता फैलाना ही नहीं बल्कि दुनिया को महासागरों के महत्त्व और भविष्य में इनके सामने खड़ी चुनौतियों से भी अवगत कराना है।
- इस दिन कई महासागरीय पहलुओं जैसे- सामुद्रिक संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग, पारिस्थितिक संतुलन, खाद्य सुरक्षा, जैव विविधता, तथा जलवायु परिवर्तन आदि पर भी प्रकाश डाला जाता है।
मॉरीशस करेगा विश्व हिंदी सम्मेलन की मेज़बानी
चर्चा में क्यों?
11वाँ विश्व हिंदी सम्मेलन 18-20 अगस्त, 2018 तक मॉरीशस में आयोजित किया जाएगा। इसका आयोजन विदेश मंत्रालय द्वारा मॉरीशस सरकार के सहयोग से किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन को मॉरीशस में आयोजित करने का निर्णय सितंबर 2015 में भारत के भोपाल शहर में आयोजित 10वें विश्व हिंदी सम्मेलन में लिया गया था।
- प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन वर्ष 1975 में नागपुर में किया गया था।
- विश्व के अलग-अलग भागों में ऐसे 10 सम्मेलनों का आयोजन किया जा चुका है।
- 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन के लिये विदेश मंत्रालय नोडल मंत्रालय है। सम्मेलन के व्यवस्थित एवं निर्बाध आयोजन के लिये विभिन्न समितियाँ गठित की गई हैं।
- सम्मेलन का मुख्य विषय "हिंदी विश्व और भारतीय संस्कृति" है।
- सम्मेलन का आयोजन स्थल "स्वामी विवेकानंद अंतर्राष्ट्रीय सभा केंद्र" पाई, मॉरीशस है।
- सम्मेलन स्थल पर हिंदी भाषा के विकास से संबंधित कई प्रदर्शनियाँ लगाई जाएंगी।
- परंपरा के अनुरूप सम्मेलन के दौरान भारत एवं अन्य देशों के हिंदी विद्वानों को हिंदी के क्षेत्र में उनके विशेष योगदान के लिये "विश्व हिंदी सम्मान” से सम्मानित किया जाएगा।
अब तक संपन्न हुए 10 विश्व हिंदी सम्मेलनों की सूची
क्रमांक | सम्मेलन | स्थान | सम्मेलन वर्ष |
1. | प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन | नागपुर, भारत | 10-12 जनवरी,1975 |
2. | द्वितीय विश्व हिंदी सम्मेलन | पोर्ट लुई, मॉरीशस | 28-30 अगस्त,1976 |
3. | तृतीय विश्व हिंदी सम्मेलन | नई दिल्ली, भारत | 28-30 अक्तूबर,1983 |
4. | चतुर्थ विश्व हिंदी सम्मेलन | पोर्ट लुई, मॉरीशस | 02-04 दिसंबर,1993 |
5. | पाँचवाँ विश्व हिंदी सम्मेलन | पोर्ट ऑफ स्पेन, ट्रिनिडाड एण्ड टोबेगो | 04-08 अप्रैल,1996 |
6. | छठा विश्व हिंदी सम्मेलन | लंदन, यू. के. | 14-18 सितंबर,1999 |
7. | सातवाँ विश्व हिंदी सम्मेलन | पारामारिबो, सूरीनाम | 06-09 जून, 2003 |
8. | आठवाँ विश्व हिंदी सम्मेलन | न्यूयार्क, अमेरिका | 13-15 जुलाई, 2007 |
9. | नौवाँ विश्व हिंदी सम्मेलन | जोहांसबर्ग, दक्षिण अफ्रीका | 22-24 सितंबर, 2012 |
10 | दसवाँ विश्व हिंदी सम्मेलन | भोपाल, भारत | 10-12 सितंबर, 2015 |
कैंसर की लड़ाई में एक नया सहयोगी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (NCI) के अमेरिका के इंटरनेशनल कैंसर प्रोटीजेनोम कंसोर्टियम (ICPC) में शामिल होने के साथ ही भारत इसमें शामिल होने वाला 12 वाँ देश बन गया। यह दुनिया के अग्रणी कैंसर और प्रोटीजेनोमिक शोध केंद्रों के बीच सहयोग के लिये एक मंच है।
प्रमुख बिंदु
- यह पहली बार है जब भारत के शोधकर्त्ता कैंसर ट्यूमर के प्रोटीन और जीन का अध्ययन एक साथ करेंगे।
- दो आशाजनक विज्ञानों (प्रोटीमिक्स और जीनोमिक्स) के बीच विलय का उद्देश्य नई दवाएँ प्राप्त और व्यक्तिगत कैंसर उपचार प्रदान करना है।
- भारतीय टीम में शामिल भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे प्रोटीमिक्स का अध्ययन करेगा और टाटा मेमोरियल अस्पताल, मुंबई (भारत का प्रमुख कैंसर संस्थान) तीन प्रकार के कैंसर यथा स्तन, सिर तथा गर्दन और गर्भाशय ग्रीवा के जीनोमिक्स का अध्ययन करेगा।
- एक पायलट परियोजना के रूप में शोधकर्त्ता इन कैंसर में से प्रत्येक समूह के 100 नमूनों का अध्ययन करेंगे।
- यह पहली बार है कि कैंसर ट्यूमर के प्रोटीमिक्स और जीनोमिक्स का अध्ययन एक ही नमूने से किया जाएगा।
- जीनोमिक्स के क्षेत्र में सिस्टम या जीव के अंदर उपस्थित सभी संभावित जीनों का अध्ययन करना और उनके उत्परिवर्तनों का विश्लेषण करना शामिल है।
- डीएनए, जो आनुवंशिक निर्देशों का भंडार है एक जटिल प्रक्रिया के माध्यम से प्रोटीन का निर्माण करता है।
- एनसीआई के अनुसार, पिछले अध्ययनों से पता चला है कि प्रोटीन स्तर पर जीनोमिक परिवर्तन हमेशा मौजूद नहीं होते हैं।
- यह पाँच साल की परियोजना संस्थानों धन प्राप्त कर पायलट चरण को पूरा करने का प्रयास करेगी।
एंटीबैक्टीरियल गुणों वाला प्लास्टिक
चर्चा में क्यों?
मिट्टी में अंतःस्थापित सिल्वर नैनोकणों को अब प्लास्टिक के अंदर फ़ैलाने में सफलता हासिल की गई है जिसे नई एंटीमिक्राबियल फिल्मों, फिलामेंट्स तथा प्लास्टिक की अन्य वस्तुओं के निर्माण के लिये भी प्रयोग किया जा सकता है।
प्रमुख बिंदु
- सिल्वर नैनोपार्टिकल-एम्बेडेड प्लास्टिक में एस्चेर्चिया कोलाई (Escherchia coli) और स्टाफिलोकोकस ऑरियस (Staphylococcus aureus) जैसे सामान्य बैक्टीरियल रोगजनकों के खिलाफ 99% से अधिक एंटीबैक्टीरियल गतिविधियाँ देखी गई हैं।
- इस शोध में लगभग 10 नैनोमीटर आकार के सिल्वर नैनोकणों को लगभग 200-300 नैनोमीटर लंबाई के मिट्टी के कणों पर जमा किया गया था।
- शोधकर्त्ताओं ने इस प्रक्रिया में मोंटमोरीलोनाइट नामक ज्वालामुखीय साइटों में पाए गए एक अकार्बनिक मिट्टी का इस्तेमाल किया।
- मिट्टी तथा चाँदी का यौगिक जिसमें 10% चाँदी उपस्थित थी, को मेल्ट कंपाउंडिंग विधि का प्रयोग करके उच्च घनत्व वाले पालीथिलिन प्लास्टिक में लोड किया गया था।
- इसके बाद उन्होंने नए गठित चाँदी-मिट्टी-प्लास्टिक नैनोकोमोसाइट को फिल्मों, फिलामेंट्स में परिवर्तित कर दिया और इन्हें नमूने में ढाला और जीवाणुरोधी गुणों की जाँच की।
- फिल्मों और फिलामेंट्स ने ढाले गए प्लास्टिक की तुलना में उच्च गतिविधि प्रदर्शित की।
- टीम ने चांदी के स्थान पर जस्ता और तांबा जैसे अन्य धातु आयनों की भी कोशिश की।
- इन नैनोकोमोसाइट प्लास्टिक में चाँदी की सामग्री बहुत कम है इसलिये मानव कोशिकाओं के लिये कोई विषाक्तता नहीं है।