प्रीलिम्स फैक्ट्स : 11 अप्रैल, 2018
टीबी की नई जाँच तकनीक
दक्षिण अफ्रीका की स्टेलेनबोस्च यूनिवर्सिटी के शोधकर्त्ताओं द्वारा एक नई रक्त जाँच तकनीक विकसित की गई है। इससे रोगियों में टीबी के लक्षण उत्पन्न होने से दो साल पहले ही इस रोग के बढ़ते खतरे का सटीक अनुमान लगाया जा सकता है।
- इस नई रक्त जाँच तकनीक के द्वारा चार प्रकार के जीन के लेवल की माप की जा सकती है।
- शोधकर्त्ताओं के अनुसार, रक्त में मौजूद चार प्रकार के जीन के संयोजन ‘रिस्क4’ के लेवल की माप से टीबी के होने के लगभग दो साल पहले ही इसके होने का अनुमान लगाया जा सकता है।
- हर साल टीबी के एक करोड़ से भी अधिक नए मामले दर्ज किये जाते हैं, ऐसे में इस जाँच के बहुत उपयोगी साबित होने की संभावना है।
टीबी क्या है?
- इस रोग को ‘क्षय रोग’ या ‘राजयक्ष्मा’ के नाम से भी जाना जाता है। यह ‘माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस’ नामक बैक्टीरिया से फैलने वाला संक्रामक एवं घातक रोग है।
- सामान्य तौर पर यह केवल फेफड़ों को प्रभावित करने वाली बीमारी है, परंतु यह मानव-शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकती है।
डाकघर बना पेमेंट बैंक
भारतीय डाकघर के पेमेंट बैंक द्वारा 1 अप्रैल, 2018 से अपनी सेवाएँ देना शुरू कर दिया गया है। एक वृहद् नेटवर्क के साथ यह देश का सबसे बड़ा पेमेंट बैंक बन गया है। वर्तमान में देश में डेढ़ लाख से भी अधिक डाकघर अवस्थित हैं, अब ये सभी डाकघर पेमेंट बैंक शाखा के रूप में कार्य करेंगे।
- 2015 में आरबीआई द्वारा इंडिया पोस्ट को पेमेंट बैंक के रूप में कार्य करने की सैद्धांतिक मंज़ूरी प्रदान की गई।
- पेमेंट बैंकों का संचालन सामान्य बैंकों के मुकाबले थोड़ा अलग ढंग से किया जाता है। ये बैंक केवल जमा तथा विदेशों से भेजी जाने वाली विदेशी मुद्रा ही स्वीकार कर सकते हैं।
- इसके अलावा इन्हें इंटरनेट बैंकिंग के साथ-साथ कुछ अन्य विशिष्ट सेवाएँ प्रदान करने का भी अधिकार प्रदान किया गया है।
- कोई भी व्यक्ति या व्यावसायिक प्रतिष्ठान पेमेंट बैंक में खाता खुलवा सकता है। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि पेमेंट बैंक प्रत्येक खाताधारक से केवल एक लाख रुपए तक की जमा राशि ही स्वीकार कर सकते हैं।
- इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक 25 हज़ार रुपए तक की जमा पर 4.5% की दर से ब्याज अदा करता है। जबकि 25 हज़ार से 50 हज़ार रुपए की राशि पर ब्याज दर 5% और 50 हज़ार से एक लाख रुपए की जमा पर 5.5% है।
- इस पैमेंट बैंक में ग्राहकों को ऋण के अलावा लगभग सभी तरह की बैंकिंग सेवाएँ मुहैया कराई जाएंगी।
|
चीन की एक और महत्त्वाकांक्षी परियोजना
चीन की सरकारी संस्था ‘चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी कारपोरेशन’ द्वारा कृत्रिम वर्षा की एक ऐसी परियोजना पर कार्य किया जा रहा है, जिसकी सहायता से बहुत कम लागत पर मध्य प्रदेश राज्य के पाँच गुना बड़े (16 लाख वर्ग किमी) क्षेत्र में वर्षा कराई जा सकती है।
- क्लाउड सीडिंग अथवा कृत्रिम वर्षा की तकनीक से तिब्बती पठार में 10 अरब घन मीटर से अधिक वर्षा कराई जा सकती है। यदि यह परियोजना सफल होती है तो यह कृत्रिम वर्षा के संदर्भ में दुनिया की सबसे बड़ी परियोजना होगी।
- इस कार्य के लिये तिब्बत के पठार पर हज़ारों की संख्या में चैंबरों का निर्माण किया जाएगा, जिनमें ठोस ईंधन को जलाया जाएगा। इस ईंधन से सिल्वर आयोडाइड निर्मित होगा जिससे कृत्रिम वर्षा होगी।
- परीक्षण के लिये अभी तक तकरीबन 500 से अधिक चैंबरों को तिब्बत, शिनजियांग समेत कई क्षेत्रों में स्थापित किया जा चुका है। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इनके परीक्षणों के परिणाम भी सकारात्मक आए हैं।
- इस प्रकार के प्रत्येक चैंबर को बनाने और सही स्थान पर स्थापित करने में अनुमानत: 8,000 डॉलर की लागत आएगी। यदि इन्हें अधिक संख्या में स्थापित किया जाता है तो स्वाभाविक रूप से इनकी उत्पादन लागत में और अधिक कमी आने की संभावना है।
- इसकी तुलना में कृत्रिम बारिश कराने वाले एक विमान के निर्माण में लाखों डॉलर का खर्च आता है, जबकि इन चैंबरों की तुलना में वह बहुत कम क्षेत्रों में ही वर्षा करा पाता है।
- सेना की रॉकेट इंजन तकनीक पर आधारित इन चैंबरों का डिज़ायन कुछ इस तरह से तैयार किया गया है कि ये पाँच हज़ार मीटर की ऊँचाई पर ऑक्सीजन की कमी में भी ईंधन को जलाने में सक्षम होंगे।
- इन चैंबरों को पहाड़ों के ऊँचे टीलों पर स्थापित किया जाएगा जिससे ये दक्षिण एशिया से आने वाले मानसून का भी सामना कर सकेंगे। इसका कारण यह है कि जैसे ही मानसूनी हवाएँ इन पर्वतों से टकराएंगी, इन चैंबरों से निकलने वाला सिल्वर आयोडाइड ऊपर मौजूद बादलों में प्रवेश कर जाएगा। इससे वर्षा के साथ-साथ बर्फबारी भी हो सकती है।
- इसके संदर्भ में सबसे अहम बात यह है कि इस क्षेत्र में हवा की गैर-मौजूदगी अथवा हवा के विपरीत बहाव का इस प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की पूरी संभावना है, हालाँकि इस समस्या के समाधान के संबंध में वैज्ञानिकों द्वारा निरंतर कार्य किया जा रहा है।
|
चंपारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 10 अप्रैल को मोतिहारी में स्वच्छाग्रहियों के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया गया। इस सम्मेलन का आयोजन चंपारण में महात्मा गांधी के नेतृत्व में चलाए गए सत्याग्रह के शताब्दी समारोह के तहत किया गया था।
चंपारण सत्याग्रह
- चंपारण सत्याग्रह (1917) बागान मालिकों द्वारा प्रयुक्त तिनकठिया पद्धति के विरोध में किया गया एक अहिंसक आंदोलन था, जिसने भारत में गांधी जी के सत्य तथा अहिंसा के ऊपर लोगों के विश्वास को सुदृढ़ किया। यह आंदोलन एक युग प्रवर्तक के रूप में उभरा।
- सत्य पर आधारित यह गुलाम भारत का प्रथम अहिंसक आंदोलन था। इसके अंतर्गत विरोधियों की निंदा करने के स्थान पर उनकी गलत नीतियों तथा शोषणयुक्त व्यवहार का तर्कपूर्ण विरोध किया गया।
- इसमें महिलाओं तथा अन्य स्थानीय लोगों के साथ-साथ कमज़ोर समझे जाने वाले वर्ग ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।
- इस आंदोलन की विशेष बात यह थी कि बिना किसी कठोर कार्रवाई के ही तिनकठिया पद्धति का अंत हो गया। तिनकठिया पद्धति के समाप्त होने के बाद भी बागान मालिक और किसानों के संबंध खराब नहीं हुए।
- इस आंदोलन के बाद से ही भारत में गांधी जी और उनकी अहिंसात्मक पद्धति का महत्त्व बढ़ा तथा वे एक वैश्विक नेता के रूप में उभरे।
|