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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 10 मई, 2018

  • 10 May 2018
  • 8 min read

व्यापार उपाय महानिदेशालय

भारत सरकार ने 7 मई, 2018 को भारत सरकार (व्यवसाय का आवंटन) नियम, (Allocation of Business), 1961 में संशोधन कर वाणिज्य विभाग में ‘डंपिंग रोधी एवं संबद्ध शुल्क महानिदेशालय’ (Directorate General of Anti-Dumping and Allied Duties-DGAD) के स्थान पर ‘व्यापार उपाय महानिदेशालय’ (Directorate General of Trade Remedie - DGTR) का सृजन किया।

  • इससे एकीकृत एकल छत्र (अम्ब्रेला) राष्ट्रीय प्राधिकरण के सृजन का मार्ग प्रशस्त हो गया है जो व्यापार उपाय महानिदेशालय (DGTR) के नाम से जाना जाएगा।
  • DGTR का सृजन देश में एक व्यापक एवं त्वरित व्यापार सुरक्षा व्यवस्था के निर्माण के उद्देश्य से किया गया है।
  • व्यवसाय आवंटन नियमों में किए गए संशोधन के माध्यम से वाणिज्य विभाग को मात्रात्मक नियंत्रण संबंधी उपायों की सिफारिश करने से संबंधित कार्य करने की भी ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।
  • नई व्यवस्था के तहत ‘विदेश व्यापार महानिदेशालय’ (DGFT) के ‘डंपिंग रोधी एवं सम्बद्ध प्रशुल्क महानिदेशालय’ (DGAD), रक्षोपाय महानिदेशालय (DGS) और मात्रात्मक प्रतिबंध (QR) संबंधी कार्य DGTR के दायरे में आ जाएंगे। परिणामतः इन सभी का विलय एकल राष्ट्रीय निकाय में करना संभव होगा।
  • डंपिंग रोधी, काउंटरवेलिंग ड्यूटी की जाँच और मात्रात्मक प्रतिबंध संबंधी उपाय DGTR के दायरे में आएंगे।
  • DGTR वाणिज्य विभाग के एक संबद्ध कार्यालय के रूप में काम करेगा।
  • डंपिंग रोधी,काउंटरवेलिंग ड्यूटी एवं मात्रात्मक प्रतिबंध शुल्क लगाने के लिए DGTR द्वारा की जाने वाली सिफारिशों पर राजस्व विभाग विचार करेगा।

15वें वित्त आयोग की सलाहकार परिषद

15वें वित्त आयोग (Fifteenth Finance Commission) ने एक सलाहकार परिषद (Advisory Council) का गठन किया है जो आयोग को परामर्श देने के साथ-साथ आवश्यक सहायता भी प्रदान करेगी। सलाहकार परिषद की भूमिका और उसके कामकाज-

  • आयोग के विचारार्थ विषयों (Terms of Reference - ToR) अथवा किसी ऐसे मसले पर आयोग को परामर्श देना जो प्रासंगिक हो सकता है।
  • ऐसे प्रपत्र अथवा अनुसंधान को तैयार करने में मदद प्रदान करना जो विचारार्थ विषयों में शामिल मुद्दों पर आयोग की समझ बढ़ाएंगे।
  • वित्तीय हस्तांतरण से संबंधित विषयों पर सर्वोत्तम राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रथाओं का पता लगाने के साथ-साथ आयोग की सिफारिशों की गुणवत्ता एवं पहुँच उनके कार्यान्वयन को बेहतर करने के लिए आयोग के दायरे एवं समझ का विस्तार करने में मदद करना।

मित्र फफूंद से कृषि अवशेषों का निस्तारण

चंद्रशेखर आज़ाद (CSA) कृषि विश्वविद्यालय के प्लांट पैथोलॉजी विभाग ने वायु प्रदूषण को रोकने के लिए एक नया उपाय खोजा है। शोधकर्त्ताओं ने एक खास तरह की मित्र फफूंद विकसित की है, जिसकी सहायता से कृषि अपशिष्ट को खाद के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।

  • इस प्रक्रिया के अनुप्रयोग से कृषि अपशिष्टों को जलाने, फसलों की कटाई के बाद उनके अवशेषों का निस्तारण करने संबंधी समस्या का हल संभव होगा। 
  • ट्राइकोडरमा (फफूंद) की इस खास प्रजाति को जैव नियंत्रित प्रयोगशाला में विकसित किया गया है। गौरतलब है कि यह फफूंद तीन से चार महीने में अपशिष्टों को खाद में परिवर्तित कर देती है। 
  • शोधकर्त्ताओं द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार, ट्राइकोडरमा को नगर के जैव अपशिष्ट कचरे में प्रयोग किया जा सकता है, यह प्लास्टिक और पॉलीथिन (अजैव अपशिष्ट) के संदर्भ में काम नहीं करेगा। 
  • इससे पहले मंदिरों में चढ़ाए जाने वाले फूलों को खाद में परिवर्तित करने के लिये मित्र फफूंद का इस्तेमाल किया जा चुका है जिसके इसके बेहतर परिणाम प्राप्त हुए। 
  • मित्र फफूंद का इस्तेमाल करके कृषि अवशेष की समस्या को तो दूर किया ही जा सकता है, साथ ही कृषि अवशेषों को जलाने से उत्पन्न होने वाले धुएँ से वायु प्रदूषण के खतरे से भी बचा जा सकता है। साथ ही, यह आर्थिक दृष्टि से भी किसानों के लिये फायदेमंद साबित होगी।

घदुनिया की सबसे पुरानी चट्टान ओडिशा में

लगभग आठ साल पहले ओडिशा के केंदुझार ज़िले में चम्पुआ नामक स्थान से एक चट्टान का नमूना प्राप्त किया गया था जिसने भारत को विश्व के भूगर्भीय शोधों में सबसे आगे रखा है। वैज्ञानिकों ने चट्टान में मैग्मैटिक ज़िरकॉन (एक खनिज जिसमें रेडियोधर्मी आइसोटोप के लक्षण पाए जाते हैं) का पता लगाया है, जो अनुमानतः 4,240 मिलियन वर्ष पुराना है- यह पृथ्वी के प्रारंभिक वर्षों का अध्ययन करने की दृष्टि से एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।

  • चट्टान में पाया गया 4.2 बिलियन पुराना ज़िरकॉन (zircon) पृथ्वी की उत्पत्ति के संबंध में ताजा संकेत प्रदान करता है।
  • यह खोज चाइनीज़ एकेडमी ऑफ जियोलॉजिकल साइंसेज़, बीजिंग के शोधकर्त्ताओं के साथ-साथ कलकत्ता विश्वविद्यालय तथा कर्टिन विश्वविद्यालय, मलेशिया के भूवैज्ञानिकों द्वारा की गई।  
  • इस पुराने ज़िरकॉन का एकमात्र उदाहरण जैक हिल, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में पाया गया था जो 4,400 मिलियन वर्ष पुराना है तथा सबसे प्राचीन ज्ञात चट्टान का नमूना है।
  • सिंघभूम चट्टान जिसका निर्माण मैग्मा द्वारा हुआ था, के विपरीत ऑस्ट्रेलिया में पाए गए ज़िरकॉन का निर्माण रूपांतरित अवसादी शैल से हुआ था।  
  • इस प्रकार, सिंघभूम चट्टान (जहां से जिरकॉन प्राप्त किया गया ), विश्व की दूसरी सबसे पुरानी चट्टान है तथा उसमें पाया गया ज़िरकॉन पृथ्वी पर सबसे पुराना मैग्मैटिक ज़िरकॉन है। 
  • इसके विश्लेषण के लिए जिस मशीन का प्रयोग किया गया उसका नाम सेंसेटिव हाई रिज़ॉल्यूशन आयन माइक्रोब (Sensitive High Resolution Ion Microprobe -SHRIMP)है। यह भारत में उपलब्ध नहीं है।
  • विश्लेषण में 4,240 मिलियन और 4,030 मिलियन वर्ष पुराने दो जिरकॉन कणों की उपस्थिति की पुष्टि की गई है।
  • इसका अध्ययन पृथ्वी के इतिहास के शुरुआती कुछ सौ मिलियन वर्षों में पानी की उपस्थिति के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करेगा। यह हमे प्लेट विवर्तिनिकी (Plate Tectonics) की शुरुआत के बारे में भी जानकारी देगा।
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