प्रीलिम्स फैक्ट्स : 10 मार्च, 2018
3.6 अरब वर्ष पहले हुआ था ऑक्सीजन का निर्माण
ब्रिटेन के इंपीरियल कॉलेज के शोधकर्त्ताओं द्वारा किये गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि आज से तकरीबन 3.6 अरब वर्ष पहले पृथ्वी पर ऑक्सीजन का निर्माण होना शुरू हुआ था। अभी तक वैज्ञानिकों द्वारा यह माना जा रहा था कि ऑक्सीजन का निर्माण करने वाले पहले सूक्ष्म जीव ‘साइनोबैक्टीरिया’ थे।
- नए शोध के अनुसार, इस सूक्ष्म जीव से करीब एक अरब वर्ष पहले ही पृथ्वी पर ऑक्सीजन का निर्माण शुरू हो गया था। यही कारण है कि अरबों वर्षों तक यहाँ सूक्ष्म जीव की भिन्न-भिन्न प्रजातियाँ विकसित होती रहीं।
- जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी पर ऑक्सीजन का एकमात्र स्रोत प्रकाश-संश्लेषण है। यह क्रिया ऑक्सीजेनिक एवं अनऑक्सीजेनिक दो प्रकार से होती है।
- ऑक्सीजेनिक प्रक्रिया में प्रकाश ऊर्जा की सहायता से पानी के अणुओं को तोड़ा जाता है, जिससे ऑक्सीजन उत्सर्जित होती है। जबकि, अनऑक्सीजेनिक प्रक्रिया में पानी के स्थान पर हाइड्रोजन सल्फाइड, आयरन आदि का इस्तेमाल होता है। लेकिन यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन का उत्सर्जन नहीं होता है।
- वैज्ञानिकों द्वारा व्यक्त अनुमान के अनुसार, प्रकृति में सर्वप्रथम अनऑक्सीजेनिक प्रकाश-संश्लेषण की शुरुआत हुई। दोनों ही प्रक्रियाओं में फोटोसिस्टम1 नाम के एक एंजाइम का प्रयोग होता है। हालाँकि यह एंजाइम दोनों ही प्रक्रियाओं में कुछ अलग रूप में नज़र आता है।
- यह शोध-पत्र हेलीयोन नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
अमृत योजना
हाल ही में स्मार्ट शहरों और कायाकल्प तथा शहरी रूपान्तरण के लिये अटल मिशन में शामिल शहरों के रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास की समेकित योजना हेतु रेल मंत्रालय एवं शहरी विकास मंत्रालय के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए। स्मार्ट शहरों की योजना के अंतर्गत चयनित दस रेलवे स्टेशनों का पुनर्विकास किया जाएगा।
- स्मार्ट शहरों और अमृत योजना के अंतर्गत स्टेशनों के पुनर्विकास की योजनाएँ स्टेशनों के आस-पास खाली ज़मीन के व्यावसायिक विकास के ज़रिये बनाई जाती है। अत: इसके लिये कोई धनराशि निर्धारित नहीं की जाती है।
पृष्ठभूमि
- प्रधानमंत्री अमृत योजना का पूरा नाम “अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन” है। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जून 2015 में लॉन्च किया गया था।
- इसके अंतर्गत उन परियोजनाओं को भी शामिल किया जाएगा जो जेएनएनयूआरएम के अंतर्गत अधूरी रह गई हैं। इसका नोडल मंत्रालय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय है।
- अमृत परियोजना के अंतर्गत जिन कस्बों या क्षेत्रों को चुना जा रहा है वहाँ बुनियादी सुविधाएँ जैसे- बिजली, पानी की सप्लाई, सीवर, सेप्टेज मैनेजमेंट, कूड़ा प्रबंधन, वर्षा जल संचयन, ट्रांसपोर्ट, बच्चों के लिये पार्क, अच्छी सड़क और चारों तरफ हरियाली, आदि विकसित की जाएगी।
अमृत से जुड़े कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य
- बिजली का बिल, पानी का बिल, हाउस टैक्स, आदि सभी सुविधाएँ ई-गवर्नेंस के माध्यम से सुनिश्चित की जाएंगी।
- इस योजना को उस कस्बे में लागू किया जाएगा जहाँ की जनसंख्या एक लाख से ज़्यादा है।
- साथ ही, इसे उन छोटे शहरों में भी लागू किया जाएगा जहाँ से छोटी-छोटी नदियाँ गुज़रती हैं।
- इसे उन पहाड़ी इलाकों व द्वीपों पर भी लागू किया जाएगा जहाँ पर्यटन का स्कोप अधिक है।
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नारी शक्ति पुरस्कार, 2018
हाल ही में राष्ट्रपति द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर नारी शक्ति पुरस्कार, 2018 प्रदान किये गएष भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर "महिलाओं के लिये सर्वोच्च नागरिक सम्मान" "नारी शक्ति पुरस्कार" प्रदान किये जाते हैं।
- इस पुरस्कार का उद्देश्य वैसे व्यक्तियों और संस्थानों की सेवाओं को स्वीकारना तथा पहचानना है, जिन्होंने महिलाओं के सशक्तीकरण में बहुमूल्य योगदान दिया है।
- इस पुरस्कार के माध्यम से वैसे लोगों को सामने लाने का प्रयास किया जाता है जिन्होंने युवा पीढ़ी एवं महिलाओं के लिये समाज में बदलाव हेतु एक मानदंड स्थापित किया हो।
नारी पुरस्कार के तहत पात्रता
- नारी शक्ति पुरस्कार विशेष परिस्थितियों में किये गए असाधारण कार्य के लिये व्यक्तियों/समूहों/संगठनों/गैर-सरकारी संगठनों आदि को महिलाओं के आर्थिक एवं सामाजिक सशक्तीकरण, उनसे संबंधित प्रभावी कार्यान्वयन, जेंडर मेनस्ट्रीमिंग आदि के संबंध में प्रदान किये जाते हैं।
- इसके अतिरिक्त, यह पुरस्कार ऐसे व्यक्तियों/समूहों/संगठनों/गैर-सरकारी संगठनों आदि को प्रदान किया जाता है जिन्होंने महिलाओं को निर्णयकारी भूमिका निभाने के लिये, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी जैसे पारंपरिक, कला, संस्कृति, खेल आदि के साथ-साथ पारंपरिक एवं गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में महिलाओं को कौशल विकास के लिये प्रोत्साहित किया हो।
इसके तहत कुछ प्रमुख श्रेणियाँ
- रानी रुद्रमा देवी अवार्ड (बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के संबंध में उल्लेखनीय योगदान करने वाली ग्राम/ज़िला पंचायतों को दिया जाता है)।
- माता जीजाबाई अवार्ड (महिला कल्याण के संदर्भ में कार्य करने वाले म्युनिसिपल निकायों को दिया जाता है)।
- कन्नगी देवी अवार्ड (बाल लिंग अनुपात में सुधार लाने वाले राज्य या केंद्रशासित प्रदेश को पुरस्कार प्रदान किया जाता है)।
- रानी गैडिन्लीयू ज़ीलियांग अवार्ड (महिला कल्याण के संदर्भ में कार्य करने वाले उकृष्ट नागरिक समाज संगठन को दिया जाता है)।
- एवी अहिल्याबाई होल्कर अवार्ड (महिला कल्याण के संदर्भ में कार्य करने वाले निजी क्षेत्र के संगठनों/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को दिया जाता है)।
- रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड (महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास कार्यों को बढ़ावा दने वाले संस्थानों को प्रदान किया जाता है)।
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भारत में डिजिटल शिक्षा
मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा डिजिटल शिक्षा को प्रोत्साहित करने हेतु निम्नलिखित कुछ पहलें प्रारंभ की गई हैं। SWAYAM (Study Webs of Active Learning for Young Aspiring Minds) पोर्टल
- पहुँच, गुणवत्ता और समता जैसे सिद्धांतों पर आधारित स्वयं पोर्टल सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के इस्तेमाल से ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के लिये समर्पित एकीकृत प्लेटफॉर्म है।
- यह उच्च शिक्षा के सभी विषयों और कौशल क्षेत्रों को कवर करता है। स्वयं पोर्टल पर चलने वाले पाठ्यक्रमों में अभी तक 28 लाख छात्र नामांकित हो चुके है।
SWAYAM प्रभा
- SWAYAM प्रभा पूरे देश में 24x7 आधार पर डीटीएच (डायरेक्ट टू होम) के माध्यम से 32 उच्च गुणवत्ता वाले शैक्षणिक चैनल प्रदान करने की एक पहल है।
भारतीय राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया
- भारतीय राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया (एनडीएल इंडिया) परियोजना का उद्देश्य एकल-खिड़की खोज सुविधा के माध्यम से सीखने के संसाधनों के आभासी भंडार का ढाँचा विकसित करना है। NDL पर लगभग 1.5 करोड़ ई-पुस्तक और दस्तावेज़ उपलब्ध हैं।
ई-शोध सिंधु (e-Shodh Sindhu)
- ई-शोध सिंधु का मुख्य उद्देश्य उच्च शिक्षा ई-संसाधन के लिये कंसोर्टियम के माध्यम से सदस्यता की कम दरों पर शैक्षणिक संस्थानों को पूर्ण पाठ, ग्रंथ सूची और तथ्यात्मक डेटाबेस सहित गुणवत्ता वाले इलेक्ट्रॉनिक संसाधनों तक पहुँच प्रदान करना है।
फ्री एंड ओपन सोर्स सॉफ्टवेर फॉर एजुकेशन (FOSSEE)
- FOSSEE परियोजना द्वारा शैक्षणिक संस्थानों में ओपन सोर्स सॉफ्टवेर के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है।
वर्चुअल लैब
- परियोजना का उद्देश्य अंडर-ग्रेजुएट से लेकर अनुसंधान तक के सभी स्तरों पर छात्रों के लिये विज्ञान और इंजीनियरिंग के विभिन्न विषयों की आभासी प्रयोगशालाओं तक रिमोट एक्सेस प्रदान करना है।<
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