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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 9 फरवरी, 2018

  • 09 Feb 2018
  • 11 min read

भारत-संयुक्त राष्ट्र भागीदारी कोष
(UN Development Partnership Fund)

भारत ने साउथ-साउथ कोऑपरेशन के दौरान भारत-संयुक्त राष्ट्र भागीदारी (साझेदारी) कोष में 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अतिरिक्त राशि प्रदान की। इस वर्ष के प्रारंभ में विकासशील देशों में सतत् विकास परियोजनाओं को समर्थन देने के लिये भारत और संयुक्त राष्ट्र के दक्षिण-दक्षिण सहयोग संगठन (UNFSSC) कार्यालय ने भारत-संयुक्त राष्ट्र विकास साझेदारी निधि की स्थापना की थी।

प्रमुख बिंदु

  • सात प्रशांत द्वीपीय देशों में ‘जलवायु प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली’ इस कोष से सहायता प्राप्त करने वाली पहली परियोजना है। 
  • UNOSSC द्वारा प्रबंधित, यह फंड विकासशील देशों के दक्षिणी स्वामित्व और नेतृत्व, मांग-चालित एवं परिवर्तनकारी स्थाई विकास परियोजनाओं का समर्थन करेगा।
  • कम विकसित देशों (Least Developed Countries -LDCs) और लघु द्वीप विकासशील राज्यों (Small Island Developing States) पर ध्यान केंद्रित करते हुए, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियाँ भागीदार सरकारों के निकट सहयोग के साथ फंड की परियोजनाओं को लागू करेगी।
  • भारत एक महत्त्वपूर्ण तरीके से विकासशील देशों हेतु संचालित सतत् विकासात्मक परियोजनाओं को अपना समर्थन बढ़ाने की दिशा में कार्य कर रहा है।
  • यह भारत और दक्षिण-दक्षिण सहयोग के संयुक्‍त राष्ट्र कार्यालय (United Nations Office for South-South Cooperation - UNOSSC) के बीच एक साझेदारी है।
  • इसका उद्देश्य गरीबी और भूख को कम करना, स्वास्थ्य में सुधार करना, शिक्षा और समानता तथा स्वच्छ पानी एवं ऊर्जा तक पहुँच का विस्तार करना है।

UNOSSC के बारे में

  • दक्षिण-दक्षिण सहयोग के लिये संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (United Nations Office for South-South Cooperation-UNOSSC) को विश्व स्तर पर और संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के भीतर दक्षिण-दक्षिण और त्रिकोणीय सहयोग को बढ़ावा देने, समन्वय और समर्थन करने के लिये स्थापित किया गया था।
  • संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1974 से UNOSSC का आयोजन किया जा रहा है।
  • UNOSSC को दक्षिण-दक्षिण सहयोग की उच्च स्तरीय समिति के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा और इसके सहायक निकाय द्वारा नीति निर्देश और मार्गदर्शन प्रदान किये जाते हैं।
  • UNOSSC द्वारा अनुमोदन और धन के लिये अपने रणनीतिक फ्रेमवर्क को यूएनडीपी (United Nations Development Programme), यूएनएफपीए  (United Nations Population Fund –UNFPA) और यूएनओपीएस (United Nations Office for Project Services -UNOPS) कार्यकारी बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है।

"द ग्रेट इंडिया ब्लॉग ट्रेन"

पर्यटन मंत्रालय द्वारा सोशल मीडिया पर एक प्रभावकारी अभियान के रूप में "द ग्रेट इंडिया ब्लॉग ट्रेन" की शुरुआत की गई, जिसमें दुनिया भर के यात्रा ब्लॉगर्स को शामिल किया गया है।

  • इन ब्लॉगरों को विभिन्न राज्यों में चलने वाली लक्ज़री ट्रेनों पर देश के विभिन्न स्थलों की यात्रा के लिये आमंत्रित भी किया गया है।
  • पर्यटन मंत्रालय द्वारा ब्रांडिंग और विपणन को एक प्रभावी उपकरण के रूप में सोशल मीडिया के महत्व को ध्यान में रखते हुए सोशल मीडिया पर प्रभावकारी अभियान "द ग्रेट इंडिया ब्लॉग ट्रेन" का आयोजन किया जा रहा है।

उद्देश्य

  • इस अभियान का उद्देश्य घरेलू और विदेशी बाज़ारों में भारत की लक्ज़री ट्रेनों को एक अनूठे पर्यटन उत्पाद के रूप में प्रस्तुत करना है।
  • इस अभियान के अंतर्गत लक्ज़री ट्रेनों के साथ-साथ जिन स्थानों का ये ब्ल़ॉगर दौरा करेंगे, उन्हें भी ये ब्लॉग, वीडियो और फोटो के माध्यम से अपने अनुभव साझा कर प्रचारित ही करेंगे।
  • भारत सहित 23 देशों के 60 ब्लॉगर 15-15 के ग्रुप (दल) में चार लग्ज़री ट्रेनों जैसे पैलेस ऑन व्हील्स, महाराजा एक्सप्रेस, दक्कन ओडिशी और गोल्डन चैरिअट का आनन्द लेंगे।
  • रेलवे बोर्ड, राजस्थान, महाराष्ट्र और कर्नाटक की राज्य सरकारें और इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईआरसीटीसी) घरेलू और विदेशी बाज़ारों में विलासिता की श्रेणी में लगातार सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रहे हैं तथा ट्रेनों पर ब्लॉगरों की मेज़बानी करके सक्रिय रूप से इस अभियान का समर्थन भी कर रहे हैं।

तीसरा वैश्विक सार्वजनिक खरीद सम्मेलन

हल ही में वित्त राज्य मंत्री द्वारा नई दिल्ली में तीसरे वैश्विक सार्वजनिक खरीद सम्मेलन का उद्घाटन किया गया। सार्वजनिक खरीद का जीडीपी में करीब 20% योगदान है। सार्वजनिक खरीद एक अहम नीतिगत साधन है।

थीम

  • दो दिवसीय सम्मेलन की थीम ‘सार्वजनिक खरीद की मौजूदा बदलाव प्रक्रिया में नई चुनौतियों का सामना’ है।
  • इस दौरान विचार-विमर्श का मुख्य विषय सार्वजनिक खरीद के स्वरूप एवं माहौल में बदलाव लाना है।

आयोजन किसके द्वारा किया गया?

  • इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन अखिल भारतीय प्रबंधन संघ (एआईएमए), विश्व बैंक और भारत सरकार द्वारा किया गया है।
  • इस सम्मेलन में भारत सरकार के वरिष्ठ बाह्य संसाधन अधिकारी, निजी एवं सार्वजनिक कंपनियों के अधिकारी और एशिया, अफ्रीका, यूरोप एवं अमेरिका से आए प्रतिनिधिमंडल द्वारा भाग लिया जा रहा है।

प्रमुख बिंदु

  • इस सम्मेलन का उद्देश्य परस्पर बातचीत के माध्यम से सार्वजनिक खरीद और इससे जुड़े कौशल के आदान-प्रदान में विभिन्न राष्ट्रों और इससे जुड़े क्षेत्रों में आपसी सहयोग बढ़ाने में मदद करना है।
  • इससे खरीद प्रबंधन में ज़रूरी बदलावों को लेकर भागीदारों को और जागरुक करने में मदद मिलेगी।
  • इसके साथ ही इससे भागीदारों को डिजिटल अर्थव्यवस्था और संसाधन प्रबंधन के विकेंद्रीकरण के अनुरूप कार्य करने के दृष्टिकोण, कौशल और ज़रूरी साधनों को लेकर मार्गदर्शन उपलब्ध कराने में भी मदद मिलेगी।

प्रधानमंत्री अनुसंधान अध्‍येता योजना
(Prime Minister Research Fellows –PMRF)

हाल ही में मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री की शोधार्थी योजना को लागू किया गया है। यह फेलोशिप योजना प्रधानमंत्री के नवाचार के माध्‍यम से विकास के सपने को पूरा करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। इस योजना की घोषणा बजट 2018-19 में की गई।

उद्देश्य

  • इस योजना का उद्देश्य देश के सबसे प्रतिभाशाली लोगों को आकर्षित करके शोध की गुणवत्ता में सुधार करना है।
  • इस योजना से देश की प्रतिभाओं की क्षमताओं का उपयोग करने में मदद मिलेगी, ताकि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में घरेलू स्तर पर अनुसंधान और शोध किये जा सकें।

प्रमुख विशेषताएँ

  • इस योजना के तहत किये जाने वाले शोध से हमारी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी और देश के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में बेहतरीन शिक्षकों की कमी पूरी होगी। सरकार का यह कदम ‘ब्रेन-ड्रेन’ को ‘ब्रेन-गेन’ में बदल देगा।
  • इस योजना के अंतर्गत आईआईएससी/आईआईटी/एनआईटी/आईआईएसईआर/आईआईआईटी से विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी विषयों में बी.टेक. अथवा समेकित एम.टेक. या एमएससी पास करने वाले अथवा अंतिम वर्ष के सर्वोत्‍तम छात्रों को आईआईटी/आईआईएससी में पीएचडी कार्यक्रम में सीधा प्रवेश दिया जाएगा।
  • ऐसे छात्र जो पात्रता मानदंड पूरा करते हैं और जिन्‍हें पीएमआरएफ दिशा निर्देशों में निर्धारित चयन प्रक्रिया के ज़रिये छांटा गया है, को पहले 2 वर्षों के लिये 70,000 रुपए प्रति माह, तीसरे वर्ष के लिये 75,000 रुपए प्रति माह तथा चौथे और 5वें वर्ष में 80,000 रुपए प्रति माह की फेलोशिप प्रदान की जाएगी।
  • इसके अलावा प्रत्‍येक अध्‍येता को अंतरराष्‍ट्रीय सम्‍मेलनों और सेमिनारों में शोध-पत्र प्रस्‍तुत करने के लिये उनकी विदेश यात्रा से संबंधित खर्च को पूरा करने के लिये 5 वर्ष की अवधि के लिये 2 लाख रुपए का शोध अनुदान दिया जाएगा।
  • वर्ष 2018-19 से शुरू होने वाली तीन वर्षीय अवधि के लिये अधिकतम तीन हज़ार शोधार्थियों को चुना जाएगा।
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