प्रीलिम्स फैक्ट्स : 8 दिसंबर, 2017 | 08 Dec 2017
आरोग्य, 2017
आरोग्य, 2017
आयुष मंत्रालय और भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा ‘आरोग्य 2017' का आयोजन किया गया है, जिसमें फिक्की के साथ साझेदारी में फार्मेक्सिल (फार्माश्यूटिकल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया - फार्मेक्सिल) सहित चिकित्सा प्रणाली की ताकत और वैज्ञानिक मूल्यांकन का प्रदर्शन किया गया है। वैकल्पिक चिकित्सा के 250 से अधिक निर्माताओं ने अंतर्राष्ट्रीय उत्पादों के लिए अपने उत्पादों और सेवाओं का प्रदर्शन किया है।
- आयुष और तंदुरुस्ती पर पहले अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ‘आरोग्य 2017’ का नई दिल्ली में आयोजन किया जा रहा है।
- आरोग्य 2017 का आयोजन फार्मेक्सिल सहित आयुष मंत्रालय और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा फिक्की के साथ संयुक्त रूप से किया जा रहा है। इसका उद्देश्य औषधि की परंपरागत प्रणाली की ताकत और वैज्ञानिक मूल्यांकन को प्रदर्शित करना है।
प्रमुख विशेषताएँ
- आरोग्य 2017 अपनी तरह का पहला अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन है, जिसका आयोजन भारत में किया गया है। यह प्रदर्शनी और सम्मेलन आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा रिग्पा, होमियोपैथी और स्वास्थ्य पर आधारित है।
- आयुष मंत्रालय के ज़रिये भारत सरकार न केवल राष्ट्रीय स्तर पर परंपरागत औषधि के विकास संबंधी क्रियाकलापों को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है, बल्कि अधिक से अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और द्विपक्षीय, बहुपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तरों पर सहयोग के नए अवसरों का भी सृजन कर रही है।
- इस दिशा में संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित करने पर भी बल दिया जा रहा है। इसी प्रकार से डब्ल्यू.एच.ओ. के साथ मिलकर सहयोगपूर्ण समझौते के ज़रिये भारत सदस्य देशों के लाभ के लिये आयुष संबंधित तकनीकी दिशा-निर्देश और दस्तावेज़ तैयार कर रहा है।
- इस प्रदर्शनी के माध्यम से आयुष क्षेत्र के प्रमुख साझेदारों को भारत की वैकल्पिक औषधि प्रणाली के क्षेत्र में नवीनतम अनुसंधान और विकास को प्रदर्शित करने तथा आयुष उत्पादों का निर्यात बढ़ाने का अवसर मिलेगा।
- भारत आयुर्वेदिक और वैकल्पिक औषधि का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। इतना ही नहीं इस क्षेत्र में तकरीबन 3 मिलियन नौकरियाँ सृजित करने की संभावना है। वर्तमान में भारत का जड़ी-बूटी बाज़ार करीब 5 हज़ार करोड़ रुपए का है, जिसकी वार्षिक वृद्धि दर 14 प्रतिशत है।
भारतीय रेलवे स्टेशन विकास कार्पोरेशन लिमिटेड
हाल ही में रेलवे स्टेशन पुनर्विकास योजना के लिये भारतीय रेलवे स्टेशन विकास कार्पोरेशन लिमिटेड (आई.आर.एस.डी.सी.) को नोडल एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया है।
- भारतीय रेलवे ने अपने महत्वाकांक्षी स्टेशन पुनर्विकास कार्यक्रम के लिये 400 ए 1 और ए श्रेणी के रेलवे स्टेशनों के सुधार में तेज़ी लाने हेतु आई.आर.एस.डी.सी. को नोडल एजेंसी के रूप में नियुक्त करने का निर्णय लिया है।
पृष्ठभूमि
- आई.आर.कॉन. इंटरनेशनल लिमिटेड (रेल मंत्रालय के अधीन भारत सरकार का एक उपक्रम) और रेल लैंड डेवेलपमेंट अथॉरिटी (Rail Land Development Authority - RLDA) के बीच एक संयुक्त उद्यम के तहत आई.आर.एस.डी.सी. को विशेषज्ञों की एक तीन सदस्यीय समिति की सिफारिशों के बाद प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुरूप नियुक्ति किया गया।
- इस रिपोर्ट में आई.आर.एस.डी.सी. की नियुक्ति एक त्वरित पुनर्विकास प्रक्रिया सुनिश्चित करने हेतु एक एक नोडल एजेंसी के रूप में की गई।
आई.आर.एस.डी.सी. क्या है?
- भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम लिमिटेड, आई.आर.सी.ओ.एन. और आर.एल.डी.ए. (रेलवे मंत्रालय के अधीन एक सांविधिक प्राधिकरण) की एक संयुक्त उद्यम कंपनी है।
- आई.आर.एस.डी.सी. का मुख्य उद्देश्य विश्वस्तरीय रेलवे स्टेशनों के निर्माण की परिकल्पना प्रस्तुत करना है, ताकि उपयोगकर्त्ताओं की सुविधा के अनुसार टिकाऊ प्रौद्योगिकियों को लागू किया जा सके।
प्रहरी उपग्रह (Sentinel satellite)
प्रहरी - 5 पी, एक यूरोपीय उपग्रह है। इस उपग्रह द्वारा वैश्विक स्तर पर वायु प्रदूषण की बढती दर के मापन संबंधी चित्र लिये जाते हैं। हाल ही में इस उपग्रह द्वारा भारतीय ऊर्जा संयंत्रों से निकलने वाले प्रदूषण के चित्र एकत्रित किये गए हैं।
► इन चित्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, वायु प्रदूषण के संबंध में सबसे खराब स्थिति उत्तर में बिहार के पटना से दक्षिण में छत्तीसगढ़ के रायपुर तक की है।
► प्रहरी -5 पी उपग्रह को दैनिक स्तर पर वायु को प्रदूषित करने वाली गैसों और कणों के वैश्विक मानचित्र बनाने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
प्रहरी - 5 पी उपग्रह की विशेषताएँ
► प्रहरी -5 पी उपग्रह यूरोपीय संघ (European Union) और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (European Space Agency) द्वारा शुरू किये जाने वाले पृथ्वी पर्यवेक्षकों के बेड़े में सबसे नवीनतम अंतरिक्ष यान (spacecraft) है।
► 13 अक्टूबर, 2017 को इस उपग्रह को एक रूसी रॉकेट की सहायता से 824 किलोमीटर की कक्षा में प्रक्षेपित किया गया। जब यह उपग्रह पूरी तरह से संचालित हो जाएगा, तो यह वायु की गुणवत्ता की निगरानी के लिये एक अत्यंत शक्तिशाली उपकरण के रूप में प्रस्तुत होगा।
► इसमें ट्रोपमी नामक एक उपकरण लगा हुआ है। यह एक स्पेक्ट्रोमीटर है जो पृथ्वी पर पहुँचने वाले सूर्य के प्रकाश में विद्यमान अलग-अलग रंगों का विश्लेषण करता है।
► इससे वातावरण में मौजूद नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, ओज़ोन, सल्फर डाइऑक्साइड, मीथेन और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी गैसों के विषय में पता लगाने में सहायता मिलती है।