प्रीलिम्स फैक्ट्स : 8 जून, 2018 | 08 Jun 2018

सेंटोसा द्वीप
(Sentosa Island)

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की वार्ता के लिये सिंगापुर के सेंटोसा द्वीप को चुना गया है, यह द्वीप विश्व के मुख्य पर्यटन स्थलों में से एक है। इस शिखर सम्मेलन के लिये सेंटोसा द्वीप को चुने जाने का निर्णय तार्किक है। यह सिंगापुर के मुख्य द्वीप के दक्षिणी तट से केवल आधा किलोमीटर दूर एक जलडमरू (Strait) के पार स्थित है। काफी एकांत में स्थित होने के कारण यह द्वीप न केवल गोपनीयता प्रदान करता है बल्कि दोनों देशों के नेताओं के लिये एक सुरक्षित जगह भी है।

  • इतिहास में यहाँ 400 से अधिक एलायड ट्रूप्स (सहयोगी सेना) के सैनिकों को कठोर स्थितियों में कैदी बनाकर रखने का उल्लेख मिलता था।
  • वर्ष 1942 में सिंगापुर पर जापानियों ने कब्जा कर लिया था। जिसके बाद यहाँ जापान विरोधी विचारधारा वाले लोगों की बड़ी संख्या में हत्या कर दी गई। सिंगापुर में रहने वाले चीनी नागरिकों सहित जापान विरोधी गतिविधियों में शामिल होने वाले या संदेह वाले स्थानीय नागरिकों को सेंटोसा द्वीप पर फाँसी दे दी जाती थी।
  • यह एक ब्रिटिश सैन्य बेस और एक जापानी युद्ध बंदी शिविर (prisoner of war camp) रहा है।
  • 1972 तक सेंटोसा द्वीप को 'पुलाऊ बेलाकांग मति' (Pulau Blakang Mati) अर्थात् मृत्यु का द्वीप (Island of death from behind) नाम से जाना जाता था। 
  • इसके बाद एक सरकारी अभियान के भाग के रूप में इसका नाम बदलकर रिसॉर्ट द्वीप कर दिया गया।

गुरुग्राम में देश का पहला डिजिटल फ्रंट ऑफिस

हाल ही में हरियाणा के गुरुग्राम में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (District Legal Services Authority-DLSA) का पहला डिजिटल फ्रंट ऑफिस (Digital Front Office) शुरू किया गया। यह देश का पहला डिजिटल फ्रंट ऑफिस है। यदि यह प्रयोग सफल होता है तो इस मॉडल को हरियाणा के सभी जिलों में लागू किया जाएगा।

मुख्य बिंदु

  • डिजिटल फ्रंट ऑफिस की स्थापना के बाद डीएलएसए का समस्त रिकॉर्ड डिजिटाइज़ किया जाएगा। अभी तक इन सभी रिकॉर्ड को मेंटेन करने के लिये रजिस्टरों का उपयोग किया जाता है।
  • फ्रंट ऑफिस से डीएलएसए के पास मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त करने हेतु आने वाले प्रार्थी को पैनल के किस अधिवक्ता के पास भेजा जाएगा, मामले की सुनवाई की तारीख आदि के संबंध में सभी जानकारियों को डिजिटल रूप में संरक्षित किया जाएगा।
  • डिजिटल फ्रंट ऑफिस को कॉल सेंटर से कनेक्ट किया जाएगा, ताकि किसी भी अभावग्रस्त व्यक्ति को फोन करके भी बताया जा सके कि उसे कानूनी तौर पर कैसे राहत मिल सकती है।
  • इसके साथ-साथ इसमें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी ताकि लोगों को न्याय दिलाने में अधिक-से-अधिक सहायक प्रदान की जा सके।

सीबीडीटी ने पखवाड़े को प्रभाव-पुष्टि मामलों की लंबित अपील को समर्पित किया

लोक शिकायतों का निपटान एवं करदाताओं की सेवा सीबीडीटी एवं आयकर विभाग के लिये शीर्ष प्राथमिकता का क्षेत्र रहा है। इसीलिये सीबीडीटी ने 1 जून से 15 जून, 2018 के पखवाड़े को प्रभाव-समाधान मसलों के लंबित अपील के त्‍वरित निपटान को समर्पित किया है।

  • आकलन अधिकारियों को ऐसे मामलों को शीर्ष प्राथमिकता देने एवं इस क्षेत्र में विशेष ध्‍यान देने का निर्देश दिया गया है, जिससे इस वजह से आने वाली शिकायतों का जल्‍द-से-जल्‍द निपटारा किया जा सके।
  • सभी करदाताओं, आईसीएआई (इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया) के स्‍थानीय चैप्‍टर्स एवं बार एसोसिएशंस से आग्रह किया गया है कि वे इस अवसर का उपयोग अपील प्रभाव एवं समाधान के तहत अपने लंबि‍त मुद्दों के समाधान के लिये करे।

सीबीडीटी

  • केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड केंद्रीय राजस्व बोर्ड अधिनियम, 1963 के अंतर्गत एक सांविधिक प्राधिकरण के तौर पर कार्यरत है। अपने पदेन सामर्थ्य में इसके अधिकारी मंत्रालय के प्रभाग के तौर पर भी कार्य करते हैं जो प्रत्यक्ष कर के उदग्रहण तथा संग्रहण से संबंधित मामलों से व्यवहार करते हैं।
  • केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड में एक अध्यक्ष तथा छह सदस्य शामिल होते हैं।

पृष्ठभूमि

  • विभाग के शीर्ष निकाय के तौर पर केंद्रीय राजस्व बोर्ड, कर प्रबंधन का उत्तरदायित्व, केंद्रीय राजस्व बोर्ड अधिनियम, 1924 के परिणामस्वरूप अस्तित्व में आया। प्रारंभिक तौर पर बोर्ड को दोनों प्रकार के प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष करों का उत्तरदायित्व सौंपा गया था।
  • जब कर का प्रबंधन एक बोर्ड के लिये संभालना चुनौतीपूर्ण सिद्ध हुआ तब बोर्ड को प्रभावी तिथि 1 जनवर, 1964 को दो भागों में विभक्त कर दिया गया जिसे केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड तथा केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड का नाम दिया गया।
  • यह द्विभाजन केद्रीय राजस्व बोर्ड अधिनियम, 1963 की धारा 3 के अंतर्गत दो बोर्डों के संविधान के अनुसार प्रस्तुत किया गया।

प्रतिभाशाली खिलाडि़यों के लिये पेंशन में उर्ध्‍वमुखी संशोधन

खिलाड़ियों के कल्‍याण के संबंध में एक बड़े कदम के रूप में युवा मामले एवं खेल मंत्रालय द्वारा प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के लिये पेंशन में ऊर्ध्वमुखी संशोधन को मंजूरी दी गई है। इस संशोधन के तहत अन्‍तर्राष्‍ट्रीय खेल स्‍पर्धाओं में पदक जीतने वालों के लिये पेंशन की वर्तमान राशि दोगुनी कर दी गई है।

क्या संशोधन किये गये है-

  • ओलम्पिक/पैराओलम्पिक खेलों में पदक विजेता के लिये पेंशन को 20,000 रुपए किया गया है।
  • विश्‍व कप/विश्‍व चैम्पियनशिप में स्‍वर्ण पदक विजेता (ओलम्पिक/एशियाई खेल प्रतिस्‍पर्धाओं) के लिये 16,000 रुपए।
  • विश्‍व कप/विश्‍व चैम्पियनशिप में रजत/कांस्‍य  पदक विजेता (ओलम्पिक/ए‍शियाई खेल प्रतिस्‍पर्धाओं) और एशियाई खेलों/राष्‍ट्रमंडल खेलों/पैरा-एशियाई खेलों में स्‍वर्ण पदक विजेता के लिये 14,000 रुपए।
  • एशियाई खेलों/राष्‍ट्रमंडल खेलों/पैरा-एशियाई खेलों में रजत और कांस्‍य पदक विजेता के लिये 12,000 रुपए करने का निर्णय लिया गया है।

मुख्य तथ्य 

  • पैरा-ओलम्पिक खेलों एवं पैरा-एशियाई खेलों में पदक विजेताओं की पेंशन की राशि क्रमश: ओलम्पिक खेलों एवं एशियाई खेलों में पदक विजेताओं के समकक्ष होगी।
  • पेंशन के लिये चार वर्षों में एक बार आयोजित की जाने वाली विश्‍व चैम्पियनशिप पर ही विचार किया जाएगा।
  • संशोधित योजना में रेखांकित किया गया है कि खिलाड़ियों को इस योजना के तहत पेंशन के लिये आवेदन करने के समय सक्रिय खेल करियर से सेवानिवृत्‍त हो जाना चाहिये तथा 30 वर्ष की आयु पूरी कर लेनी चाहिये।
  • इस आशय की स्वीकृति खिलाड़ियों द्वारा आवेदन प्रारूप में ही दी जाएगी तथा आवेदक की उपलब्धियों के सत्‍यापन के लिये आवेदन को अग्रसारित करते समय एसएआई से भी इसकी पुष्टि की जाएगी।
  • वर्तमान पेंशनधारियों के मामले में पेंशन की राशि में संशोधन 1 अप्रैल, 2018 से प्रभावी होगा।