प्रयागराज शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 29 जुलाई से शुरू
  संपर्क करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 07 मार्च, 2018

  • 07 Mar 2018
  • 9 min read

इंप्रिंट इंडिया

देश में शोध व अनुसंधान तथा नवोन्‍मेष को प्रोत्‍साहन देने के उद्देश्‍य से केंद्रीय सरकार द्वारा इंप्रिंट-II (इम्‍पैक्टिंग रिसर्च इनोवेशन एंड टेक्‍नोलॉजी) इंडिया कार्यक्रम के तहत 1000 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की गई है। इंप्रिंट-II के अंतर्गत विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने साथ मिलकर एक कोष का निर्माण किया है।

  • डीएसटी (Department of Science and Technology) के सहयोग से यह परियोजना, एक पृथक कार्य-योजना के रूप में संचालित की जाएगी।

पृष्ठभूमि

  • राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा 5 नवंबर, 2015 को ‘इंप्रिंट इंडिया’ का शुभारंभ किया गया।
  • ‘इंप्रिंट इंडिया’ भारत के लिये महत्त्वपूर्ण दस प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में बड़ी इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी चुनौतियों के समाधान हेतु अनुसंधान के लिये एक खाका विकसित करने से संबंधित देश भर के आईआईटी एवं आईआईएससी की संयुक्त पहल है।
  • यह पहल उच्चतर शिक्षा के भारतीय संस्थानों को उनकी क्षमता को महसूस कराने में सक्षम बनाएगी एवं विश्वस्तरीय  संस्थानों के रूप में उभरने में मदद करेगी।

दस मुख्य विषयों पर फोकस

  • इंप्रिंट इंडिया के अंतर्गत दस विषय-वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, जिनमें से प्रत्येक का समन्वय एक आईआईटी/आईआईएससी द्वारा किया जाएगा।
  • इसके अंतर्गत शामिल दस विषय हैं- स्वास्थ्य देखभाल, कम्प्यूटर साइंस एवं आईसीटी, एडवांस मैटिरियल्स, जल संसाधन एवं नदी प्रणाली, सतत् शहरी डिज़ाइन, प्रतिरक्षा, विनिर्माण, नैनो-टेक्नोलॉजी हॉर्डवेयर, पर्यावरण विज्ञान एवं जलवायु परिवर्तन तथा ऊर्जा सुरक्षा।

सोलर स्टडी लैंप्स योजना

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) द्वारा दिसंबर, 2016 में असम, बिहार, झारखंड, ओडिशा और उत्तर प्रदेशों में 70 लाख सोलर स्टडी लैंप्स के वितरण की ‘सोलर स्टडी लैंप्स योजना’ को मंज़ूरी दी गई थी, जो अभी कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में है।

  • राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के वंचित समुदायों को सशक्त बनाने के लिये जनवरी 2014 में 10 लाख सोलर स्टडी लैंप्स के वितरण योजना को मंज़ूरी दी गई थी जिसे सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है।
  • इसके बाद मंत्रालय द्वारा मई 2016 में विभिन्न राज्यों में 5 लाख सोलर स्टडी लैंप्स के वितरण को मंज़ूरी दी गई।
  • राजस्थान में कुल 3.06 लाख सोलर स्टडी लैंप्स वितरित किये गए हैं और 360 महिलाओं सहित 927 व्यक्तियों को स्थानीय क्षेत्रों में सोलर स्टडी लैंप्स की मरम्मत के लिये प्रशिक्षित किया गया है।
  • सौर ऊर्जा प्रणालियों की स्थापना और मरम्मत तथा रख-रखाव के लिये नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) द्वारा एक अलग कौशल विकास कार्यक्रम "सूर्य मित्र" का भी संचालन किया जा रहा है।

पृष्ठभूमि

  • सोलर स्टडी लैम्प योजना के तहत राज्य के ग्रामीण और पिछड़े ब्लाकों में रहने वाले छात्रों को 100 रुपए में सोलर स्टडी लैम्प मुहैया कराए जा रहे है।
  • सरकार का उद्देश्य इस योजना के माध्यम से उन इलाको के छात्रों को लैंप मुहैया करवाना है जहाँ अभी तक बिजली नहीं पहुँच पाई है।

भारतीय सेना : दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर सेना

हाल ही में प्रकाशित ग्लोबल फायरपावर सूची 2017 के अनुसार दुनिया के सबसे ताकतवर शीर्ष पाँच सेनाओं में भारतीय सेना को भी शामिल किया गया है। इस सूची में दुनिया भर के तकरीबन 133 देशों को शामिल किया गया है।

  • इस सूची को तैयार करने के लिये 50 मानकों को आधार बनाया गया। इनमें सैन्य संसाधन, प्राकृतिक संसाधन, उद्योग, भौगोलिक स्थिति और उपलब्ध मानव संसाधन प्रमुख हैं।
  • इस सूची के अंतर्गत देशों की परमाणु ताकत को संबद्ध नहीं किया गया, हालाँकि परमाणु हथियारों की क्षमता को अंक अवश्य दिये गए हैं।
  • इस सूची में सर्वाधिक सैनिकों की संख्या के मामले में भारत चीन से आगे है। भारत के पास कुल 42,07,250 सैनिक हैं, जबकि चीन के पास 37,12,500 हैं।
  • हालाँकि सक्रिय सैनिकों की संख्या के मामले में चीन भारत से आगे है। उसके पास 22.60 लाख सक्रिय सैनिक हैं, जबकि भारत के पास मात्र 13,62,500 सक्रिय सैनिक हैं।
  • रक्षा बजट के मामले में भारत चीन के काफी पीछे है। भारत के रक्षा बजट की तुलना में चीन तीन गुना अधिक खर्च करता है।
  • इसके अतिरिक्त रक्षा के सभी क्षेत्रों में भारत पाकिस्तान के काफी आगे है। तथापि कुछ मामलें ऐसे भी है जहाँ पाकिस्तान को बढ़त हासिल है। इनमें लड़ाकू हेलीकॉप्टरों की संख्या, स्वचालित आर्टिलरी और जलमार्ग विस्तार शामिल हैं।

शीर्ष पाँच देश

  • अमेरिका
  • रूस
  • चीन
  • भारत
  • फ्राँस

राष्‍ट्रीय पांडुलिपि मिशन
(National Mission for Manuscripts-NMM)

केंद्रीय पर्यटन और संस्‍कृति मंत्रालय, भारत सरकार ने एक महत्त्‍वाकांक्षी परियोजना के रूप में फरवरी 2003 में राष्‍ट्रीय पांडुलिपि मिशन की स्‍थापना की जिसका विशिष्‍ट उद्देश्‍य भारत की पांडुलिपियों के ज्ञान तत्त्‍व का पता लगाना, प्रलेखन (Documentation), संरक्षण और प्रसार करना था।

प्रमुख बिंदु

  • अपने कार्यक्रम और अधिदेश में यह मिशन एक अनूठी परियोजना है और यह भारत की विशाल पांडुलिपि संपदा की खोज करने और इसे परिरक्षित करने में जुटा है।
  • एक अनुमान के मुताबिक़ भारत में पाँच मिलियन पांडुलिपियाँ हैं जो विश्‍व में शायद सबसे बड़ा संग्रह है।
  • इनमें विभिन्‍न प्रकार की विषय-वस्‍तु, संरचना और सौंदर्य, लिपियाँ, भाषाएँ, सुलेख, उद्बोधन और दृष्‍टांत हैं। एक साथ मिलकर ये भारत के इतिहास, विरासत और विचार की ‘स्‍मृति’ का निर्माण करते हैं।
  • देश के सभी राज्‍यों में विशेष रूप से अभिचिह्नित पांडुलिपि संसाधन केन्‍द्रों (एमआरसी) और पांडुलिपि संरक्षण केन्‍द्रों (MCC) के साथ कार्य करते हुए यह मिशन विश्‍वविद्यालयों और पुस्‍तकालयों से लेकर विभिन्‍न स्‍थानों जैसे- मंदिरों, मठों, मदरसों, विहारों और निजी संग्रहों में रखी पांडुलिपियों के आँकड़ों को संग्रह करता है।
  • एक पांडुलिपि कागज़, छाल, कपड़ा, धातु, ताड़ के पत्ते या अन्य सामग्री पर हस्तलिखित कम-से-कम 75 वर्ष पुरानी रचना होती है जिसका महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक, ऐतिहासिक या सौन्दर्यात्मक मूल्य होता है। लिथोग्राफ और मुद्रित संस्करण पांडुलिपियों के अंतर्गत नहीं आते हैं।
  • अब तक NMM ने दुर्लभ पांडुलिपियों सहित 43 लाख पांडुलिपियों को प्रलेखित किया है और 2.95 करोड़ पृष्ठों वाली 2.85 लाख पांडुलिपियों को DVD और हार्ड डिस्क में डिजिटल रूप में संग्रहित कर लिया है। 
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2