प्रीलिम्स फैक्ट्स : 06 मार्च, 2018 | 06 Mar 2018
अराकू घाटी में विकसित कॉफी के लिये GI टैग की मांग
प्रमुख बिंदु
- कॉफी बोर्ड ने आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम जिले में स्थित अराकू घाटी के जनजातीय समुदायों द्वारा विकसित की जाने वाली अरेबिका कॉफी हेतु भौगोलिक संकेतक टैग के पंजीकरण के लिये आवेदन किया है।
- अराकू घाटी क्षेत्र में उत्पादित होने वाली अरेबिका कॉफी एक उत्तम गुणवत्ता वाली विशेष कॉफी के रूप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय है।
- केंद्र सरकार कॉफी बोर्ड के ज़रिये ‘एकीकृत कॉफी विकास परियोजना’ क्रियान्वित कर अराकू घाटी में कॉफी उत्पादन को बढ़ावा दे रही है।
- इस योजना में पुनर्रोपण एवं विस्तार, जल संचयन एवं सिंचाई के बुनियादी ढाँचे का निर्माण और कॉफी एस्टेट के परिचालन हेतु मशीनीकरण के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करना शामिल है।
- कॉफी बोर्ड द्वारा हर साल आयोजित की जाने वाली ‘फ्लेवर ऑफ इंडिया-द फाइन कप अवार्ड’ प्रतियोगिता में भाग लेने के लिये कॉफी उत्पादकों को प्रोत्साहित भी किया जाता है।
भारत में कॉफ़ी की किस्में
- भारत में कॉफ़ी की दो किस्मों-अरेबिका एवं रोबस्टा की खेती की जाती है।
- अरेबिका मृदु कॉफ़ी है पर इसकी फलियाँ अधिक खुशबूदार होने के कारण रोबस्टा फलियों की तुलना में इसका बाज़ार मूल्य अधिक है। रोबस्टा की तुलना में अरेबिका उच्च अक्षांशों में उगाई जाती हैं।
- 15 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच का ठंडा और सम तापमान अरेबिका के लिये उपयुक्त है जबकि रोबस्टा के लिये 20 डिग्री सेल्सियस से 30 डिग्री सेल्सियस के तापमान के साथ गर्म और उन्नत तापमान उपयुक्त है।
- परंपरागत रूप से भारत में कॉफ़ी की कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु राज्यों के पश्चिमी घाट क्षेत्र में कृषि होती है। अब यह आंध्र प्रदेश और ओडिशा के गैर- परंपरागत क्षेत्रों के साथ-साथ पूर्वोत्तर राज्यों में भी तेज़ी से बढ़ रही है।