प्रीलिम्स फैक्ट्स : 3 जनवरी, 2018
फास्ट फूड पर चेतावनी लेबल हुआ अनिवार्य
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (Food Safety and Standards Authority of India - FSSAI) द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार, खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम (Food Safety and Standards Act), 2006 और उसके अधीन बनाए गए नियमों और विनियमों में फास्ट फूड को अलग से परिभाषित नहीं किया गया है।
- तथापि, खाद्य में उच्च वसा, शर्करा और नमक (High Fat, Sugar and Salt - HFSS) तथा संबद्ध स्वास्थ्य जोखिमों से निपटने के लिये भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा एक विशेषज्ञ ग्रुप का गठन किया गया है।
- एफ.एस.एस.ए.आई. द्वारा पैक लेबल के आमुख पर अनुशंसित डायट्री अलांऊस (Recommended Dietary Allowance - RDA) के प्रति इसके अंशदान सहित, प्रत्येक सर्विंग में कुल वसा, संयोजित शर्करा, नमक, ट्रांस फैट और ऊर्जा की अनिवार्य घोषणा शामिल करने के लिये लेबलिंग विनियमों को संशोधित करने का निर्णय लिया गया है।
- एफ.एस.एस.ए.आई. के पास ऐसी कोई सूचना उपलब्ध नहीं है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा ‘वयस्कों और बच्चों के लिये शर्करा इनटेक’ और खाद्य में उच्च शर्करा के दुष्प्रभाव विषयक दिशा-निर्देश विकसित किये गए हैं।
राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन National Organ & Tissue Transplant Organisation
राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (National Organ & Tissue Transplant Organisation - NOTTO) भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के अंतर्गत गठित एक राष्ट्रीय स्तर का संगठन है। यह संगठन नई दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में स्थित है।
- राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एनओटीटीओ) की वेबसाइट का हाल ही में शुभारंभ किया गया है।
एन.ओ.टी.टी.ओ. के निम्नलिखित दो प्रभाग है –
राष्ट्रीय मानव अंग और ऊतक निष्कासन एवं भंडारण नेटवर्क (National Human Organ and Tissue Removal and Storage Network)
- मानव अंग प्रत्यारोपण (संशोधन) अधिनियम [Transplantation of Human Organs (Amendment) Act], 2011 के अनुसार, इसे अनिवार्य किया गया है।
- यह नेटवर्क प्रारंभिक तौर पर दिल्ली के लिये स्थापित किया जाएगा और इसके पश्चात् इसका विस्तार देश के अन्य राज्यों और क्षेत्रों में किया जाएगा।
- एन.ओ.टी.टी.ओ. का राष्ट्रीय प्रभाग देश में अंगों और ऊतकों की खरीद के नेटवर्क अथवा वितरण के साथ-साथ अंगों और ऊतक दान एवं प्रत्यारोपण के पंजीकरण में सहयोग जैसी अखिल भारतीय गतिविधियों के लिये सर्वोच्च केन्द्र के तौर पर कार्य करेगा।
राष्ट्रीय बॉयोमैटीरियल केन्द्र (राष्ट्रीय ऊतक बैंक) National Biomaterial Centre (National Tissue Bank)
- इस केन्द्र को स्थापित करने का मुख्य आधार और उद्देश्य विभिन्न ऊतकों की उपलब्धता में गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के साथ-साथ मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को भरना है।
- अंगों को एक वस्तु बनाना सामाजिक, नैतिक और नीतिपरक मूल्यों के अपक्षरण के समान है और यह एक विकल्प नहीं हो सकता जिसे एक सभ्य समाज में अंगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये स्वीकार किया जा सकता हो।
- शरीर और इसके अंग वेबसाइट कारोबार के विषय नहीं हो सकते। इसी प्रकार से अंगों के लिये धनराशि का भुगतान करना अथवा प्राप्त करना निषेध किया जाना चाहिये।
- अंगों को दान करने के लिये लोगों को प्रोत्साहन देने के लिये उनके बीच जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है।
- इसमें नागरिक समाज, धार्मिक नेताओं और सृजनात्मक जागरूकता में अन्य हितधारकों के शामिल होने की आवश्यकता है।
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अंडमान में चींटी की नई स्थानिक प्रजाति की खोज New endemic ants from the Andamans
हाल ही में वैज्ञानिकों द्वारा अंडमान द्वीप-समूह के सदाबहार वनों में चींटी की टेट्रामोरियम प्रजाति (Genus Tetramorium) की दो नई स्पीशीज की खोज की गई है।
प्रमुख बिंदु
- नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज़ (National Centre for Biological Sciences -NCBS) बंगलूरु और ओकिनावा इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टैक्नोलॉजी ग्रेजुएट यूनिवर्सिटी, जापान के वैज्ञानिकों द्वारा अंडमान द्वीप-समूह के हेवलॉक द्वीप में चींटी की दो नई स्पीशीज की खोज की गई है।
- इन दोनों स्पीशीज़ के नाम टेट्रामोरियम कृष्णानी (Tetramorium krishnani) और टेट्रामोरियम जारवा (Tetramorium jarawa) हैं।
- इन स्पीशीज़ का नामकरण NCBS के दिवंगत वैज्ञानिक के.एस. कृष्णन के सम्मान में तथा इस द्वीप पर अधिवासित जारवा जनजातीय समुदाय के नाम पर किया गया है।
- ये चींटियाँ अंडमान के लिये स्थानिक है तथा हेवलॉक द्वीप के सदाबहार वनों की घास फूस (Leaf Litter) में रहती हैं।
- भारत में पहली बार वैज्ञानिकों की टीम ने प्रजातियों की आसान वर्गीकृत पहचान के लिये शारीरिकी संरचनाओं (Anatomical Structures) के विस्तृत अध्ययन हेतु चींटी नमूनों के 3-D मॉडल बनाने के लिये एक नॉवेल एक्स-रे माइक्रो सीटी प्रौद्योगिकी (novel X-ray micro CT technology) का इस्तेमाल किया।
- नई तकनीक का उपयोग करते हुए इन 3D छवियों को चींटी आकार विज्ञान (ant morphology) के विकास के अध्ययन के लिये प्रजातियों के जेनेटिक प्रोफाइल के साथ मैप किया जा सकता है।
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वस्तु एवं सेवा कर के अंतर्गत रिवर्स चार्ज मैकेनिज़्म
रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म क्या है? आमतौर पर, माल या सेवाओं के आपूर्तिकर्त्ता (Supplier) पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का भुगतान करने का दायित्व होता है। यदि इस कर देयता को आपूर्तिकर्त्ता की बजाय माल या सेवा की आपूर्ति प्राप्त करने वाले को (Recipient) स्थानांतरित कर दिया जाए तो इसे जीएसटी के तहत रिवर्स चार्ज कहा गया है।
प्रमुख बिंदु
- रिवर्स चार्ज मैकेनिज़्म जीएसटी के तहत उन प्रावधानों में से है जिनके द्वारा सरकार कर जाल को विस्तृत एवं कर की चोरी (tax evasion) को नियंत्रित करना चाहती है।
- जीएसटी में अपंजीकृत व्यक्ति द्वारा, किसी पंजीकृत व्यक्ति को आपूर्ति करने पर रिवर्स चार्ज मैकेनिज़्म का लागू होना रिवर्स चार्ज मैकेनिज़्म का सबसे आम उदाहरण है।
- सरकार द्वारा अधिसूचित वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति पर यह व्यवस्था लागू होगी। इसके अलावा, रिवर्स चार्ज अन्य परिस्थितियों में भी लागू होता है।
- एक आयातक (Importer) रिवर्स चार्ज मैकेनिज़्म के तहत जीएसटी का भुगतान करने के लिये उत्तरदायी है। ई-कॉमर्स ऑपरेटरों को उनके द्वारा दिये गए नेट वैल्यू वाले सामानों या सेवाओं पर कर जमा करना आवश्यक है।
- इनपुट टैक्स क्रेडिट (Input Tax Credit - ITC) का सहज प्रवाह केवल तभी संभव होता है, जब व्यवसाय के सभी आपूर्तिकर्त्ता जीएसटी का भुगतान करते हैं। इसलिये प्रत्येक व्यवसाय यह सुनिश्चित करेगा कि इसके आपूर्तिकर्त्ता जीएसटी का भुगतान करें ताकि वे इनपुट टैक्स क्रेडिट ले सकें।
- विनिर्मातों द्वारा कच्चे माल की खरीद पर दिये कर का, सरकार द्वारा अंतरण इनपुट टैक्स क्रेडिट कहलाता है।
- अल्प मात्रा में कर चोरी के मामलों पर स्व-नियंत्रण मज़बूत होने से कर विभाग द्वारा मानव संसाधनों का कुशल और दक्ष उपयोग किया जा सकता है।
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