प्रीलिम्स फैक्ट्स : 2 जनवरी, 2018
महिला सशक्तीकरण के लिये ऑनलाइन पोर्टल ‘नारी’
To empower women inaugurate an online portal NARI
महिलाओं के सशक्तीकरण के लिये केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (Ministry of Women & Child Development) द्वारा एक ऑनलाइन पोर्टल ‘नारी’ (NARI) शुरू किया गया है। इस पोर्टल को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा ही विकसित भी किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- इस पोर्टल के माध्यम से महिलाएँ उनके संदर्भ में चलाई जा रही सरकारी योजनाओं और पहलों के विषय में आसानी से जानकारी प्राप्त कर सकती हैं।
- इन सारी सूचनाओं को एक स्थान पर सुलभ कराने के उद्देश्य से ‘नारी’ पोर्टल में महिलाओं के कल्याण के लिये चलाई जा रही तकरीबन 350 सरकारी योजनाओं से संबंधित सभी महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ उपलब्ध कराई गई हैं।
- इतना ही नहीं इस पोर्टल पर विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के लिये महत्त्वपूर्ण लिंक भी दिये गए हैं।
- ‘नारी’ पोर्टल में महिलाओं के जीवन से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर जानकारी उपलब्ध कराई गई है।
- इस पर पोषण, स्वास्थ्य जाँच, बीमारी, नौकरी, साक्षात्कार, निवेश और बचत सलाह, महिलाओं के खिलाफ अपराध, कानूनी सहायता उपलब्ध कराने वालों के नम्बर, गोद लेने की सरल प्रक्रिया आदि विषयों पर टिप्स भी दिये गए हैं।
एनजीओ और सिविल सोसायटी के लिये ई-संवाद पोर्टल e-Samvad portal for NGOs and Civil Societies
इस पोर्टल को केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (Ministry of Women & Child Development) एवं एनजीओ और सिविल सोसायटी के मध्य संवाद स्थापित करने के उद्देश्य से लाया गया है।
प्रमुख बिंदु
- ई-संवाद पोर्टल के माध्यम से एनजीओ और सिविल सोसायटी अपने सुझाव, शिकायत व प्रतिक्रिया दे सकते हैं। इन सभी का जवाब देने के लिये मंत्रालय के उच्च अधिकारियों को इस पोर्टल से संबद्ध किया गया है।
- इसके पहले भी महिलाओं को समान अधिकार, आर्थिक अवसर, सामाजिक सहयोग, कानूनी सहायता, आवास आदि उपलब्ध कराने के लिये केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न योजनाएँ लागू की गई हैं।
- परंतु, अभी भी इन सभी योजनाओं के प्रति जागरूकता का अभाव है।
- उदाहरण के लिये, अधिकांश महिलाएँ इस तथ्य से अनभिज्ञ हैं कि कठिन परिस्थितियों में महिलाओं की सहायता के लिये 168 ज़िलों में ‘वन स्टॉप सेंटर’ उपलब्ध हैं, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवासों के पंजीयन में महिलाओं को प्राथमिकता दी जाती है तथा कई राज्यों में लड़कियों की शिक्षा के लिये वित्तीय मदद दी जाती है।
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प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम Prime Minister’s Employment Generation Programme (PMEGP)
एम.एस.एम.ई. (Ministry of Micro, Small and Medium Enterprises - MSME) द्वारा प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (Prime Minister’s Employment Generation Programme- (PMEGP) का कार्यान्वयन किया जा रहा है. यह नॉन-फॉर्म सेक्टरों में सूक्ष्म-उद्यमों (micro-enterprises) की स्थापना के माध्यम से स्व-रोज़गार के अवसर पैदा करने के उद्देश्य से लाया गया एक प्रमुख क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी कार्यक्रम (credit-linked subsidy programme) है। इसके अंतर्गत क्षेत्रीय कारीगरों और बेरोज़गार युवाओं को सहायता प्रदान करते हुए उन्हें रोज़गारोन्मुख बनाने का प्रयास किया जा रहा है
प्रमुख बिंदु
- ग्रामीण क्षेत्रों में सामान्य श्रेणी के लाभार्थी परियोजना लागत का 25% और शहरी क्षेत्रों में 15% मार्जिन मनी सब्सिडी (margin money subsidy) का लाभ उठा सकते हैं।
- अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग/अल्पसंख्यक/महिला, पूर्व सैनिक, शारीरिक रूप से विकलांग, एन.आर.आई, पहाड़ी और सीमा क्षेत्रों जैसे विशेष श्रेणियों से संबंधित लाभार्थियों के लिये ग्रामीण क्षेत्रों में मार्जिन मनी सब्सिडी 35% और शहरी क्षेत्र में 25% निधारित की गई है।
लाभ के पात्र कौन-कौन हैं?
- 18 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति इस कार्यक्रम के तहत लाभ का पात्र होगा।
- विनिर्माण क्षेत्र में 10 लाख रुपए और व्यापार/सेवा क्षेत्र में 5 लाख रुपए से अधिक की लागत वाली परियोजनाओं की स्थापना के लिये लाभार्थियों के पास कम-से-कम आठवीं कक्षा के स्तर की शैक्षणिक योग्यता होनी चाहिये।
- इसके अंतर्गत परियोजनाओं की स्थापना करने हेतु अधिकतम लागत सीमा विनिर्माण क्षेत्र के लिये 25 लाख रुपए और सेवा क्षेत्र के लिये 10 लाख रुपए निर्धारित की गई है।
वर्तमान स्थिति
- पी.एम.ई.जी.पी. योजना के तहत वर्णित सब्सिडी केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की जाती है।
- इस योजना को वर्ष 2008-09 के दौरान शुरू किया गया था।
- इसकी स्थापना के बाद से अभी तक कुल 4.47 लाख लघु उद्यमों की सहायता से 9326.01 करोड़ रुपए की मार्जिन मनी सब्सिडी की सहायता वाले अनुमानित 37.32 लाख व्यक्तियों को 2017-18 (30.11.2017) तक रोज़गार प्रदान किया जा चुका है।
नोडल निकाय
- राष्ट्रीय स्तर पर खादी और ग्रामोद्योग आयोग (Khadi and Village Industries Commission - KVIC) इसकी नोडल एजेंसी है।
- राज्य/ज़िला स्तर पर के.वी.आई.सी., के.वी.आई.बी. और ज़िला उद्योग केंद्र (District Industry Centres - DIC) के राज्य कार्यालय क्रमशः 30:30:40 के अनुपात में राज्यों में कार्यान्वयन एजेंसियों के रूप में कार्यरत हैं।
ऑनलाइन पोर्टल
- इसके अंतर्गत एक ऑनलाइन पी.एम.ई.जी.पी. ई-पोर्टल भी शुरू किया गया है. इस पोर्टल को 1 जुलाई, 2016 में लॉन्च किया गया था।
- इस कार्यक्रम के तहत संपूर्ण प्रक्रिया को वास्तविक समय (real time) के अनुरूप ऑनलाइन तैयार किया गया है।
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नारकोंडम हॉर्नबिल की आबादी में वृद्धि Narcondam Hornbills Edge Back From the Brink
भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण (Zoological Survey of India - ZSI) द्वारा नारकोंडम द्वीप पर नारकोंडम हॉर्नबिल (Narcondam Hornbills) के प्रजनन जोड़ों और युवा पक्षियों की अच्छी-खासी आबादी को देखा गया है।
प्रमुख बिंदु
- जलवायु परिवर्तन और सिकुड़ते प्राकृतिक आवासों के कारण विलुप्त होती प्रजातियों के बीच लुप्तप्राय नारकोंडम हॉर्नबिल (वैज्ञानिक नाम Rhyticeros Narcondami) की आबादी में वृद्धि पर्यावरण विशेषज्ञों के लिये एक उत्साह का विषय है।
- मखमली-काले पंख और बडी पीली चोंच वाली नारकोंडम हॉर्नबिल और इसका आवास स्थल 2014 में रक्षा मंत्रालय द्वारा अंडमान और निकोबार के द्वीपों पर एक Listening Post को स्थापित करने के प्रस्ताव के चलते विवाद का केंद्र बने हुए थे।
- Listening Post वह सामरिक पोस्ट होती हैं, जहाँ से रेडियो और माइक्रोवेव संकेतों की निगरानी और उनमें निहित सूचनाओं का विश्लेषण किया जाता है।
- कई पर्यावरणविदों और विशेषज्ञों की आपत्तियों के बावजूद, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के लेफ्टिनेंट गवर्नर के कार्यालय ने अगस्त 2014 में इनके लिये एक वैकल्पिक आवास निर्मित करने का सुझाव दिया था, क्योंकि नारकोंडम सामरिक निगरानी और रडार स्टेशन स्थापित करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण स्थान है।
- किंतु, प्रकृति के संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय संघ (International Union for Conservation of Nature-IUCN) और खतरे की कगार पर प्रजातियों की लाल सूची में इसे लुप्तप्राय (Endangered) माने जाने के कारण रक्षा मंत्रालय ने इस मामले को आगे नहीं बढ़ाया।
- वर्तमान में यहाँ पर एक पुलिस चौकी के अलावा कोई निर्माण कार्य नहीं हुआ है।
भौगोलिक स्थिति
- 7 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल वाला नारकोंडम द्वीप उत्तरी अंडमान द्वीप के पूर्व में अवस्थित एक ज्वालामुखी द्वीप है।
- यह एक घोषित वन्यजीव अभयारण्य है जो म्याँमार के कोको द्वीप के निकट अवस्थित है, जहाँ चीन की सैन्य उपस्थिति है।
- वर्तमान में इस लुप्तप्राय पक्षी पर एक विस्तृत अध्ययन की योजना पर विचार किया जा रहा है। वर्ष 2002 में किये गए अध्ययन में इनकी संख्या लगभग 400 पाई गई थी।
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