प्रीलिम्स फैक्ट्स : 01 मार्च, 2018 | 01 Mar 2018
विश्व दुर्लभ रोग दिवस (World Rare Disease Day)
प्रमुख बिंदु
- हर वर्ष फरवरी का आखिरी दिन विश्व दुर्लभ रोग दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- दुर्लभ रोग दिवस का मुख्य उद्देश्य आम जनता और नीति निर्धारकों के बीच दुर्लभ रोगों और इससे पीड़ित रोगियों के जीवन पर इनके प्रभावों के बारे में जागरूकता का प्रचार प्रसार करना है।
- पहला दुर्लभ रोग दिवस 2008 में 29 फरवरी को मनाया गया था। यह एक दुर्लभ तिथि है जो हर चार साल में केवल एक बार आती है।
- 2008 में इसे यूरोडिस (EURORDIS) और इसकी राष्ट्रीय गठबंधन परिषद (Council of National Alliances) के द्वारा शुरू किया गया था।
- शुरुआत में यह एक यूरोपीय अभियान के तौर पर शुरू हुआ था लेकिन 2009 में अमेरिका के इससे जुड़ने के बाद यह एक वैश्विक अभियान बन गया और 2017 में इसके भागीदार राष्ट्रों की संख्या लगभग 94 हो गई थी।
- भारत में इस अवसर पर Indian Organization of Rare diseases द्वारा प्रकाशित एक न्यूज़लेटर जारी किया गया।
क्या है दुर्लभ बीमारी?
- भारत में दुर्लभ बीमारी की कोई मानक परिभाषा नहीं है। इन बीमारियों के लिये उपलब्ध अधिकांश साहित्य पश्चिमी लेखकों द्वारा लिखा गया है और इनकी परिभाषा भी पश्चिमी संदर्भों पर ही आधारित है।
- यूरोप में एक बीमारी या असामान्यता यदि 10000 में से अधिकतम 5 व्यक्तियों को प्रभावित करती है तो इसे दुर्लभ बीमारी के रूप में परिभाषित किया जाता है
- अमेरिका में किसी बीमारी या असामान्यता के चलते 200,000 से कम व्यक्तियों के प्रभावित होने पर इसे दुर्लभ बीमारी के रूप में परिभाषित किया जाता है।