किशोरावस्था में गर्भधारण तथा बच्चों का अवरुद्ध विकास | 17 May 2019
चर्चा में क्यों?
- अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (IFPRI) के अध्ययन के अनुसार, भारत में किशोर माताओं से पैदा होने वाले बच्चे वयस्क माताओं से पैदा होने वाले बच्चों की तुलना में अधिक अवरुद्ध विकास वाले (Stunted) होते हैं।
- दुनिया में सबसे अधिक अवरुद्ध विकास वाले बच्चों की संख्या भारत में है। साथ ही भारत किशोर गर्भावस्था के सबसे बड़े बोझ वाले 10 देशों में से एक है।
- शोधकर्त्ताओं ने चौथे भारतीय राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आँकड़ों का विश्लेषण किया है।
- अनुसंधान में संभावित सामाजिक, जैविक और अन्य कारकों की जाँच की गई जो संभवतः प्रारंभिक गर्भावस्था और बच्चे के अवरुद्ध विकास में योगदान देते हैं।
अध्ययन के निष्कर्ष
- अध्ययन में वयस्क माताओं की तुलना में किशोर माताओं में पोषण की ख़राब स्थिति, कम शिक्षा, प्रसव-पूर्व स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच की कम संभावना तथा गरीबी की स्थिति अधिक देखी गई।
- वयस्क माताओं की तुलना में किशोर माताओं द्वारा जन्म दिये जाने वाले बच्चों में अवरुद्ध विकास तथा सामान्य से कम वजन (Underweight) की व्यापकता 10% अधिक पाई गई।
- पहली बार गर्भधारण करने वाली किशोर माताएँ वयस्क माताओं की तुलना में औसत रूप से छोटी और पतली थीं।
- वे बच्चों के अल्प विकास के साथ एनीमिया की समस्या से भी ग्रसित थीं।
- कम हीमोग्लोबिन का स्तर आयरन की कमी के कारण उत्पन्न होता है।
- गर्भावस्था से पहले और बाद में आयरन की कमी से माँ और शिशु के स्वास्थ्य पर गंभीर दुष्परिणाम होते हैं, जिनमें जन्म के समय सामान्य से कम वजन, क्षीण संज्ञानात्मक विकास तथा खराब प्रतिरक्षा प्रणाली शामिल है।
- स्वच्छता की कमी तथा जीवन यापन की दयनीय स्थिति बच्चों में संक्रमण की संभावना को बढ़ाती है जो अवरुद्ध विकास का कारण बनता है।
- किशोरावस्था में गर्भाधारण के परिणाम कभी-कभी घातक भी होते हैं।
- इससे स्कूल छोड़ने की प्रवृत्ति में वृद्धि, युवा महिलाओं की शिक्षा, आय और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसका नवजात बच्चे के खराब स्वास्थ्य के साथ महत्त्वपूर्ण संबंध होता है।
विश्व बैंक का अनुमान
- अनुमान है कि यदि किशोर गर्भावस्था का यही रुझान 2025 तक जारी रहता है तो 127 मिलियन भारतीय बच्चों का विकास अवरुद्ध हो जाएगा।
- मधुमेह जैसे अपक्षयी रोगों का बढ़ता जोखिम तथा बच्चों का अवरुद्ध विकास भविष्य की आजीविका और देश की आर्थिक प्रगति को प्रभावित करता है।
- विश्व बैंक के एक अनुमान के मुताबिक, बच्चों में अवरुद्ध विकास (stunting) से देश के सकल घरेलू उत्पाद में 3% तक की कमी आ सकती है।
बच्चों का अवरुद्ध विकास (Stunting)
- स्टंटिंग कुपोषण का एक भीषणतम रूप है, जिसकी चपेट में आने वाले बच्चों का उनकी उम्र के हिसाब से न तो वज़न बढ़ता है और न ही उनकी लंबाई बढ़ती है।
- लगातार डायरिया जैसे रोंगों से संक्रमित रहने के कारण बच्चों को पर्याप्त मात्रा में पोषण नहीं मिल पाता है, जिसके कारण वे स्टंटिंग के शिकार हो जाते हैं।
- स्टंटिंग या अवरुद्ध विकास का कारण भोजन में लंबे समय तक आवश्यक पोषक तत्त्वों की कमी और बार-बार होने वाला संक्रमण है।
- स्टंटिंग की समस्या आमतौर पर दो साल की उम्र से पहले होती है और इसके प्रभाव काफी हद तक अपरिवर्तनीय होते हैं। इसके कारण बच्चों का विकास देर से होता है, बच्चे संज्ञानात्मक कार्य में अक्षम होते है और स्कूल में उनका प्रदर्शन खराब होता है।
- विकासशील देशों में पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों में से लगभग एक-तिहाई बच्चे स्टंटिंग से ग्रस्त हैं। भारत में स्टंटिंग से ग्रसित बच्चों की संख्या सर्वाधिक है।
अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान
- अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (IFPRI) विकासशील देशों में गरीबी, भूख और कुपोषण को कम करने के लिये अनुसंधान आधारित नीतिगत समाधान प्रदान करता है।
- 1975 में स्थापित IFPRI में वर्तमान में 50 से अधिक देशों में काम करने वाले 600 से अधिक कर्मचारी हैं।
- यह अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान के लिये सलाहकार समूह (CGIAR) का एक अनुसंधान केंद्र है, जो दुनिया भर में विकास के लिये कृषि अनुसंधान के कार्य से जुड़ा है।
आगे की राह
- शोधकर्त्ताओं के अनुसार किशोरावस्था में विवाह पर प्रतिबंध लगाना ही एक ऐसा उपाय है जिससे किशोर गर्भावस्था और बच्चे के अवरुद्ध विकास को रोका जा सकता है।
- किशोरावस्था में शादी को रोकने के लिये सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों को प्रभावी रूप से लागू करना।
- बिना शर्त नकद हस्तांतरण, स्कूल में नामांकन पर सशर्त नकद हस्तांतरण और रोज़गार हेतु प्रशिक्षण जैसे हस्तक्षेपों के माध्यम से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में किशोर लड़कियों की शादी को रोकना संभव है।
- किशोरावस्था में विवाह पर रोक लगाने हेतु एक मज़बूत कानून समय की आवश्यकता है।
- भारत में एक लड़की की शादी की उम्र कानूनी तौर पर अभी भी 18 वर्ष है, इस रिपोर्ट के प्रकाश में इसकी समीक्षा की जानी चाहिये।