नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


भूगोल

असम में मानसून-पूर्व भारी क्षति

  • 25 May 2022
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भूस्खलन, बाढ़, मानसून।

मेन्स के लिये:

असम और अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में मानसून-पूर्व बाढ़ और भूस्खलन का कारण।

चर्चा में क्यों?

मानसून का आना अभी बाकी है लेकिन उससे पहले ही असम बाढ़ और भूस्खलन से बुरी तरह प्रभावित है, जिसके कारण 15 लोगों की मौत गई तथा 7 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं।

  • दीमा हसाओ का पहाड़ी ज़िला, विशेष रूप से बाढ़ और भूस्खलन से क्षतिग्रस्त हो गया है, जिससे राज्य के बाकी हिस्सों से उसका संपर्क टूट गया है।

इस क्षतिग्रस्तता के कारक:

  • मानसून-पूर्व अति वर्षा:
    • असम में 1 मार्च से 20 मई की अवधि में औसत वर्षा 434.5 मिमी. होती है, जबकि इस वर्ष की इसी अवधि में 719 मिमी. वर्षा हुई है जो कि 65% अधिक है।
    • पड़ोसी राज्य मेघालय में यह 137% से भी अधिक दर्ज की गई है।
  • ज़लवायु परिवर्तन:
    • वर्षा के समय और पैमाने के लिये जलवायु परिवर्तन को ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है।
    • जलवायु परिवर्तन के कारण अधिक केंद्रित और भारी वर्षा की घटनाएँ होती हैं।

प्री-मानसून के दौरान भूस्खलन का कारण:

  • यह "पहाड़ियों के नाजुक भूदृश्य पर अवांछित, अव्यावहारिक, अनियोजित संरचनात्मक हस्तक्षेप" का कारण है।
  • पिछले कुछ वर्षों में रेलवे लाइन और फोर लेन राजमार्ग के विस्तार के लिये न केवल बड़े पैमाने पर वनों की कटाई हुई है, बल्कि ज़िला अधिकारियों की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर नदी के किनारे खनन भी किया गया है।
  • असम और पड़ोसी राज्यों में बुनियादी ढांँचे के विकास के रूप में नदियों और झरने जैसे जल स्रोतों पर तेज़ी से सड़कों का निर्माण किया जा रहा है, परिणामस्वरूप हाल के वर्षों में राज्य में भूस्खलन में वृद्धि हुई है।

आगे की राह

  • निर्माण कार्यों को क्षेत्र की पारिस्थितिक संवेदनशीलता के अनुरूप किये जाने की आवश्यकता है तथा "सजगता के साथ निर्माण" और "राज्य की सीमाओं के पार एकीकृत समग्र दृष्टिकोण" समय की आवश्यकता है।
  • "पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों" को ध्यान में रखने और "सतत् बुनियादी ढाँचे" के निर्माण के लिये स्थानीय समुदाय को शामिल करने का सुझाव दिया गया है।
  • हर चीज़ के लिये जलवायु परिवर्तन को दोष देना उचित नहीं है, ऐसी आपदाओं के प्रति जलवायु परिवर्तन के संयोजन में हमने ज़मीनी स्तर पर जो समस्याएँ पैदा की हैं, उन पर पुनः विचार करने की ज़रूरत है।

भूस्खलन:

  • परिचय:
    • भूस्खलन को सामान्य रूप से शैल, मलबा या ढाल से गिरने वाली मिट्टी के बृहत संचलन के रूप में परिभाषित किया जाता है।
      • यह एक प्रकार का वृहद् पैमाने पर अपक्षय है, जिससे गुरुत्वाकर्षण के प्रत्यक्ष प्रभाव में मिट्टी और चट्टान समूह खिसक कर ढाल से नीचे गिरते हैं।
      • भूस्खलन के अंतर्गत ढलान संचलन के पाँच तरीके शामिल हैं: गिरना (Fall), लटकना (Topple), फिसलना (Slide), फैलना (Spread) और प्रवाह (Flow)।

landslide

  • संबंधित कदम:
    • भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने देश में पूरे 4,20,000 वर्ग किलोमीटर के भूस्खलन-प्रवण क्षेत्र के 85% भाग के लिये एक राष्ट्रीय भूस्खलन संवेदनशीलता मानचित्रण जारी किया है। इस मानचित्र में आपदा की प्रवृत्ति के अनुसार क्षेत्रों को अलग-अलग ज़ोन में बाँटा गया है।
      • पूर्व चेतावनी प्रणालियों में सुधार, निगरानी और संवेदनशीलता, क्षेत्रीकरण से भूस्खलन के नुकसान को कम किया जा सकता है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow