प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम | 23 Oct 2019

प्रीलिम्स के लिये:

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम, पेरिटोनिअल डायलिसिस

मेन्स के लिये:

पेरिटोनिअल डायलिसिस सेवाओं को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम में शामिल करने के संदर्भ में जारी दिशा-निर्देशों का उद्देश्य

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने ‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम’ (Pradhanmantri National Dialysis Programme) के अंतर्गत ‘पेरिटोनिअल डायलिसिस’ सेवाओं (Peritoneal Dialysis Services) की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिये दिशा-निर्देशों की एक सूची जारी की है।

मुख्य बिंदु:

  • केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का उद्देश्य पेरिटोनिअल डायलिसिस सेवाओं को उनके प्रदाताओं के बीच बेहतर कार्य प्रणाली के साथ स्थापित करना तथा किडनी से संबंधित रोगों से ग्रस्त रोगियों को उच्च गुणवत्ता और कम लागत में डायलिसिस सेवाएँ प्रदान करना है।
  • इस कार्यक्रम का एक उद्देश्य किडनी से संबंधित रोगियों को संसाधनों का उचित प्रयोग करके, नियमित अभ्यास तथा विस्तृत उत्पादों की सहायता से घर पर ही डायलिसिस की सेवा उपलब्ध कराना है।
  • ये दिशा-निर्देश राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केंद्र तथा एक विशेषज्ञ समिति के समन्वित प्रयासों से जारी किये गए हैं।
  • विशेषज्ञ समिति के अनुसार, पेरिटोनिअल डायलिसिस लगभग उन दो लाख भारतीयों के लिये लाभदायक सिद्ध हो सकती है जो हर वर्ष किडनी फेल होने की अंतिम अवस्था से गुज़रते हैं। ऐसे रोगियों के पास अब पेरिटोनिअल डायलिसिस के रूप में एक और विकल्प होगा जिसके द्वारा वे संभावित लचीली जीवन शैली अपनाकर घर पर ही डायलिसिस करा सकते हैं।
  • जन-समुदाय आधारित पेरिटोनिअल डायलिसिस सेवाओं से उपचार की लागत में काफी हद तक कमी आएगी।
  • विशेषज्ञ समिति के अनुसार, आंध्र प्रदेश में हेमोडायलिसिस कार्यक्रम के क्रियान्वयन का मूल्यांकन करने पर पता चला कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्तियों को गुणवत्तापूर्ण डायलिसिस सेवाएँ प्रदान करना कठिन कार्य है। प्रशिक्षित व्यक्तियों की उचित देखभाल में ‘पेरिटोनिअल डायलिसिस’ सेवाओं को ग्रामीण तथा पारिवारिक स्तर पर सुनिश्चित करने में लंबा समय लग सकता है।

हेमोडायलिसिस तथा पेरिटोनिअल डायलिसिस में अंतर:

हेमोडायलिसिस: (Hemodialysis)

  • हेमोडायलिसिस के अंतर्गत रक्त को कृत्रिम किडनी की तरह कार्य करने वाली एक मशीन की सहायता से फिल्टर किया जाता है तथा उसे वापस पुनः शरीर में भेज दिया जाता है।
  • हेमोडायलिसिस की प्रक्रिया निर्दिष्ट डायलिसिस केंद्रों पर ही होती है, इस प्रक्रिया की सप्ताह में सामान्यतः तीन बार आवश्यकता होती है।
  • इस प्रक्रिया को पूरा होने में लगभग 3-4 घंटे का समय लगता है।
  • हेमोडायलिसिस को ‘ब्लड डायलिसिस’ (Blood Dialysis) भी कहते हैं।

पेरिटोनिअल डायलिसिस: (Peritoneal Dialysis)

  • इसे ‘वाटर डायलिसिस’ (Water Dialysis) भी कहते हैं।
  • डायलिसिस की इस प्रक्रिया के अंतर्गत रक्त को शरीर से निकाले बिना साफ किया जाता है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत उदर के अंदर स्थित कोष या थैली प्राकृतिक फिल्टर का कार्य करती है।
  • इस प्रक्रिया के अंतर्गत मुख्यतः नमक और चीनी से बने मिश्रण को उदर कोष के अंदर डाला जाता है जो फिल्ट्रेशन को बढ़ाता है तथा रक्त में उपस्थित अशुद्धियाँ मिश्रण में स्थानांतरित हो जाती हैं।

पेरिटोनिअल डायलिसिस दो प्रकार का होता है:

कांटीन्यूअस एम्बुलेटरी पेरिटोनिअल डायलिसिस:

(Continuous Ambulatory Peritonial Dialysis)

  • पेरीटोनिअल डायलिसिस की इस प्रक्रिया को प्रतिदिन 3 से 5 बार करना आवश्यक होता है।
  • इसमें मशीन की आवश्यकता नहीं होती है।

ऑटोमेटेड पेरिटोनिअल डायलिसिस:

(Automated Peritoneal Dialysis)

  • पेरिटोनिअल डायलिसिस की इस प्रक्रिया में एक स्वचालित साइक्लिक (Cyclic)
  • मशीन द्वारा रात में रोगी के सोते समय 3 से 5 बार रोगी के रक्त को फिल्टर किया जाता है।

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम:

  • प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम की घोषणा वर्ष 2016-17 के केंद्रीय बजट में हुई थी।
  • इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किडनी संबंधित रोगों से ग्रस्त रोगियों को डायलिसिस की सरल तथा सहज सुविधाएँ प्रदान करके उनके शरीर को स्वस्थ बनाना है।
  • इस कार्यक्रम के प्रथम चरण का उद्देश्य सभी ज़िलों में हेमोडायलिसिस केंद्रों की स्थापना करना है।
  • अब इस कार्यक्रम में पेरिटोनिअल डायलिसिस को भी शामिल कर लिया गया है जिससे रोगियों को अपना उपचार कराने की स्वायत्तता मिलेगी तथा स्वास्थ्य सेवाओं की मांग में कमी आएगी और बुनियादी ढाँचे, रखरखाव तथा स्टाफ प्रबंधन की लागत में भी कमी आएगी।

निष्कर्ष:

भारत में हेमोडायलिसिस की प्रक्रिया एक बार संपन्न होने में लगभग 2000 रुपए की लागत आती है। इस प्रकार किडनी से ग्रस्त रोगियों का वार्षिक खर्च 3-4 लाख रुपए वार्षिक होता है। ग्रामीण क्षेत्रों की हेमोडायलिसिस केंद्रों से दूरी भी इस समस्या का प्रमुख कारण है। पेरिटोनिअल डायलिसिस को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम में शामिल किये जाने से गरीब परिवारों के रोगियों को कम लागत में डायलिसिस की सुविधा प्राप्त होगी तथा ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी अब घर में ही डायलिसिस की सुविधा प्राप्त कर सकेंगे।

स्रोत-डाउन टू अर्थ