लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

भारतीय अर्थव्यवस्था

बिजली वितरण कंपनियाँ और आर्थिक पैकेज

  • 19 May 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये

आत्मनिर्भर भारत अभियान, डिस्कॉम

मेन्स के लिये

विद्युत क्षेत्र की चुनौती और संभावनाएँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने COVID-19 महामारी के बीच ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के लिये 90 हजार करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु

  • इस संबंध में की गई आधिकारिक घोषणा के अनुसार, पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (Power Finance Corporation) और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन (Rural Electrification Corporation) संयुक्त रूप से बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को तरलता प्रदान करने के लिये 90 हजार करोड़ रुपए की राशि प्रदान करेंगे।
  • बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) द्वारा इस राशि का प्रयोग बिजली उत्पादन कंपनियों के साथ अपना बकाया चुकाने के लिये किया जाएगा।

इस निर्णय की आवश्यकता?

  • ध्यातव्य है कि केंद्र सरकार का यह निर्णय अधिकांश राज्य डिस्कॉम की खराब वित्तीय स्थिति और राजस्व संग्रह क्षमता को देखते हुए लिया गया है।
  • वाणिज्यिक और औद्योगिक बिजली उपभोक्ताओं द्वारा भुगतान न करने के कारण बिजली वितरण कंपनियाँ (डिस्कॉम) गंभीर तनाव का सामना कर रही हैं, ऐसी स्थिति में इन कंपनियों को सहायता प्रदान करना काफी महत्त्वपूर्ण हो गया है।

विद्युत क्षेत्र की समस्याएँ

  • विद्युत क्षेत्र से संबंधित समस्याओं को समझने के लिये सर्वप्रथम हमें यह समझना होगा कि विद्युत क्षेत्र किस प्रकार कार्य करता है-
    • विद्युत क्षेत्र की कार्यप्रणाली को मुख्यतः 3 चरणों में समझा जा सकता है। पहले चरण में सर्वप्रथम बिजली थर्मल, हाइड्रो या नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों में ऊर्जा उत्पन्न की जाती है। ये ऊर्जा संयंत्र या तो NTPC लिमिटेड और NHPC लिमिटेड जैसी सार्वजनिक कंपनियों द्वारा संचालित किये जाते हैं अथवा टाटा पावर और अडानी पावर जैसी निजी कंपनियों द्वारा संचालित किये जाते हैं।
    • दूसरे चरण में उत्पन्न बिजली एक जटिल ट्रांसमिशन ग्रिड प्रणाली से गुजरती है जिसमें बिजली सबस्टेशन, ट्रांसफार्मर और बिजली की लाइनें शामिल होती हैं जो बिजली उत्पादकों और अंतिम उपभोक्ताओं को जोड़ती हैं। इस चरण में बड़े पैमाने पर राज्य के स्वामित्त्व वाली कंपनियों का वर्चस्व रहता है, जो ट्रांसमिशन ग्रिड प्रणाली का संचालन करती हैं। पूरी ट्रांसमिशन ग्रिड प्रणाली में हजारों मील लंबी हाई-वोल्टेज बिजली लाइन और लाखों मील लंबी लो-वोल्टेज बिजली लाइनें शामिल होती हैं जो पूरे देश में लाखों बिजली उपभोक्ताओं को लाखों बिजली संयंत्रों से जोड़ती हैं।
    • विद्युत क्षेत्र की कार्यप्रणाली के तीसरे चरण में बिजली को उपभोक्ताओं तक पहुँचाने का कार्य किया जाता है, जिसमें बिजली वितरण कंपनियाँ (डिस्कॉम) शामिल होती हैं, जो कि बड़े पैमाने पर राज्य सरकारों द्वारा संचालित होती हैं। हालाँकि, दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद और कोलकाता जैसे शहरों में, निजी संस्थाएँ भी वितरण व्यवसाय का कार्य करती हैं। 
  • दरअसल बिजली वितरण कंपनियाँ (डिस्कॉम) बिजली खरीद समझौतों (Power Purchase Agreements-PPAs) के माध्यम से बिजली उत्पादन कंपनियों से बिजली खरीदती हैं और फिर उपभोक्ताओं (वितरण के क्षेत्र में) को इसकी आपूर्ति करती हैं। 
  • वर्तमान में विद्युत क्षेत्र के साथ प्रमुख समस्या राज्य डिस्कॉम की निरंतर खराब वित्तीय स्थिति है, जिसके कारण बिजली वितरण कंपनियों की आपूर्ति के लिये बिजली खरीदने की उनकी क्षमता प्रभावित हो रही है। नतीजतन, यह उपभोक्ताओं को मिलने वाली बिजली की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।

इस निर्णय का महत्त्व

  • विश्लेषकों का मत है कि बिजली वितरण कंपनियों को 90 हजार रुपए का राहत पैकेज प्रदान करने का निर्णय भारतीय विद्युत क्षेत्र में तरलता के दबाव को कम करेगा और इससे उपभोक्ताओं के लिये निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
  • केंद्र सरकार द्वारा दी जा रही इस राशि का उपयोग डिस्कॉम द्वारा बिजली उत्पादन कंपनियों को अपने बकाए का भुगतान करने के लिये किया जाएगा, जिससे बिजली उत्पादन कंपनियाँ अधिकाधिक उत्पादन कर सकेगी और बिजली वितरण की निरंतरता सुनिश्चित हो सकेगी।
  • केंद्र सरकार का यह वित्तपोषण डिस्कॉम को अपने बुनियादी ढाँचे तथा राजस्व संग्रह दक्षता में सुधार करने में मदद करेगा। 
  • यह विद्युत क्षेत्र में नकदी प्रवाह के चक्र को फिर से शुरू करने में मदद करेगा, जो कि वर्तमान में लगभग पूरी तरह से रुक गया है, जिसके कारण इस क्षेत्र का विकास नहीं हो पा रहा है।

निष्कर्ष

  • विद्युत क्षेत्र में नकदी प्रवाह के चक्र को पुनः शुरू करने से इस क्षेत्र का विकास संभव हो सकेगा, जिससे COVID-19 के कारण प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था को पुनः पटरी पर लाने में मदद मिलेगी।
  • हालाँकि कई विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार द्वारा घोषित उक्त उपाय निश्चित रूप से अल्पकालिक उपाय है और बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) की वित्तीय स्थिरता अभी भी चिंता का एक बड़ा विषय बनी हुई है।
  • सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को COVID-19 जनित मंदी से बाहर निकलने के लिये तमाम प्रयास किये जा रहे हैं, आवश्यक है कि सरकार इन कार्यक्रमों के कार्यान्वयन पर भी ध्यान दे और जहाँ तक संभव हो सके नीति निर्माण में विभिन्न हितधारकों का प्रतिनिधित्त्व भी शामिल किया जाए।

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2