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मलेरिया की रोकथाम हेतु एक नए टीके का विकास

  • 17 Feb 2017
  • 6 min read

सन्दर्भ :

वैज्ञानिकों ने मलेरिया के लिए एक नया टीका विकसित किया है जो सौ प्रतिशत प्रभावी है । नेचर पत्रिका में प्रकाशित शोधपत्र के अनुसार सैनेरिया पीएफएसपीजेड-सीवीएस (PfSPZ-CVac) नामक यह टीका क्लिनिकल जाँच में अंतिम खुराक के दस सप्ताह बाद भी पूरी तरह से प्रभावी रहा । अमरीका में किए गए एक शोध में मलेरिया की रोकथाम के लिए विकसित किए गए एक टीके ने उम्मीद जगाई है |

प्रमुख बिंदु :

  • उल्लेखनीय है, कि मलेरिया से हर साल तकरीबन 30 लाख लोग संक्रमित होते हैं जिनमे से लगभग छह लाख लोगों की मौत हो जाती है |
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वर्ष 2010 में दुनिया भर में मलेरिया के 22 करोड़ मामले सामने आए थे और करीब 6 लाख 60 हज़ार लोग मारे गए थे |
  • शोधकर्ताओं ने पाया कि इस टीके को ज़्यादा मात्रा में दिए जाने से मलेरिया से पीड़ित 15 रोगियों में से 12 का बचाव सुनिश्चित किया जा सका |
  • इस अनोखे तरीके में पीड़ित के शरीर में मलेरिया पैदा करने वाले परजीवी को सीधे डाला गया ताकि उसके भीतर प्रतिरक्षा पैदा की जा सके|
  • ध्यातव्य है कि विकिरण या रेडियेशन दिए गए मच्छरों के काटने से मलेरिया से बचा जा सकता है | लेकिन अध्ययन दिखाते हैं कि इस तरह के मच्छर लंबे समय तक 1,000 से ज़्यादा बार आपको काटें, तभी शरीर में मलेरिया के खिलाफ़ प्रतिरक्षा पैदा हो सकती है. इसलिए मलेरिया से बचाव का ये एक अव्यावहारिक तरीका है |  
  • इसकी जगह अमरीका की एक बायोटेक कंपनी सनेरिया ने प्रयोगशाला में पैदा हुए मच्छरों को विकिरण देकर उनमें से मलेरिया पैदा करने वाले परजीवी प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम को निकाला |
  • जर्मनी के यूनिवर्सिटी ऑफ ट्यूबिंगन ने दवा बनाने वाली कंपनी सैनेरिया के सहयोग से 67 ऐसे स्वस्थ लोगों पर परीक्षण किया जिन्हें पहले कभी मलेरिया नहीं हुआ था । 
  • पहले फ़ेस के क्लीनिकल परीक्षणों में शोधकर्ताओं ने 57 लोगों को चुना जिन्हें कभी मलेरिया नहीं हुआ था |
  • इनमें से सिर्फ़ 40 लोगों को टीके की विभिन्न मात्रा दी गई लेकिन पूरे समूह को मलेरिया फ़ैलाने वाले मच्छरों के साथ रखा गया |
  • शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों को टीका नहीं दिया गया, या फिर जिन्हें कम मात्रा में टीका दिया गया, उनमें से लगभग सभी को मलेरिया हो गया |
  • सबसे अधिक प्रतिरोधक प्रतिक्रिया नौ लोगों के उस समूह की रही जिन्हें इस नए टीका की सर्वाधिक खुराक दी गई थी । 
  • इस समूह को चार सप्ताह के अंतराल पर तीन बार टीका लगाया गया था। इसम जीवित लेकिन कमज़ोर परजीवियों को फिर सीधे मरीज़ के खून में डाला गया |
  • परीक्षण के अंत में पाया गया कि ये सभी नौ लोग मलेरिया से सौ प्रतिशत सुरक्षित थे।
  • यह टीका कमजोर पड़े बिना मलेरिया के विषाणुओं को निष्क्रिय करने में सक्षम पाया गया 
  • प्रमुख शोधकर्ता बेंजामिन मॉर्डमुएलर के अनुसार, पूरी तरह से सक्रिय विषाणु का टीका लगाते ही यह स्पष्ट हो गया कि हम एक मजबूत प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में सक्षम हो गए हैं। 
  • अमरीका के मेरीलैंड में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ के वैक्सीन रिसर्च सेंटर के चिकित्सक एवं शोधकर्ता, इस शोध के नतीजों के प्रति उत्साह प्रकट करते हुए इस तरीके को दोहराये जाने और ज़्यादा लोगों पर इसका परीक्षण किये जाने की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं |
  • अगला महत्वपूर्ण सवाल ये है कि क्या ये टीका लंबे समय तक कारगर रहेगा और क्या ये टीका मलेरिया के और प्रकारों से मनुष्य को बचा सकता है? दरअसल इस टीके को सीधे रक्तप्रवाह में प्रवेशित करना होता है जो थोडा मुश्किल है |

अब तक प्राप्त आँकड़े बताते हैं कि अब अपेक्षाकृत अधिक स्थिर और टिकाऊ प्रतिरोधक टीका प्राप्त कर लिया गया है | पीएफएसपीजेड-सीवीएस (PfSPZ-CVac) नामक यह टीका संभवतः दो वर्षों में बाज़ार में उपलब्ध हो जाएगा | इसके अतिरिक्त भी मलेरिया के करीब 20 टीकों का परीक्षण चल रहा है | इनमें सबसे आगे है ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन कंपनी द्वारा किया जा रहा परीक्षण जिसमें अफ्रीका के 15,000 बच्चे शामिल किये गए हैं और अभी इसका तीसरे दौर का परीक्षण जारी है |

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