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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

पॉज़िट्रॉन: इलेक्ट्रॉन का प्रतिरूपी प्रतिद्रव्य

  • 03 May 2021
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

बंगलूरू स्थित रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (RRI) के शोधकर्त्ताओं ने इलेक्ट्रॉनों के प्रतिरूपी प्रतिद्रव्य ‘पॉज़िट्रॉन’ और ‘पॉज़िट्रॉन एक्सेशन फिनोमिना’ के रहस्य को सुलझाने में सफलता हासिल की है।

  • RRI विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की एक स्वायत्त संस्था है।

प्रतिद्रव्य:

  • प्रतिद्रव्य, सामान्य पदार्थ के विपरीत होता है। प्रतिद्रव्य के उप-परमाणु कणों में सामान्य पदार्थ के विपरीत गुण होते हैं।
    • पदार्थ परमाणुओं से बना होता है, जो कि हाइड्रोजन, हीलियम या ऑक्सीजन जैसे रासायनिक तत्त्वों की मूल इकाइयाँ हैं।
    • परमाणु, पदार्थ की मूल इकाइयाँ और तत्त्वों की परिभाषित संरचना होती है। परमाणु तीन कणों से मिलकर बने होते हैं:
      • प्रोटॉन, न्यूट्रॉन और इलेक्ट्रॉन।

Matter-Antimatter

पॉज़िट्रॉन:

  • इसका द्रव्यमान इलेक्ट्रॉन के समान होता है, किंतु दोनो में अंतर यह है कि इलेक्ट्रॉन ऋण आवेश युक्त कण है तथा पॉजिट्रॉन धन आवेश युक्त कण है। पॉज़िट्रॉन की खोज वर्ष 1932 में हुई थी।

प्रमुख बिंदु:

पॉज़िट्रॉन की अधिकता:

  • इलेक्ट्रॉनों के इस प्रतिरूपी प्रतिद्रव्य उच्च ऊर्जा कणों की अधिक संख्या, जिन्हें पॉज़िट्रॉन कहा जाता है, ने लंबे समय तक वैज्ञानिकों को भ्रमित किया है।
  • पिछले कुछ वर्षों में खगोलविदों ने 10 गीगा-इलेक्ट्रॉन वोल्ट या 10 GeV से अधिक की ऊर्जा वाले पॉज़िट्रॉन का अवलोकन किया है।
    • एक अनुमान के अनुसार, यह धनात्मक रूप से आवेशित 10,000,000,000 वोल्ट की बैटरी के बराबर इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा है। हालाँकि, 300 से अधिक GeV ऊर्जा वाले पॉज़िट्रॉनों की संख्या खगोलविदों की अपेक्षा के विपरीत कम है।
  • 10 और 300 GeV की ऊर्जा के बीच पॉज़िट्रॉन के इस व्यवहार को खगोलविद 'पॉज़िट्रॉन की अधिकता' कहते हैं।

RRI का अध्ययन:

  • ‘मिल्की वे’ में आणविक हाइड्रोजन से निर्मित विशाल बादल होते हैं, जो कि नए तारों के गठन का स्थान होते हैं और सूर्य के द्रव्यमान से 10 मिलियन गुना तक बड़े हो सकते हैं।
    • वे 600 प्रकाश-वर्ष तक अपना विस्तार कर सकते हैं।
  • सुपरनोवा विस्फोटों में उत्पन्न होने वाली कॉस्मिक किरणें पृथ्वी तक पहुँचने से पहले इन बादलों के माध्यम से प्रसारित होती हैं। कॉस्मिक किरणें आणविक हाइड्रोजन के साथ क्रिया करती हैं और अन्य कॉस्मिक किरणें उत्पन्न कर सकती हैं।
  • इन बादलों के माध्यम से प्रसारित होने के दौरान वे अपने मूल रूप से परिवर्तित होकर धीरे-धीरे इन बादलों को अपनी ऊर्जा प्रदान करके स्वयं की ऊर्जा खो देती हैं, हालाँकि ये दोबारा भी सक्रिय हो सकती हैं।
  • RRI ने सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कंप्यूटर कोड का उपयोग करते इन सभी खगोल भौतिकी प्रक्रियाओं का अध्ययन किया।

RRIs कोड:

  • इस कोड के माध्यम से ‘मिल्की वे’ में उपस्थित 1638 आणविक हाइड्रोजन बादलों पर अनुसंधान किया गया, जिन्हें अन्य खगोलविदों द्वारा विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम के विभिन्न तरंगदैर्ध्य पर अवलोकित किया था।
  • RRI ने एक व्यापक सूची का अनुसरण किया, जिसमें हमारे सूर्य के करीब स्थित दस आणविक बादल शामिल हैं। 
  • यह खगोलविदों को गीगा-इलेक्ट्रॉन वोल्ट कॉस्मिक किरणों की संख्या के रूप में एक महत्त्वपूर्ण सूचना प्रदान करता है।
    • यह उन्हें पृथ्वी तक पहुँचने वाले पॉज़िट्रॉन की अधिक संख्या निर्धारित करने में मदद करते हैं।
  • कंप्यूटर कोड गीगा-इलेक्ट्रॉन वोल्ट ऊर्जा पर पॉज़िट्रॉन की देखी गई संख्या को पुन: सफलतापूर्वक उत्पन्न करने में सक्षम था।
  • यह कंप्यूटर कोड न केवल ‘पॉज़िट्रॉन की अधिकता’ बल्कि प्रोटॉन, एंटीप्रोटोन, बोरॉन, कार्बन और कॉस्मिक किरणों के अन्य सभी घटकों के स्पेक्ट्रा को सटीक ढंग से पुन: प्रस्तुत करता है।

RRI का प्रस्ताव:

  • कॉस्मिक किरणें ‘मिल्की वे’ आकाशगंगा के माध्यम से प्रसार करते समय द्रव्यों से क्रिया करते हुए अन्य कॉस्मिक किरणों का उत्पादन करती हैं।
  • सभी तंत्र, जिनके माध्यम से ब्रह्मांडीय किरणें आणविक बादलों के साथ क्रिया करती हैं, यह दर्शाते हैं कि आणविक बादल ‘पॉज़िट्रॉन एक्सेशन फिनोमिना’ के रहस्य को सुलझाने में योगदान दे सकते हैं।

कॉस्मिक किरणें:

  • कॉस्मिक किरणें उच्च ऊर्जा वाले कण होते हैं, जो अंतरिक्ष के बाह्य भाग में उत्पन्न होती हैं। इनकी गति लगभग प्रकाश की गति के समान होती है और ये पृथ्वी के चारों तरफ पाई जाती हैं। इनकी खोज वर्ष 1912 में हुई थी।

प्रकाश वर्ष:

  • प्रकाश-वर्ष खगोलीय दूरी को व्यक्त करने के लिये प्रयोग की जाने वाली लंबाई की एक इकाई है और लगभग 9.46 ट्रिलियन किलोमीटर के बराबर है।
  • अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ की परिभाषित के अनुसार, एक प्रकाश-वर्ष वह दूरी है जो प्रकाश एक जूलियन वर्ष में पूरा कर लेता है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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