अंतर्राष्ट्रीय संबंध
रुपए की मज़बूती के सकारात्मक और नकारात्मक पक्ष
- 03 Oct 2017
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चर्चा में क्यों?
- कुछ समय पहले डॉलर के मुकाबले रुपए का लगातार गिरना चिंतित करने वाला था, लेकिन अब हालात कुछ अलग हैं। रुपया अब मज़बूत स्थिति में है।
- आज रुपया मज़बूत है और इसके मज़बूत होने से जहाँ एक ओर भारत के निर्यात पर असर पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे भी पक्ष हैं जो इस स्थिति के कारण लाभान्वित हो रहे हैं।
रुपए की मज़बूती से लाभान्वित कौन?
- गौरतलब है कि रुपए के लगातार मज़बूत बने रहने से अधिक लाभ उन्हें मिलता है, जिन्होंने विदेशों से लोन ले रखा है। साथ ही इससे सरकार महँगाई पर भी काबू रख पाती है।
- मज़बूत रुपए से विदेश से कच्चा माल आयात कर भारत में उत्पादन करने वालों को भी फायदा होता है।
- शेयर बाज़ार की बात करें तो मज़बूत रुपए से बाज़ार फायदे में रहता है। इससे विदेशी निवेश में वृद्धि की संभावना बनी रहती है।
- मज़बूत रुपया सरकार के लिये फायदेमंद है। कमज़ोर रुपए के मुकाबले रुपए के मज़बूत होने की स्थिति में सरकार महँगाई पर काबू कर पाती है और राजकोषीय घाटे को भी अपने नियंत्रण में कर पाती है।
रुपए की मज़बूती से प्रभावित कौन?
- दरअसल, रुपए के बहुत अधिक मज़बूत होने का संबंध मुद्रा के अधिमूल्यन (Overvaluation) से है। जब सरकार देश की मुद्रा की “इकाई विनिमय-दर” को सामान्य दर (अर्थात् स्वतंत्र विदेशी विनिमय बाज़ार में मांग तथा पूर्ति द्वारा निर्धारित होने वाली दर) से ऊँचा निर्धारित करती है तो यह अधिमूल्यन कहलाता है।
- अधिमूल्यन, अवमूल्यन की ठीक विपरीत स्थिति है। इसका प्रभाव यह होता है कि विदेशों से वस्तुएँ खरीदना सस्ता हो जाता है, जबकि विदेशी व्यापारियों द्वारा इस देश की वस्तुएँ खरीदना महँगा हो जाता है।
- इस प्रकार मुद्रा का अधिमूल्यन आयात को प्रोत्साहित तथा निर्यात को हतोत्साहित करता है। स्वतंत्र विदेशी विनिमय बाज़ार में कोई भी मुद्रा अधिक समय तक अधिमूल्यन की स्थिति में नहीं रह सकती, परंतु विनिमय नियंत्रण द्वारा लंबे समय तक अधिमूल्यन की स्थिति को बनाए रखा जा सकता है।
- रुपए का अधिक मज़बूत होना जहाँ एक ओर समस्यायों का कारण है, वहीं यदि महँगाई के आलोक में इसके प्रभावों का आकलन करें तो यह सकारात्मक तस्वीर पेश करता है। दरअसल, मज़बूत मुद्रा महँगाई के लिये एक सकारात्मक पक्ष है, क्योंकि यह आयात को सस्ता कर देती है।