सामाजिक न्याय
पोषण पखवाड़ा
- 02 Mar 2019
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में महिला और बाल विकास मंत्रालय ने देश भर में 8 से 22 मार्च, 2019 तक ‘पोषण पखवाड़ा’ मनाए जाने की घोषणा की है। जिसकी शुरुआत 8 मार्च, 2019 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर की जाएगी।
प्रमुख बिंदु
- 8 मार्च, 2019 को पोषण अभियान की पहली वर्षगाँठ के मद्देनजर देश भर में इस पोषण पखवाड़े का आयोजन किया जा रहा है। और इसे जन आंदोलन के रूप में मनाया जाएगा।
- इसका आयोजन सितंबर 2018 में आयोजित किये गए पोषण माह की तर्ज़ पर किया जा रहा है।
- इसकी गतिविधियों के समन्वय के लिये महिला और बाल विकास मंत्रालय नोडल मंत्रालय का कार्य करेगा, इसी तरह राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों के महिला और बाल विकास विभाग/समाज कल्याण विभाग को नोडल विभाग बनाया जाएगा।
प्रमुख गतिविधियाँ
- महिला और बाल विकास मंत्री ने इस पखवाड़े के दौरान आयोजित किये जाने वाले मुख्य कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए बताया कि इससे देश भर में पोषण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिये अभियान चलाया जाएगा और कार्यशालाओं का भी आयोजन किया जाएगा।
- इन गतिविधियों में पोषण मेला (Poshan Mela), सभी स्तरों पर पोषाहार रैली, प्रभात फेरी (Prabhat Pheree), स्कूलों में पोषाहार विषय पर सत्र का आयोजन, स्वयं सहायता समूहों की बैठकें, एनीमिया शिविर, बाल विकास निगरानी, आशा/आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा नवजात शिशुओं के घर जाकर पोषण के लिये जागरूक करना, ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता तथा पोषाहार दिवस शामिल है।
- इस पखवाड़े के दौरान मास मीडिया तथा सोशल मीडिया के माध्यम से गतिविधियाँ भी चलाई जाएंगी। लोगों की अधिकतम पहुँच के लिये मीडिया सहयोगियों तथा स्वस्थ भारत प्रेरकों के दलों के माध्यम से एक सोशल मीडिया अभियान हैशटैग #पोषण_पखवाड़ा चलाया जाएगा।
- पोषण पखवाड़े के दौरान शहरी क्षेत्र में पोषाहार पर जागरूकता बढ़ाई जाएगी।
पृष्ठभूमि
- 8 मार्च, 2018 को प्रधानमंत्री द्वारा झुंझुनू से एक असाधारण पहल राष्ट्रीय पोषण मिशन (National Nutrition Mission-NNM) का राष्ट्रीय स्तर पर शुभारंभ किया गया था।
- भारत सरकार द्वारा तीन वर्ष के लिये 9046.17 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान करते हुए वित्तीय वर्ष 2017-18 से राष्ट्रीय पोषण मिशन की शुरुआत की गई थी।
रणनीति एवं लक्ष्य
- NNM एक शीर्षस्थ निकाय के रूप में मंत्रालयों के पोषण संबंधी हस्तक्षेपों की निगरानी, पर्यवेक्षण, लक्ष्य निर्धारित करने तथा मार्गदर्शन का काम करेना।
- इसका लक्ष्य ठिगनापन, अल्पपोषण, रक्ताल्पता (छोटे बच्चों, महिलाओं एवं किशोरियों में) तथा जन्म के वक्त बच्चों में कम वज़न की समस्या में प्रतिवर्ष क्रमश: 2%, 2%, 3% तथा 2% की कमी लाना था।
स्रोत – PIB