POEM-3 मिशन और अंतरिक्ष मलबा | 18 Apr 2024
प्रिलिम्स के लिये:इसरो का PSLV-C58/XPoSat मिशन, PSLV ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल-3, विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर, PSLV-C53 मिशन, लो अर्थ ऑर्बिट, प्रोजेक्ट NETRA, स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस कंट्रोल सेंटर। मेन्स के लिये:POEM मिशन, अंतरिक्ष मलबे से संबंधित दुनिया भर की पहल। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में इसरो के PSLV-C58/एक्सपोसैट मिशन ने अपने अंतिम चरण को PSLV ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल-3 (POEM-3) में परिवर्तित करके पृथ्वी की कक्षा में लगभग शून्य मलबा (near-zero debris) उत्सर्जित किया, तथा अपने मिशन को पूरा करने के बाद कक्षा में रहने के बजाय सुरक्षित रूप से वायुमंडल में पुनः प्रवेश किया।
POEM क्या है?
- POEM विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) द्वारा विकसित एक अंतरिक्ष प्लेटफॉर्म है।
- यह विभिन्न पेलोड के साथ अंतरिक्ष में वैज्ञानिक प्रयोगों के संचालन हेतु PSLV रॉकेट के चौथे चरण को एक स्थिर कक्षीय स्टेशन में पुन: उपयोग करता है।
- इसका उद्घाटन जून, 2022 में PSLV-C53 मिशन के दौरान हुआ।
- आमतौर पर, PSLV का चौथा चरण उपग्रहों को तैनात करने के बाद अंतरिक्ष मलबा के रूप परिवर्तित हो जाता है, लेकिन PSLV-C53 मिशन में, इसने प्रयोगों हेतु एक स्थिर प्लेटफॉर्म के रूप में काम किया।
- इसरो के अनुसार, POEM में स्थिरीकरण के लिये एक समर्पित नेविगेशन मार्गदर्शन और नियंत्रण (NGC) प्रणाली है, जो अनुमत सीमा के भीतर किसी भी एयरोस्पेस वाहन के अभिविन्यास को नियंत्रित करने के लिये है।
- POEM-3 मिशन: इसे 1 जनवरी, 2024 को PSLV C-58 मिशन के भाग के रूप में लॉन्च किया गया था।
- एक्सपोसैट उपग्रह को तैनात करने के बाद, चौथे चरण को POEM-3 में बदल दिया गया और 350 किलोमीटर की कक्षा में उतारा गया, जिससे अंतरिक्ष मलबे के उत्पादन का ज़ोखिम काफी कम हो गया।
नोट: इसरो ने पहली बार वर्ष 2019 में PSLV-C44 मिशन के साथ एक ऑर्बिटल प्लेटफॉर्म के रूप में PS4 (PSLV का चौथा चरण) का उपयोग कर उसकी क्षमता का प्रदर्शन किया, जिसने माइक्रोसैट-R और कलामसैट-V2 उपग्रहों को उनकी निर्दिष्ट कक्षाओं में स्थापित किया। उस मिशन के चौथे चरण को अंतरिक्ष-आधारित प्रयोगों के लिये एक ऑर्बिटल प्लेटफॉर्म के रूप में बचाकर रखा गया था।
अंतरिक्ष मलबा क्या है?
- परिचय: लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) में अंतरिक्ष मलबे के रूप में मुख्य रूप से अंतरिक्ष यान, रॉकेट और निष्क्रिय उपग्रहों के टुकड़े शामिल हैं, जो उपग्रह-विरोधी मिसाइल परीक्षणों के परिणामस्वरूप नष्ट हो गए हैं।
- LEO पृथ्वी की सतह से 100 किमी से 2000 किमी ऊपर तक फैला हुआ है।
- यहाँ जियोसिंक्रोनस ऑर्बिट (GEO) में कम मात्रा में मलबा मौजूद है, जो पृथ्वी की सतह से 36,000 किमी ऊपर है।
- जोखिम: अंतरिक्ष का मलबा अक्सर 27,000 किलोमीटर प्रति घंटे की तेज़ गति से गमन करता है। अपनी अत्यधिक मात्रा और तीव्र गति के कारण, वे कई अंतरिक्ष परिसंपत्तियों के लिये जोखिम उत्पन्न करते हैं।
- यह दो प्रमुख जोखिमों को भी जन्म देता है, पहला, यह अत्यधिक मलबे के कारण कक्षा के अनुपयोगी क्षेत्रों का निर्माण करता है, और 'केसलर सिंड्रोम (एक टक्कर के परिणामस्वरूप कैस्केडिंग टकराव के कारण अधिक मलबे का निर्माण) की ओर जाता है।
- इसरो के अनुमान के अनुसार, LEO में 10 सेमी से अधिक आकार की अंतरिक्ष वस्तुओं (मलबा या कार्यात्मक उपकरण) की संख्या 2030 तक लगभग 60,000 होने की उम्मीद है।
- निजी अंतरिक्ष एजेंसियों का उदय इस समस्या को बढ़ा रहा है।
- वर्तमान स्थिति: भारतीय अंतरिक्ष स्थिति मूल्यांकन रिपोर्ट (ISRO’s Space Situational Assessment Report), 2022 के अनुसार, दुनिया ने अकेले 2022 में 179 प्रमोचनों में 2,533 ऑब्जेक्ट्स को अंतरिक्ष में रखा।
- 2022 में सैटेलाइट से संबंधित कक्षा में नष्ट होने की तीन प्रमुख घटनाएँ घटित हुईं, जो उस वर्ष निर्मित अधिकांश मलबे में योगदान करती हैं:
- मार्च 2022: एंटी-सैटेलाइट परीक्षण में रूस के कॉसमॉस 1048 को जानबूझकर नष्ट करना।
- जुलाई 2022: GOSAT-2 उपग्रह को तैनात करते समय जापानी H-2A के ऊपरी चरण का नष्ट होना।
- नवंबर 2022: चीन के युनहाई- 3 के ऊपरी चरण में दुर्घटनावश विस्फोट
- अन्य संबंधित घटनाएँ:
- नासा ने हाल ही में पुष्टि की है कि फ्लोरिडा के एक घर के पास दुर्घटनाग्रस्त हुई रहस्यमयी वस्तु वास्तव में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) का मलबा था।
- 2023 में ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी तटों पर खोजी गई एक वस्तु की पहचान इसरो रॉकेट के मलबे के रूप में की गई थी।
- 2022 में सैटेलाइट से संबंधित कक्षा में नष्ट होने की तीन प्रमुख घटनाएँ घटित हुईं, जो उस वर्ष निर्मित अधिकांश मलबे में योगदान करती हैं:
- संबंधित अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष कानून: वर्तमान में LEO मलबे से संबंधित कोई अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष कानून नहीं हैं।
- हालाँकि, अधिकांश अंतरिक्ष-खोज करने वाले देश अंतर-एजेंसी अंतरिक्ष मलबा समन्वय समिति (Inter-Agency Space Debris Coordination Committee) द्वारा निर्दिष्ट स्पेस डेब्रिस मिटिगेशन दिशानिर्देश, 2002 का पालन करते हैं, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने 2007 में समर्थन दिया था।
- दिशानिर्देश कक्षा में आकस्मिक टकराव, संचालन के दौरान ब्रेक-अप, जानबूझकर विनाश और मिशन के बाद ब्रेक-अप को सीमित करने के तरीकों की रूपरेखा तैयार करते हैं।
- हालाँकि, अधिकांश अंतरिक्ष-खोज करने वाले देश अंतर-एजेंसी अंतरिक्ष मलबा समन्वय समिति (Inter-Agency Space Debris Coordination Committee) द्वारा निर्दिष्ट स्पेस डेब्रिस मिटिगेशन दिशानिर्देश, 2002 का पालन करते हैं, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने 2007 में समर्थन दिया था।
नोट: अंतर-एजेंसी अंतरिक्ष मलबा समन्वय समिति अंतरिक्ष में मानव निर्मित और प्राकृतिक मलबे के मुद्दों से संबंधित गतिविधियों के विश्वव्यापी समन्वय के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय मंच है। इसरो इसकी सदस्य एजेंसी है।
विश्वभर के देश अंतरिक्ष मलबे की समस्या से कैसे निपट रहे हैं?
- भारत: भारत सक्रिय रूप से अंतरिक्ष मलबे के मुद्दों से अवगत करा रहा है। POEM मिशनों के अलावा, इसरो ने मूल्यवान संपत्तियों को टकराव से बचाने के लिये एक अंतरिक्ष स्थितिजन्य जागरूकता नियंत्रण केंद्र की स्थापना भी की है।
- प्रोजेक्ट नेत्र अंतरिक्ष में भारतीय उपग्रहों के मलबे और अन्य खतरों का पता लगाने के लिये एक पूर्व चेतावनी प्रणाली भी है।
- मनस्तु स्पेस, एक भारतीय स्टार्टअप, अंतरिक्ष में ईंधन भरने वाले उपग्रह की डी-ऑर्बिटिंग और उसका जीवन काल बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करता है।
- जापान: अंतरिक्ष मलबे से निपटने के लिये जापान के पास एक परियोजना है, जिसे वाणिज्यिक मलबा प्रदर्शन निपटान (Commercial Removal of Debris Demonstration- CRD2) कहा जाता है।
- यूरोप: यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) ने 'ज़ीरो डेब्रिस चार्टर' अपनाया है, जिसमें अंतरिक्ष मलबे को कम करने के विभिन्न तरीके शामिल हैं। इसने वर्ष 2030 तक शून्य अंतरिक्ष मलबा हटाने का भी आह्वान किया है।
- नासा ने वर्ष 1979 में कक्षीय मलबे को समाप्त करने के तरीके खोजने और मौजूदा मलबे को ट्रैक करने के साथ ही इसके प्रबंधन के लिये उपकरण निर्मित करने हेतु अपना ऑर्बिटल डेब्रिस प्रोग्राम शुरू किया था।
- छठवीं अमेरिकी सशस्त्र बल विंग, जिसे स्पेस फोर्स कहा जाता है, LEO में अंतरिक्ष मलबे एवं उनमें होने वाले टकराव को ट्रैक करता है।
आगे की राह
- अंतरिक्ष-आधारित पुनर्चक्रण एवं पुनर्प्रयोजन: कक्षा में अंतरिक्ष मलबे को एकत्रित करने एवं संसाधित करने हेतु प्रौद्योगिकियों का विकास करना।
- ये "अंतरिक्ष रिफाइनरियाँ" अंतरिक्ष में नए अंतरिक्ष यान अथवा आवास के निर्माण के लिये मलबे को उपयोगी सामग्रियों के रूप में विभाजित कर सकती हैं, जिससे पृथ्वी से नए प्रक्षेपण की आवश्यकता कम हो जाएगी।
- 3D प्रिंटिंग जैसी तकनीकें पुनर्चक्रित सामग्रियों का उपयोग कर सकती हैं, जिससे हमारे द्वारा अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले कच्चे माल की मात्रा कम हो जाएगी।
- रोबोटिक हथियार एवं कैप्चर तंत्र: मलबे से निपटने के लिये कैमरे तथा सेंसर से सुसज्जित उन्नत रोबोटिक हथियार विकसित करना। इन रोबोटों को मलबे के बड़े टुकड़ों को पकड़ने के साथ डीऑर्बिट करने के लिये सेवा उपग्रहों से स्थापित किया जा सकता है जो टकराव से उत्पन्न खतरे को समाप्त कर सकते हैं।
- विनिर्माण के दौरान उपग्रहों पर डॉकिंग तंत्र स्थापित किया जा सकता है, जिससे सेवा उपग्रहों को निष्क्रिय उपग्रहों से सरलता पूर्वक जोड़ने और साथ ही डीऑर्बिट करने की अनुमति प्राप्त होती है।
- अंतरिक्ष यातायात प्रबंधन प्रणालियाँ: मलबे का पता लगाने और संभावित टकरावों की भविष्यवाणी करने हेतु परिष्कृत अंतरिक्ष यातायात प्रबंधन प्रणालियाँ विकसित करना।
- यह सक्रिय उपग्रहों को मलबे से बचाने के लिये उपयोगी होगा, जिससे आकस्मिक टकराव का जोखिम कम हो जाएगा परिणामस्वरूप और अधिक मलबा निर्मित नही होगा है।
- एक व्यापक अंतरिक्ष यातायात प्रबंधन प्रणाली बनाने के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग महत्त्वपूर्ण है जो अंतरिक्ष अन्वेषण की सुरक्षा एवं स्थिरता सुनिश्चित करता है।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न. अंतरिक्ष मलबे के बढ़ते खतरे के आलोक में, उन नवीन रणनीतियों एवं प्रौद्योगिकियों पर चर्चा कीजिये जो इस वैश्विक चिंता को प्रभावी ढंग से कम कर सकती हैं। इस मुद्दे के समाधान में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग कैसे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:प्रश्न. अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन कानून सभी देशों को उनके क्षेत्र के ऊपर हवाई क्षेत्र पर पूर्ण और अनन्य संप्रभुता प्रदान करते हैं। 'हवाई क्षेत्र' से आप क्या समझते हैं ? इस हवाई क्षेत्र के ऊपर अंतरिक्ष पर इन कानूनों के क्या प्रभाव हैं? इससे उत्पन्न चुनौतियों पर चर्चा कीजिये और खतरे को नियंत्रित करने के उपाय सुझाइये। (2014) |