प्रौद्योगिकी
केरल के जंगलों में शिकारियों द्वारा हाथीदाँत का घातक खेल
- 11 Jun 2018
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संदर्भ
हाल ही में शिकारियों की तलाश में जाँचकर्त्ताओं की टीम ने दक्षिण भारत में वन्यजीव तस्करी के नेटवर्क का खुलासा किया है और जाँच में पाया है कि इडुक्की वन्यजीव अभयारण्य में हाथियों का शिकार कर उनके दाँतों की तस्करी की जा रही है। एक आयुर्वेदिक व्यवसायी और वन्यजीव ट्रॉफी के खरीदार के रूप में प्रस्तुत एक प्रवर्तन अधिकारी ने संदिग्धों से मुलाकात की जिसके तहत कुछ अमीर खरीदारों के नाम उजागर हुए हैं| जाँच के दौरान एक डिलीवरी स्पॉट की भी पहचान हुई है| जाँच टीम ने संदिग्धों को गिरफ्तार कर लिया और 26 मई को 13 किलो हाथीदाँत जब्त किया गया|
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- वन अधिकारियों का कहना है कि जनवरी 2017 के बाद से उन्होंने केरल में तस्करी से 50 किलो से ज़्यादा हाथीदाँत जब्त किया है।
- 2017 में क्रमशः वायनाड, कोट्टायम और त्रिशूर ज़िलों में चित्ताथु, नागरणपारा और पार्याराम में जंगली हाथियों के कम-से-कम तीन शवों की खोज की गई।
- अपघटित शवों का पोस्टमॉर्टम परीक्षण करना संभव नहीं था। हाथियों के क्षत-विक्षत शरीर विघटित अवस्था में पाए गए, जबकि एक हाथी का शव जले हुए अवस्था में पाया गया जो कि संभवतः जंगल की आग के कारण या वन्यजीव तस्करों द्वारा जलाया गया था।
- अधिकारियों का कहना है कि राज्य के 20 वन क्षेत्र हाथियों के शिकार के लिये संवेदनशील हैं, खासतौर पर मानसून के दौरान।
- संवेदनशील क्षेत्रों में केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु के वन क्षेत्र भी शामिल हैं।
- 2014-15 में मुख्य संरक्षक बी. एस. कोरी द्वारा की गई समीक्षा ने वन विभाग के लिये संवेदनशील संरक्षित स्थलों का मानचित्र बनाने में मदद की।
ऑपरेशन शिकार
- 21 मई, 2015 को अथिरपल्ली वन सीमा के अधिकारियों के समक्ष के. डी. कुंजुमन की अपराध स्वीकारोक्ति ने उन्हें "ऑपरेशन शिकार" के लिये प्रेरित किया था, जिसके परिणामस्वरूप 464 किलोग्राम हाथीदाँत और 73 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी।
- जाँच में यह तथ्य सामने आया कि कैसे शिकारियों ने हाथियों को मार डाला, हाथियों के दाँत को निकाले और उन्हें तिरुवनंतपुरम स्थित बिचौलियों तक पहुँचाया।
- तिरुवनंतपुरम दक्षिण भारत में हाथीदाँत व्यापार का प्रमुख केंद्र है क्योंकि यहाँ परंपरागत कारीगरों का विशाल पूल है जो पशुओं की हड्डी और हाथीदाँत से नक्काशीदार मूर्तियाँ व ट्राफियाँ बनाने में निपुण हैं|
- तस्कर इन मूर्तियों या इनसे बने अन्य वस्तुओं के लिये अधिक कीमत देते हैं|
- ऑपरेशन शिकार द्वारा हाथीदाँत तस्करी में लिप्त नई दिल्ली में एक गुप्त गोदाम को भी लक्षित किया गया|
- वीरप्पन ने दो दशक से अधिक समय तक दक्षिण के तीन राज्यों- तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल में 6,000 वर्ग किमी के घने जंगलों में राज किया था और 200 से अधिक हाथियों को मारकर करोड़ों रुपए के हाथीदाँतों की तस्करी की थी।
- अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने हाथियों के बड़े झुंडों की पहचान और नामकरण करके उनके ऊपर आने वाले खतरों का बेहतर ढंग से जवाब दिया है|
- उन्होंने आवागमन को ट्रैक करने के लिये जीपीएस के साथ वन निरीक्षक को लैस करने और शिकारियों को रोकने के लिये कैमरा, जाल और अन्य रिमोट सेंसर लगाए जाने का भी सुझाव दिया है।
हाथीदाँतों का तस्करी का कारण
- हाथीदाँत के लिये हाथियों का अवैध शिकार किया जाता है तथा उनकी संख्या तेज़ी से गिरने के कारण वह जंगल में संकटग्रस्त हो गए हैं। यही कारण है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हाथीदाँत के व्यापार पर रोक लगा दी गई है।
- एक आयुर्वेदिक तेल ‘हथादंथा माशी’ (hathadantha mashi) को बनाने में हाथीदाँत का उपयोग होता है| यह आयल बालों को गिरने से रोकने के लिये इस्तेमाल होता है| अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में इस औषधि की मांग बहुत तेज़ी से बढ़ रही है|
- हाथीदाँत का उपयोग कीमती मूर्तियाँ व ट्राफियां बनाने तथा विभिन्न प्रकार के नक्काशी में भी किया जाता है|