2030 तक न्यूमोनिया के कारण 17 लाख भारतीय बच्चों की मृत्यु संभावित : ग्लोबल स्टडी(Pneumonia Can Kill 17 Lakh Indian Children By 2030 : Global Study) | 15 Nov 2018

चर्चा में क्यों?


12 नवंबर, ‘वर्ल्ड न्यूमोनिया डे’ के अवसर पर जारी एक वैश्विक अध्ययन के मुताबिक, भारत में 2030 तक 17 लाख से अधिक बच्चे न्यूमोनिया के कारण मौत के मुँह में जा सकते हैं। यह अध्ययन जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी एवं यूनाइटेड किंगडम की ग्लोबल चैरिटी ऑर्गनाइज़ेशन ‘सेव द चिल्ड्रेन’ के विश्लेषण पर आधारित है।


महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • अध्ययन में 2030 तक पूरे विश्व में न्यूमोनिया के कारण 5 साल से कम उम्र के करीब 1.1 करोड़ बच्चों के मरने की आशंका जताई गई है। यह रोग उपचार योग्य होने के बावजूद बड़ी संख्या में मौतों का कारण बनता जा रहा है।
  • नाइजीरिया, 17.3 लाख बच्चों की संभावित मृत्यु के साथ इस भार को सबसे ज्यादा वहन करने वाले देश के रूप में सामने आया है। भारत करीब 17.1 लाख के आँकड़े के साथ दूसरे स्थान पर है। इसके बाद पाकिस्तान और डेमोव्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो का स्थान आता है।
  • यह पूर्वानुमान जॉन हॉपकिन्स रिसर्चर्स द्वारा विकसित एक मॉडल ‘द लाइव्स सेव्ड टूल’ (LiST) पर आधारित है।
  • इसके अनुसार ‘समेकित कार्यवाही’ जिसमें टीकाकरण, उपचार एवं पोषण शामिल है, के द्वारा 1.1 करोड़ मौतों में से 40 लाख से अधिक को आसानी से टाला जा सकता है।
  • 2030 तक इन तीन उपायों के हस्तक्षेप द्वारा कुल 41 लाख मौतों को टाला जा सकता है।
  • वर्ल्ड बैंक के आँकड़ों के अनुसार 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की 16% मौतों के लिये न्यूमोनिया को ज़िम्मेदार माना गया है जिससे 2015 में 9,20,136 बच्चों की मौत हुई थी।
  • जबकि यह दर्शाता है कि बैक्टीरिया के कारण होने वाले न्यूमोनिया का उपचार एंटीबायोटिक द्वारा किया जा सकता है, तब भी इस रोग से पीड़ित सिर्फ एक-तिहाई बच्चे ही सही समय पर एंटीबायोटिक प्राप्त कर पाते हैं।
न्यूमोनिया: न्यूमोनिया फेफड़े का एक संक्रमण है जिसमें सामान्यतया बैक्टीरिया एवं वायरस द्वारा सभी उम्र के लोगों में यह रोग उत्पन्न हो सकता है। बच्चों के टीकाकरण द्वारा इस रोग का बचाव किया जा सकता है।