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प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना एवं लॉकडाउन

  • 12 Aug 2020
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना,COVID-19

मेन्स के लिये:

लॉकडाउन के कारण प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना एवं अन्य स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ने वाले प्रभाव

चर्चा में क्यों?

‘प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना पॉलिसी ब्रिफ (8): पीएमजेएवाई अंडर लॉकडाउन: एविडेंस ऑन यूटिलाइज़ेशन ट्रेंड’ (Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana Policy Brief (8): PMJAY Under Lockdown :Evidence on Utilization Trends) के अनुसार, देश भर में लॉकडाउन के कारण प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana) का लाभ उठाने वाले मरीज़ों की देखभाल पर नकारात्मक प्रभाव देखने को मिला है।

प्रमुख बिंदु:

  • इस विश्लेषण में 1 जनवरी से 2 जून 2020 तक 22 सप्ताह के डेटा को शामिल किया गया । संपूर्ण  देश में  25 मार्च से लॉकडाउनको शुरू हुआ जो 1 जून तक था।
  • यह विश्लेषण प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना ट्रांज़ेक्शन मैनेजमेंट सिस्टम (Transaction Management System- TMS) से लिये गए आँकड़ों पर आधारित है।
  • इस प्रक्रिया में, नियोजित सर्ज़री जैसे-मोतियाबिंद के ऑपरेशन और संयुक्त प्रतिस्थापन (Joint Replacements) में 90% से अधिक की कमी देखी गई है , जबकि हेमोडायलिसिस (जिसे डायलिसिस भी कहा जाता है जो रक्त को शुद्ध करने की एक प्रक्रिया है) में केवल 20% की कमी आई है।
  • कुल मिलाकर, लॉकडाउन के 10 सप्ताह के दौरान औसत साप्ताहिक दावा परिणाम (Weekly Claim Volumes) लॉकडाउन से पहले 12 सप्ताह के साप्ताहिक औसत से 51% कम रहा है।
  • इस योजना के लाभार्थियों की संख्या में असम में सबसे अधिक कमी (75% से अधिक) देखी गई, उसके बाद महाराष्ट्र और बिहार में, जबकि उत्तराखंड, पंजाब और केरल में बहुत कम गिरावट, लगभग 25% या उससे कम देखी गई है।
  • बच्चों के जन्म तथा ऑन्कोलॉजी (ट्यूमर का अध्ययन और उपचार) के लिये अस्पतालों में भर्ती होने वालों की संख्या में महत्त्वपूर्ण कमी देखी गई है।
    • नवजात शिशुओं के संदर्भ में 24% की गिरावट देखी गई है।
    • नवजात शिशुओं की देखभाल के संदर्भ में सार्वजनिक से निजी अस्पतालों में थोड़ा परिवर्तन देखा गया है जिसके तहत तमिलनाडु और मध्य प्रदेश में सार्वजनिक क्षेत्र के अस्पतालों में सर्वाधिक परिवर्तन रहा है।
    • संपूर्ण देश के कुछ राज्यों में ऑन्कोलॉजी के परिणामों (Oncology Volumes) में 64% की कमी देखी गई है।
    • सार्वजनिक क्षेत्र जो PMJAY के तहत ऑन्कोलॉजी देखभाल में एक छोटी भूमिका निभाता है, जिसमे महाराष्ट्र में 90% एवं तमिलनाडु में 65% की कमी आई है।
    • हाँलाकि, लॉकडाउन के दौरान घर पर ही रहकर चिकित्सा सुविधाओं का लाभ प्राप्त करना या चिकित्सा सुविधाओं तक पहुँच कुछ अपवादों में से एक थी फिर भी इस अवधि में देखभाल एवं स्वास्थ्य देखभाल से संबंधित प्रावधान निम्न कारणों से काफी प्रभावित हुए:

आपूर्ति पक्ष:

  • अस्पतालों को COVID-19 महामारी के लिये पहले से ही तैयार किया गया है जिसके चलते Non COVID-19 मामलों के लिये अस्पतालों में कम चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध रही हैं।
  • निजी अस्पतालों द्वारा इस भय से कि स्वास्थ्य कर्मियों के बीच संक्रमण न फैल जाए जिसके कारण सेवाओं को कम किया गया है।

मांग पक्ष:

  • किसी अस्पताल में संक्रमण के डर से PMJAY लाभार्थियों को देरी या उपचार में देरी हो सकती है।
  • वे सार्वजनिक परिवहन बंद होने तथा उनकी उपलब्धता की कमी के कारण अस्पतालों तक पहुँचने में असमर्थ हो सकते हैं।
  • आर्थिक संकट देखभाल की मांग से संबंधित वित्तीय विचारों को प्रभावित कर सकता है।
    • स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि प्रमुख स्वास्थ्य कार्यक्रमों पर कम से कम संभव प्रभाव सुनिश्चित करना एक सतत् चुनौती होगी जिसे निरंतर निगरानी की आवश्यकता है।

स्रोत: द हिंदू

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