अंतर्राष्ट्रीय संबंध
प्रधानमंत्री की सऊदी अरब यात्रा
- 31 Oct 2019
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प्रीलिम्स के लिये:
भारत-सऊदी रणनीतिक साझेदारी परिषद, रियाद घोषणा, भविष्य के निवेश की पहल (Future Investment Initiative- FII), मैपिंग
मेन्स के लिये:
भारत-सऊदी अरब के मध्य द्विपक्षीय संबंध
चर्चा में क्यों?
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28-29 अक्तूबर, 2019 को सऊदी अरब की आधिकारिक यात्रा की।
प्रमुख बिंदु:
- भारत और सऊदी अरब दोनों देशों नेरणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर समन्वय हेतु भारत-सऊदी रणनीतिक साझेदारी परिषद (India-Saudi Strategic Partnership Council) का गठन किया।
- इस परिषद की अध्यक्षता प्रधानमंत्री और सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान द्वारा की जाएगी तथा प्रत्येक दो वर्ष में इसकी बैठक आयोजित की जाएगी।
- ब्रिटेन, फ्राँस तथा चीन के बाद भारत ऐसा चौथा देश है जिसके साथ सऊदी अरब ने इस प्रकार की रणनीतिक साझेदारी की है।
- इस अवसर पर सैन्य उद्योगों, सुरक्षा, हवाई सेवाओं, नवीकरणीय ऊर्जा, चिकित्सा उत्पादों के विनियमन, मादक पदार्थों की तस्करी की रोकथाम तथा सऊदी अरब में रुपे (RuPay) कार्ड का उपयोग, आदि जैसे संबंधित मुद्दों पर 12 समझौता ज्ञापनों (Memorandum of Understandings- MoUs) पर हस्ताक्षर किये गए।
- भारत ने सऊदी अरब में हज यात्रियों को तीर्थयात्रा के दौरान आराम से यात्रा करने में मदद प्रदान करने से संबंधित समझौता ज्ञापन को भी मंज़ूरी प्रदान की है।
- दोनों देशों ने सभी रूपों में आतंकवाद की निंदा की।
- प्रधानमंत्री मोदी ने पश्चिम एशिया के कई क्षेत्रों में व्याप्त अशांति व संघर्षों को ‘संप्रभुता और गैर-हस्तक्षेप के सिद्धांतों’ का पालन करते एक संतुलित दृष्टिकोण के माध्यम से हल करने का भी आह्वान किया।
भविष्य के निवेश की पहल
(Future Investment Initiative- FII):
- यह सऊदी अरब का वार्षिक निवेश मंच है, जिसे 'रेगिस्तान में दावोस' (Davos in the Desert) के नाम से भी जाना जाता है। इसका आयोजन विज़न 2030 के तहत पब्लिक इनवेस्टमेंट फंड (Public Investment Fund) द्वारा किया जाता है।
- इसका उद्देश्य सऊदी अरब द्वारा अपनी तेल आधारित अर्थव्यवस्था के आर्थिक विकास को बढ़ाना है व वैश्विक रणनीतिक भागीदारों और निवेश प्रबंधक के साथ काम करना है।
- इसके अतिरिक्त भारत के प्रधानमंत्री ने सऊदी कंपनियों को भारत के ऊर्जा क्षेत्र में निवेश करने के लिये भी आमंत्रित किया है।
भारत-सऊदी अरब संबंध:
- अपनी भू-स्थानिक स्थिति के कारण सऊदी अरब भारत के लिये एक महत्त्वपूर्ण देश है, जिसके साथ भारत के हज़ारों वर्ष पुराने व्यापारिक तथा सांस्कृतिक संबंध हैं।
- सऊदी अरब में लगभग 2.6 मिलियन प्रवासी भारतीय निवास करते हैं, जिन्होंने दोनों देशों के समग्र द्विपक्षीय संबंधों को दृढ बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
- दोनों देशों के मध्य हज यात्रा द्विपक्षीय संबंधों का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
- ऊर्जा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सऊदी का सहयोग अहम है। इसके अतिरिक्त कारोबार तथा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये सऊदी नागरिकों के लिये ई-वीज़ा जारी करने का भी निर्णय लिया गया है।
- सऊदी अरब, भारत की कच्चे तेल की आवश्यकताओं का 18% तथा द्रवित पेट्रोलियम गैस की 30% आपूर्ति करता है।
- सऊदी के अरामको तथा भारत से सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों द्वारा संयुक्त रूप से महाराष्ट्र के रायगढ़ ज़िले में एक रिफाइनरी की स्थापना की जाएगी जो भारत में सबसे बड़ी ग्रीनफील्ड रिफाइनरी होगी।
- सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है। वर्ष 2017-18 के दौरान दोनों देशों के बीच 1.95 लाख करोड़ रुपए का वार्षिक कारोबार हुआ।
- वर्ष 2010 में रियाद घोषणा पर हस्ताक्षर करने के बाद यह भारत का एक महत्त्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार बनकर उभरा है।