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सामाजिक न्याय

प्रधानमंत्री पोषण योजना

  • 12 Feb 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

पीएम-पोषण योजना की विशेषताएँ, एनीमिया मुक्त भारत अभियान, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY), पोषण अभियान।

मेन्स के लिये:

बाल पोषण से संबंधित मुद्दे और इस संदर्भ में उठाए गए कदम, सरकार द्वारा बाल पोषण में सुधार हेतु शुरू की गई पहल।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों/केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासनों से प्रधानमंत्री पोषण योजना के तहत बाजरा को शामिल करने की संभावना तलाशने का अनुरोध किया है। अधिमानतः उन ज़िलों में जहाँ बाजरा को सांस्कृतिक तौर पर भोजन के रूप में स्वीकृत किया गया है।

  • नीति आयोग ने भी चावल और गेहूँ से हटकर मध्याह्न भोजन कार्यक्रम (अब पीएम पोषण योजना) में बाजरा को शामिल करने की संभावनाएँ तलाशने को कहा है।

बाजरा के फायदे:

  • बाजरा या पोषक अनाज जिसमें ज्वार (Jowar), बाजरा (Bajra) और रागी (Ragi) शामिल हैं, खनिजों और बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन (B-complex Vitamins) के साथ-साथ प्रोटीन तथा एंटीऑक्सिडेंट (Antioxidants) से भरपूर होते हैं, जो उन्हें बच्चों के पोषण संबंधी परिणामों में सुधार के लिये एक आदर्श विकल्प बनाते हैं।
  • बाजरे से जुड़े बहुआयामी लाभ पोषण सुरक्षा, खाद्य प्रणाली सुरक्षा और किसानों के कल्याण से संबंधित मुद्दों के समाधान में मदद कर सकते हैं।
  • इसके अलावा बाजरे की कई अनूठी विशेषताएँ उसे एक उपयुक्त फसल बनाती हैं जो भारत की विविध कृषि-जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल है।
  • भारत ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में घोषित करने के लिये एक प्रस्ताव पेश किया जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाया गया है।

प्रधानमंत्री पोषण योजना:

  • सितंबर 2021 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1.31 ट्रिलियन रुपए के वित्तीय परिव्यय के साथ सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में भोजन उपलब्ध कराने के लिये प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण या पीएम-पोषण को मंज़ूरी दी।
  • इस योजना ने स्कूलों में मध्याह्न भोजन के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम या मध्याह्न भोजन योजना (Mid-day Meal Scheme) की जगह ले ली।
  • इसे पाँच वर्ष (2021-22 से 2025-26) की शुरुआती अवधि के लिये लॉन्च किया गया है।

प्रधानमंत्री पोषण योजना की विशेषताएँ:

  • कवरेज:
    • प्राथमिक (1-5) और उच्च प्राथमिक (6-8) स्कूली बच्चे वर्तमान में प्रत्येक कार्य दिवस में 100 ग्राम और 150 ग्राम खाद्यान्न प्राप्त करते हैं, ताकि उनकी न्यूनतम 700 कैलोरी की पूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
    • इसमें प्री-प्राइमरी कक्षाओं के बालवाटिका (3-5 वर्ष आयु वर्ग के बच्चे) के छात्र भी शामिल हैं।
  • पोषाहार उद्यान:
    • स्थानीय आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये "स्कूल पोषण उद्यान" के माध्यम से स्थानीय रूप से उगाए जाने वाले पोषक खाद्य पदार्थों के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा तथा योजना के कार्यान्वयन में किसान उत्पादक संगठनों (FPO) और महिला स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी को भी प्रोत्साहित किया जाएगा।
  • पूरक पोषण:
    • नई योजना में आकांक्षी ज़िलों और एनीमिया के उच्च प्रसार वाले बच्चों के लिये पूरक पोषण का भी प्रावधान है।
      • यह गेहूँ, चावल, दाल और सब्जियों के लिये धन उपलब्ध कराने हेतु केंद्र सरकार के स्तर पर मौजूद सभी प्रतिबंध और चुनौतियों को समाप्त करता है।
      • वर्तमान में यदि कोई राज्य मेनू में दूध या अंडे जैसे किसी भी घटक को जोड़ने का निर्णय लेता है, तो केंद्र अतिरिक्त लागत वहन नहीं करता है लेकिनअब वह प्रतिबंध हटा लिया गया है।
  • तिथि भोजन अवधारणा:
    • तिथि भोजन एक सामुदायिक भागीदारी कार्यक्रम है जिसमें लोग विशेष अवसरों/त्योहारों पर बच्चों को विशेष भोजन प्रदान करते हैं।
  • प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT):
    • केंद्र ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में योजना के तहत काम करने वाले रसोइयों और सहायकों को मुआवज़ा प्रदान करने हेतु प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) प्रणाली पर स्विच करने का निर्देश दिया है।
    • यह सुनिश्चित करेगा कि ज़िला प्रशासन और अन्य अधिकारियों के स्तर पर कोई भ्रष्टाचार न हो।
  • पोषण विशेषज्ञ:
    • प्रत्येक स्कूल में एक पोषण विशेषज्ञ नियुक्त किया जाना है, जिसकी ज़िम्मेदारी यह सुनिश्चित करना है कि स्कूल में ‘बॉडी मास इंडेक्स’ (BMI), वज़न और हीमोग्लोबिन के स्तर जैसे स्वास्थ्य पहलुओं पर ध्यान दिया जाए।
  • योजना का सामाजिक ऑडिट:
    • योजना के क्रियान्वयन का अध्ययन करने हेतु प्रत्येक राज्य के हर स्कूल के लिये योजना का सोशल ऑडिट कराना भी अनिवार्य किया गया है, जो अब तक सभी राज्यों द्वारा नहीं किया जा रहा था।

बाज़रे को शामिल करने की आवश्यकता:

  • बच्चों में कुपोषण और एनीमिया:
    • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS)-5 के अनुसार, भारत में पिछले कुछ वर्षों में मामूली सुधार के बावजूद स्टंटिंग का उच्च स्तर बना हुआ है।
    • वर्ष 2019-21 में पाँच वर्ष से कम उम्र के 35.5% बच्चे स्टंटिंग से प्रभावित थे और 32.1% बच्चे कम वज़न की समस्या से पीड़ित थे।
  • वैश्विक पोषण रिपोर्ट-2021:
    • वैश्विक पोषण रिपोर्ट (GNR, 2021) के अनुसार, भारत ने एनीमिया और वेस्टिंग पर कोई प्रगति नहीं की है।
      • 5 साल से कम उम्र के 17% से अधिक भारतीय बच्चे चाइल्ड वेस्टिंग से प्रभावित हैं।
      • NFHS 2019-21 के आँकड़ों से पता चलता है कि एनीमिया की सबसे अधिक वृद्धि 6-59 महीने की उम्र के बच्चों में हुई, यह NFHS-4 (2015-16) में 58.6% के स्तर पर था और NFHS-5 में 67.1% पर पहुँच गया।
    • मानव पूंजी सूचकांक:
      • मानव पूंजी सूचकांक में भारत 174 देशों में 116वें स्थान पर है।
        • मानव पूंजी में ज्ञान, कौशल और स्वास्थ्य शामिल होता है, ताकि लोग समाज के उत्पादक सदस्यों के रूप में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकें।
  • संबंधित पहलें:

आगे की राह

  • बच्चों के पोषण से संबंधित इस डेटा को देखते हुए गर्भावस्था से लेकर पाँच वर्ष की आयु तक स्वास्थ्य एवं पोषण कार्यक्रमों के अभिसरण पर ज़ोर देना अनिवार्य है।
  • एक सुनियोजित एवं प्रभावी सामाजिक और व्यवहार परिवर्तन संचार (SBCC) रणनीति का निर्माण करना आवश्यक है, क्योंकि लोगों का व्यवहार, समाज तथा पारिवारिक परंपराओं पर निर्भर करता है।
  • कुपोषण को दूर करने के लिये कार्यक्रमों की प्रभावी निगरानी एवं क्रियान्वयन और राष्ट्रीय विकास एजेंडे में बाल कुपोषण में कमी को प्राथमिकता देना समय की आवश्यकता है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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