अरविंद सुब्रमण्यन के शोधपत्र पर PMEAC का विस्तृत नोट | 21 Jun 2019
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद (Prime Minister’s Economic Advisory Council - PMEAC) ने हाल ही में ‘भारत में GDP आकलन– परिप्रेक्ष्य और तथ्य’ (GDP estimation in India- Perspectives and Facts) नाम से एक विस्तृत नोट जारी किया है जिसमे पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन द्वारा जारी किये गए पेपर में GDP आकलन की पद्धति का खंडन किया गया है।
मुख्य बिंदु :
- अरविंद सुब्रमण्यन ने हाल ही में हार्वर्ड विश्विद्यालय से प्रकाशित अपने शोध-पत्र में यह कहा था कि वर्ष 2011 से 2017 के दौरान भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को 2.5 प्रतिशत अधिक प्रस्तुत किया गया था। उनके अनुसार इस अवधि में भारत की वास्तविक GDP 4.5 प्रतिशत होनी चाहिये थी जबकि आधिकारिक आकड़ों के अनुसार यह दर 7 प्रतिशत थी।
- सुब्रमण्यन के इसी शोध-पत्र का खंडन करते हुए प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद ने इस संदर्भ में एक विस्तृत नोट जारी किया है जिसमे PMEAC ने कहा है कि इस शोध-पात्र में कठोरता का अभाव है।
- अरविंद सुब्रमण्यन ने 17 सूचकों के विश्लेषण के आधार पर ही GDP में कमी होने का दावा दिया था, परंतु PMEAC ने अपने नोट में यह स्पष्ट किया है कि उन्होंने जिन सूचकों का प्रयोग किया है वे अर्थव्यवस्था में सिर्फ उद्योगों का ही प्रतिनिधित्व करते हैं जबकि हमारी अर्थव्यवस्था में GDP को प्रभावित करने वाले कई अन्य कारक जैसे - सेवा क्षेत्र और कृषि क्षेत्र भी हैं।
- PMEAC के अनुसार अरविंद सुब्रमण्यन ने अपने विश्लेषण में कर (Tax) को शामिल नहीं किया है, क्योंकि उनका मानना है कि “कर में हुए बड़े परिवर्तनों ने GDP के साथ उसके संबंध को अस्थायी कर दिया है”, परंतु कर GDP का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं और सुब्रमण्यन जिन बड़े परिवर्तनों (GST) की बात कर रहे हैं वे उनकी विश्लेषण अवधि के बाद हुए हैं।
- परिषद ने अपने नोट का अंत यह कहते हुए किया है कि “भारत में GDP आकलन की पद्धति पूरी तरह से सटीक नहीं है और सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय आर्थिक आँकड़ों की सटीकता को बेहतर बनाने के विविध पहलुओं पर काम कर रहा है।”
प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद
(Prime Minister’s Economic Advisory Council- PMEAC)
- प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद या 'PMEAC' भारत में प्रधानमंत्री को आर्थिक मामलों पर सलाह देने वाली समिति है।
- इसमें एक अध्यक्ष तथा चार सदस्य होते हैं।
- इसके सदस्यों का कार्यकाल प्रधानमंत्री के कार्यकाल के बराबर होता है।
- आमतौर पर प्रधानमंत्री द्वारा शपथ ग्रहण के बाद सलाहकार समिति के सदस्यों की नियुक्ति होती है।
- प्रधानमंत्री द्वारा पद मुक्त होने के साथ ही सलाहकार समिति के सदस्य भी त्यागपत्र दे देते हैं।