13वाँ पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (East Asia Summit) | 17 Nov 2018
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सिंगापुर में संपन्न हुए 13वें पूर्वी-एशिया शिखर सम्मेलन (East Asia Summit) में सदस्य देशों के मध्य बहुपक्षीय सहयोग एवं आर्थिक और सांस्कृतिक गठबंधन को बढ़ाने पर चर्चा की गई। इसके साथ ही उन्होंने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को शांतिपूर्ण, समावेशी एवं समृद्ध बनाने के लिये भारत की प्रतिबद्धता को भी स्पष्ट किया।
मुख्य बिंदु
- भारतीय प्रधानमंत्री मोदी का यह 5वाँ पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन था। 2005 में इसकी शुरुआत से ही भारत इस सम्मेलन में भाग ले रहा है।
- सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने शांतिपूर्ण, खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के निर्माण, समुद्री सहयोग को मज़बूत करने एवं एक संतुलित रीज़नल कांप्रीहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (Regional Comprehensive Economic Partnership-RCEP) पैक्ट के लिये भारत के दृष्टिकोण को स्पष्ट किया।
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS)
- यह एशिया-पैसिफिक क्षेत्र के 18 देशों के नेताओं द्वारा संचालित एक अनूठा मंच है जिसका गठन क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और समृद्धि के उद्देश्य से किया गया था।
- इसे आम क्षेत्रीय चिंता वाले राजनीतिक, सुरक्षा और आर्थिक मुद्दों पर सामरिक वार्ता और सहयोग के लिये एक मंच के रूप में विकसित किया गया है जो क्षेत्रीय निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- East Asia Grouping की अवधारणा पहली बार 1991 में मलेशिया के प्रधानमंत्री महाथिर-बिन-मोहम्मद द्वारा लाई गई थी परंतु इसकी स्थापना 2005 में की गई।
- EAS के सदस्य देशों में आसियान के 10 देशों (इंडोनेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, फिलीपींस, वियतनाम, म्याँमार, कंबोडिया, ब्रुनेई और लाओस) के अलावा ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया और यूएस शामिल हैं।
- EAS के प्रेमवर्क के अधीन क्षेत्रीय सहयोग के ये 6 प्राथमिक क्षेत्र आते हैं- पर्यावरण और ऊर्जा, शिक्षा, वित्त, वैश्विक स्वास्थ्य संबंधित मुद्दे एवं विश्वव्यापी रोग, प्राकृतिक आपदा प्रबंधन तथा आसियान कनेक्टिविटी।
- भारत इन सभी 6 प्राथमिक क्षेत्रों में क्षेत्रीय सहयोग का समर्थन करता है।