पौधे से पोलियो का टीका विकसित | 23 Aug 2017
चर्चा में क्यों ?
इंग्लैंड के जॉन इन्स सेंटर के शोधकर्त्ताओं ने पौधों का उपयोग करते हुए पोलियो का नया टीका विकसित किया है। यह एक ऐसी उपलब्धि है, जिससे विषाणु जनित इस पुरानी बीमारी का दुनिया भर से उन्मूलन किया जा सकेगा।
वायरस जैसे कण (Virus-Like Particles-VLPs)
शोधकर्त्ताओं ने इसके लिये वायरस जैसे कणों का इस्तेमाल किया है जो पोलियो के वायरस की कार्य करते हैं।
- इन्हें पौधों में उगाया जा सकता है। इनकी विशेषता यह है कि ये वायरस जैसे दिखते हैं परंतु असंक्रामक होते हैं।
- वीएलपी को जैविक रूप से इस तरह तैयार किया गया है कि उनमें न्यूक्लिक अम्ल नहीं पाया जाता है। न्यूक्लिक अम्ल वायरस को दोहराने में मदद करता है।
- ये विषाणु के व्यवहार की नकल कर सकते हैं और प्रतिरक्षा तंत्र को पोलियो के संक्रमण के बिना भी जवाब देने के लिये उत्तेजित करते हैं।
कैसे कार्य करती है यह विधि
- इस विधि में पौधों के ऊतकों में वायरस जैसे कणों को उत्पन्न करने वाले जीनों को प्रवेश कराया जाता है। उसके बाद मेज़बान पौधा प्रोटीन के द्वारा बड़ी संख्या में उन कणों को उत्पन्न करने लगता है।
महत्त्व
- यह उपलब्धि पादप विज्ञान, जीव विषाणु विज्ञान एवं संरचनात्मक विषाणु विज्ञान का एक अविश्वश्नीय सहयोग है। पौधों में गैर-रोगजनक वायरस की नकल करने की यह प्रणाली मानव स्वास्थ्य के लिये उभरते खतरों से निपटने के लिये वैक्सीन उत्पादन की क्षमता बढ़ाती है।
पोलियो: एक नज़र
- ‘पोलियो’ या ‘पोलियोमैलिटिस’ एक संक्रामक वायरल बीमारी है जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है और अस्थायी या स्थायी पक्षाघात पैदा कर सकती है।
- यह बीमारी किसी भी व्यक्ति को हो सकती है।
- हालाँकि यह मुख्यतः एक से पाँच वर्ष की आयु के बच्चों को ही प्रभावित करती है, क्योंकि उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता पूरी तरह विकसित नहीं हुई होती है।
- इस बीमारी से बच्चों में विकलांगता पैदा हो जाती है।
- यह बीमारी दूषित जल और दूषित भोजन से फैलती है|
- पोलियो का पहला टीका जोनास सौल्क द्वारा विकसित किया गया था।