मशीनों का ग्रह | 27 Jul 2017
सुपर बुद्धिमत्ता (superintelligence) क्या है?
- यह पूर्वानुमान कि कृत्रिम रूप से बुद्धिमान मशीनें उस कार्य को बखूबी कर सकती हैं जिसे मानव कर सकता है, सैद्धांतिक रूप से निरर्थक प्रतीत होता है|
- दशकों पुराने इस विचार ने सोशल मीडिया पर टेस्ला के सीईओ एलन मस्क और फेसबुक के प्रमुख मार्क जुकरबर्ग के मध्य एक बहस छेड़ दी है| मार्क जुकरबर्ग का कहना है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता में होने वाली त्वरित प्रगति एक अच्छा कदम है क्योंकि इससे कार दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में कमी आने के साथ-साथ कुछ विशेष प्रकार के रोगों की समाप्ति में भी विशेष सहायता प्राप्त होगी|
- दूसरी ओर मस्क का विचार है कि यदि इसे विनियमित नहीं किया गया तो कृत्रिम बुद्धिमत्ता से पृथ्वी पर मशीनों के युग की शुरुआत हो जाएगी|
क्या कल्पित विज्ञान से अलग इस प्रकार के विवाद का कोई अन्य इतिहास भी है?
- ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय के दार्शनिक निक बोस्ट्रोम ने आधे से अधिक दशक यह बताने में ही लगा दिया कि मनुष्यों के पास श्रेष्ठता प्राप्त करने अथवा विलुप्त हो जाने में से किसी एक को चुनने का विकल्प मौजूद है|
- इस सम्बन्ध में श्रेष्ठता में मृत्यु तथा उन लोगों पर विजय पाना शामिल है जो अपने मानसिक जीवन के बड़े हिस्से को कृत्रिम मस्तिष्कों में बदल रहे हैं|
कौन सही है?
- इस प्रश्न का उत्तर इन दोनों के विचारों के कालक्रम पर निर्भर करता है| वर्तमान में कृत्रिम बुद्धिमत्ता से होने वाले खतरे का अर्थ सीधे तौर पर भविष्य में रोज़गारों की सम्भावना को समाप्त कर देना है क्योंकि इस प्रकार के अनुसन्धान की सफलता के पश्चात् बहुत से स्थानों पर मनुष्यों का स्थान स्वयं मशीनें ले लेंगी|
- हालाँकि जैसा की कृत्रिम बुद्धिमत्ता के आशावादी तर्क देते हैं नए रोजगारों का सृजन करने से पुराने रोज़गार निर्थक हो जाएंगे ऐसा कुछ भी नहीं है| यह वास्तविक रूप में मशीनों के युग का उद्भव नहीं है|
- हालाँकि, मस्क का यह तर्क है कि परम्परागत रूप से किसी आपदा अथवा घटना के घटित हो जाने के फलस्वरूप ही नियामक बनाए जाते है| अत: इस बार ऐसी किसी गलती को दोहराने की बजाय इस संबंध में गंभीरता से विचार किया जाना चाहिये|
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता के मामले में, उदासीन नेटवर्कों में त्वरित सुधार का तात्पर्य यह भी हो सकता है कि एक मशीन (जिसमें मनुष्यों को बौना करने की मानसिक क्षमता विद्यमान हो) को विश्व में उसी रूप में मान्यता प्रदान की जानी चाहिये जिस रूप में अभी तक दी जाती रही है|
कृत्रिम बुद्धिमत्ता में शोधों को किस प्रकार विनियमित किया जा सकता है?
- इस संबंध में कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है कि विनियमन कैसे और किस आधार पर किया जाना चाहिए|
- कृत्रिम उदासीन नेटवर्क के गुरुओं में से एक जिओफ्रे हिंटन के अनुसार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता में सुधार की तरफ बढ़ते हुए प्रत्येक कदम को एक चुनौतीपूर्ण समस्या के रूप में देखा जाना चाहिये| साथ ही विकास के साथ-साथ इस समस्या के समाधान के विषय में भी विचार किया जाना आवश्यक है|
- यदि इस संबंध में पूर्व के अनुभवों पर गौर करें तो हम पाएंगे कि इससे पहले भी वैज्ञानिक अनुसन्धानों के कार्य पर प्रतिबंध लगाये गए है| उदाहरण के तौर पर, पूर्व में स्टेम कोशिका की खोज पर मात्र इसलिये प्रतिबंध लगा दिया गया था क्योंकि इससे नवजात जीवन को नुकसान पहुँचता है|
- हालाँकि, अर्द्धचालकों को जोड़ने का प्रयास करने वाले कंप्यूटर वैज्ञानिकों पर इस प्रकार का प्रतिबन्ध अधिरोपित करना इतना आसान काम नहीं है| क्योंकि यह एक ऐसा क्षेत्र है जिससे भविष्य में विकास के बहुत से क्षेत्र संबद्ध हैं|