‘पिपेरिन’ (Piperine) | 28 Jun 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute of Technology-IIT) के वैज्ञानिकों ने काली मिर्च (Black Pepper) में पाए जाने वाले प्राकृतिक अल्कलॉइड ‘पिपेरिन’ (Piperine) पर अध्ययन किया।
प्रमुख बिंदु
- अध्ययन के अनुसार, पिपेरिन का उपयोग फ्रैज़ाइल X- एसोसिएटेड ट्रेमर/एटैक्सिया सिंड्रोम (Fragile X-associated tremor/ataxia syndrome- FXTAS) के उपचार के लिये किया जा सकता है।
- उल्लेखनीय है कि फ्रैज़ाइल X- एसोसिएटेड ट्रेमर/एटैक्सिया सिंड्रोम एक न्यूरोडीजेनेरेटिव डिसऑर्डर (मानव मस्तिष्क में न्यूरॉन को प्रभावित करने वाली बीमारियाँ) है।
- इस विकार के कारण प्रोग्रेसिव सेरेबेलर एटैक्सिया (Progressive Cerebellar Ataxia), कंपकपी, पार्किंसन (Parkinson) और संज्ञानात्मक अवनति (Cognitive Decline) हो सकती है।
- यह विकार एक जीन में उत्परिवर्तन के कारण होता है जिसे फ्रैज़ाइल X मेंटल रेटारडेशन 1 (Fragile X Mental Retardation 1- FMR1) कहा जाता है जो जीन के एक विशिष्ट क्षेत्र में RNA की अधिक मौजूदगी के कारण होता है।
- FXTAS से ग्रसित रोगियों में RNA के दोहराव के कारण इनकी संख्या सामान्यतः 55 की तुलना में 200 तक हो सकती है। RNA के अतिरिक्त दोहराव के कारण ही न्यूरोनल कोशिकाओं (Neuronal Cells) में साइटोटॉक्सिसिटी (Cytotoxicity) नामक एक प्रकार की विषाक्तता उत्पन्न होती है।
‘पिपेरिन’ (Piperine)
- अध्ययन के अनुसार, पिपेरिन संगुणित RNA के संपर्क में आकर न्यूरोनल कोशिकाओं में साइटोटॉक्सिसिटी के स्तर को कम करता है।
- पिपेरिन में एंटी-कार्सिनोजेनिक (Anti-Carcinogenic), एंटीऑक्सिडेंट (Antioxidant), नेफ्रॉन-प्रोटेक्टिव (Nephron-Protective), एंटी-डिप्रेसेंट (Anti-Depressant) और न्यूरोप्रोटेक्टिव (Neuroprotective) आदि गुण पाए जाते हैं। इसलिये इसकी चिकित्सीय क्षमता महत्त्वपूर्ण है।
- हालाँकि प्रयोगों द्वारा इसकी और अधिक पुष्टि किये जाने की आवश्यकता है।