न्यू ईयर सेल | 50% डिस्काउंट | 28 से 31 दिसंबर तक   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

भारतीय अर्थव्यवस्था

महाराष्ट्र में गुलाबी क्रांति

  • 06 Feb 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?


हाल ही में महाराष्ट्र में किसानों और उपभोक्ताओं को लाभ पहुँचाने के लिये उच्च गुणवत्ता वाला पोर्क 'गुलाबी क्रांति' के रूप में विकसित हो रहा है।

  • इसका उद्देश्य किसानों को आजीविका प्रदान करने के अलावा सस्ते माँस तक पहुँच से वंचित आबादी के एक बड़े हिस्से हेतु प्रोटीन की कमी की समस्या के समाधान के लिये आयातित सूअरों का प्रजनन करना है।

कौन करेगा इसका परिचालन?

  • महाराष्ट्र सरकार की नीतियों के तहत समर्थित मुंबई स्थित गार्गी जेनेटिक्स प्राइवेट लिमिटेड उच्च गुणवत्ता वाले पोर्क की आपूर्ति के लिये एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने पर काम कर रही है।
  • यह कंपनी कनाडा से आयातित सूअरों (Pigs) की आपूर्ति करके किसानों के साथ साझेदारी की योजना बना रही है। इनका प्रजनन उच्च गुणवत्ता वाले माँस के उत्पादन के लिये स्वच्छ वातावरण में किया जायेगा।
  • गार्गी जेनेटिक्स आयातित नस्लों के स्वच्छ पर्यावरण में उत्पादित पोर्क की आपूर्ति के माध्यम से इस चिंता का समाधान करने की योजना बना रहा है, साथ ही एक शिक्षा अभियान शुरू करेगा।
  • कंपनी की योजना है कि पूरी तरह से अंतर्राष्ट्रीय मानक पर खरा उतरने वाले पिग्लेट (baby pig) का प्रजनन किया जाये जिससे पशुपालन, खाद्य और चिकित्सा उद्योग में सहायता मिलेगी।
  • पोर्क उत्पादन के लिये यह एक व्यापक मूल्य श्रृंखला का निर्माण करेगा, साथ ही चिकित्सा और अनुसंधान उद्योग,अंग प्रत्यारोपण एवं इंसुलिन के लिये उच्च गुणवत्ता वाले जानवरों की आपूर्ति भी करेगा।

वैश्विक संदर्भ में भारत की स्थिति

  • भारतीय पोर्क लगभग 250 रुपए प्रति किग्रा. की दर से बेचा जाता है जबकि अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता वाले संसाधित पोर्क की कीमत 1,200- 3,000 रुपए प्रति किग्रा. है।
  • कीमत में इतना ज़्यादा अंतर का सबसे बड़ा कारण भारत के पोर्क का असुरक्षित होने के साथ ही गुणवत्ता युक्त न होना है।
  • किसानों की क्षमता बढ़ाने, उपभोक्ताओं की सुरक्षित और स्वस्थ माँस की मांग को पूरा करने तथा स्वास्थ्य उद्योग विकसित करने के लिए स्वस्थ, सुरक्षित जानवरों की आवश्यकता है।

अन्य महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • ‘गुलाबी क्रांति’ योजना का उद्देश्य ’फार्म टू मार्केट’ अर्थात पोर्क की बाज़ार तक पहुँच में आने वाली समस्या का समाधान करना है।
  • स्वस्थ पोर्क उत्पादों को बढ़ावा देने के लिये प्रमाणित दुकानों/भोजनालयों की एक फ्रेंचाइजी श्रृंखला शुरू करने की योजना बनाई जा रही है।
  • पोर्क और इसके लाभों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये सार्वजनिक शिक्षा चैनलों का भी उपयोग किया जाएगा।
  • पोर्क की सार्वजनिक छवि को बदलने और उपभोक्ता की रसोई में गुणवत्ता वाले उत्पाद लाने का प्रयास किया जाएगा
  • इस पहल को 2019 की दूसरी तिमाही में आधिकारिक तौर पर शुरू किया जाना सुनिश्चित किया गया है। कंपनी अपने पहले चरण में इक्विटी फंडिंग से 2 मिलियन डॉलर की राशि जुटाने को प्रयासरत है।
  • कंपनी द्वारा परियोजना शुरू करने के लिये महाराष्ट्र के पालघर ज़िले के वाडा में पहले ही ज़मीन का अधिग्रहण कर लिया गया था।

स्रोत – द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2