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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सजावटी मछलीपालन परियोजना

  • 10 Mar 2017
  • 5 min read

सन्दर्भ

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के पशुपालन, डेयरी तथा मछलीपालन विभाग सजावटी मछलीपालन (Ornamental Fisheries) की क्षमता और व्यापकता को महसूस करते हुए 61.89 करोड रूपये की लागत से पायलट आधार पर सजावटी मछलीपालन परियोजना लांच करेगा। इस पायलट परियोजना को लागू करने के काम में मछलीपालन व्यवसाय और निर्यात में लगे लोगों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए सजावटी मछलीपालन के सशक्त और समग्र विकास का वातावरण बनाना है। 

प्रमुख बिंदु

  • क्लस्टर आधारित खेती (cluster-based farming) तथा प्राकृतिक संसाधन ; आवास - अंतर्देशीय और समुद्री दोनों (both inland and marine) की पुर्नस्थापना और हितधारकों में जागरूकता पैदा करके सजावटी मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए विशेष क्षेत्रों की पहचान की गई है |
  • पायलट परियोजना लागू करने के उद्देश्य से क्षमता वाले 8 राज्य-असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल-चिन्हित किए गए हैं।
  • सजावटी मछलीपालन की पायलट परियोजना राष्ट्रीय मछली पालन विकास बोर्ड (एनएफडीबी) राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के मछलीपालन विभागों के माध्यम से लागू करेगा ।
  • उल्लेखनीय है कि सजावटी मछलियों की पायलट परियोजना के अंतर्गत धन वितरण व्यवस्था सीएसएस नीली क्रांति, मछलियों के एकीकृत विकास और प्रबंधन के धन वितरण व्यवस्था के अनुरूप हैं।
  • पायलट परियोजना लागू करने में केन्द्र सरकार के दायित्वों को पूरा करने के लिए वित्तीय संसाधन भारत सरकार की अन्य योजनाओं की निधि से जुटाए जाएँगे।
  • विदित हो कि प्रस्तावित पायलट परियोजना को लागू करने के लिए कम से कम 1 वर्ष की अवधि आवश्यक है।
  • ध्यातव्य है कि क्लस्टर आधार पर सजावटी मछलीपालन को प्रोत्साहित करना; सजावटी मछलीपालन और निर्यात से आय को सुदृढ़ बनाना; ग्रामीण और ग्रामीण क्षेत्र के बाहर की आबादी के लिए रोजगार अवसरों का सृजन करना; सजावटी मछलीपालन को फलता-फूलता व्यवसाय बनाने के लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी और नवाचार का उपयोग इत्यादि पायलट परियोजना की प्रमुख विशेषताऐं हैं |

पायलट परियोजना की गतिविधियों को चार प्रमुख समूहों में रखा गया है 
1. सजावटी मछली उत्पादन से संबधित गतिविधियां यानी घर के पीछे के हिस्से में मछलीपालन ईकाइयां स्थापित करना, मझोले आकार की ईकाइयां बनाना, एकीकृत प्रजनन और उत्पादन इकाइयाँ लगाना 
2. एक्वेरियम फैब्रिकेशन, व्यापार तथा मार्केटिंग से संबंधित गतिविधियाँ
3. सजावटी मछलियों के प्रोत्साहन के लिए गतिविधियाँ तथा 
4. कौशल विकास और क्षमता सृजन से जुड़ी गतिविधियाँ। 

सजावटी मछलीपालन

  • मछली पालन और जल कृषि क्षेत्र मुख्य रूप से परोसी जाने वाली (Table fish) मछलियों के उत्पादन पर बल देता है। परिणामस्वरूप सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में मछली के उत्पादन और उत्पादकता बढाने के लिए धन लगाया जाता है।
  • सजावटी मछलीपालन परंपरागत मछलीपालन क्षेत्र का एक उप क्षेत्र है जिसमें प्रजनन और सामान्य जल और समुद्री जल में पालन सुविधा होती है। 
  • यद्यपि सजावटी मछलीपालन खाद्य और पोष्टिकता सुरक्षा में प्रत्यक्ष रूप से कोई योगदान नहीं करता लेकिन ग्रामीण क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्र से बाहर की आबादी के लिए विशेषकर महिलाओं और बेरोजगार युवाओं को अंशकालिक गतिविधियों के लिए आजीविका और आय प्रदान करता है।
  • अपने देश के विभिन्न हिस्सों में समुद्री सजावटी मछलियों की लगभग 400 प्रजातियां हैं और सामान्य जल में सजावटी मछलियों की 375 प्रजातियां हैं।

भारत में सजावटी मछली पालन उद्योग आकार में छोटा है लेकिन विकास की संभावनाओं से भरपूर है। इसके प्रमुख आकर्षणों में कम समय में कम उत्पादन लागत और अधिक प्राप्ति तथा घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में बढती मांग है।

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