भारतीय राजव्यवस्था
EVM-VVPAT मतदान की बराबरी हेतु याचिका
- 08 Jan 2019
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को एक याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया है जिसमें कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (Electronic Voting Machines-EVM) और वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) इकाइयों से गिने गए वोट, प्रत्येक विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कम-से-कम 30% मतदान केंद्रों पर सत्यापित किये जाएँ।
प्रमुख बिंदु
- भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली एक पीठ ने आयोग को यह आदेश दिया है।
- यह याचिका पूर्व आईएएस अधिकारी एम.जी. देवसहायम, पूर्व राजनयिक के.पी. फेबियन और सेवानिवृत्त बैंकर थॉमस फ्रेंको राजेंद्र देव द्वारा संयुक्त रूप से दायर की गई थी।
क्या कहती है याचिका?
- याचिका में कहा गया है कि आयोग ने हाल के विधानसभा चुनावों में क्रॉस-वेरिफिकेशन अर्थात् वोटिंग मशीनों और वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) इकाइयों के माध्यम से मतदान का सत्यापन बहुत ही मामूली तरीके से किया था।
- क्रॉस-वेरिफिकेशन के लिये चुने गए मतदान केंद्रों की संख्या बहुत ही कम (प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में 1% से कम मतदान केंद्र) है।
- याचिका में कहा गया है कि यह कृत्य स्पष्ट रूप से मनमाना, तर्कहीन, अनुचित और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।
- चुनाव के मूल सिद्धांतों के व्यावहारिक रूप से भी स्वतंत्र और निष्पक्ष होने की ज़रूरत है।
- याचिका में कहा गया है कि ईवीएम की प्रक्रिया में किसी भी तरह की खराबी या पक्षपात का पता लगाने और उससे निपटने के लिये प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के कम-से-कम 30% मतदान केंद्रों को क्रॉस-वेरिफिकेशन के लिये चुना जाना चाहिये।
2013 का आदेश
- याचिकाकर्त्ताओं के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में सुब्रमण्यम स्वामी बनाम चुनाव आयोग मामले में अपने फैसले में कहा था कि यह ज़रूरी है कि ईवीएम के माध्यम से होने वाले चुनावों में वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल प्रणाली को लागू करना चाहिये ताकि मतदाता को संतुष्टि मिल सके।
- अदालत के फैसले और चुनाव प्रक्रिया में मतदाता का विश्वास बनाए रखने तथा चुनाव में पारदर्शिता के लिये ईवीएम व वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) की क्रॉस-वेरिफिकेशन प्रणाली की शुरुआत की गई थी।