गैर-संचारी रोगों के निदान हेतु पेन-प्लस रणनीति | 26 Aug 2022
प्रिलिम्स के लिये:पेन-प्लस रणनीति, 'विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष' NPCDCS, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, ASHA। मेन्स के लिये:गैर-संचारी रोग के प्रभाव। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अफ्रीका ने गंभीर गैर-संचारी रोगों (NCD) के निदान, उपचार और देखभाल तक पहुँच को बढ़ावा देने के लिये पेन-प्लस रणनीति (PEN-PLUS Strategy) नामक नई रणनीति अपनाई है।
पेन-प्लस रणनीति
- यह प्रथम स्तर की संदर्भित स्वास्थ्य सुविधाओं में गंभीर गैर-संचारी रोगों को संबोधित करने के लिये क्षेत्रीय रणनीति है।
- रणनीति का उद्देश्य पुराने और गंभीर NCDs रोगियों के उपचारखभाल में पहुँच के अंतर को समाप्त करना है।
- यह देशों से आग्रह करता है कि पुरानी और गंभीर गैर-संचारी रोगों से निपटने के लिये मानकीकृत कार्यक्रम स्थापित करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ज़िला अस्पतालों में आवश्यक दवाएँ, प्रौद्योगिकियाँ तथा निदान उपलब्ध एवं पहुँच योग्य हैं।
गैर-संचारी रोग:
- परिचय:
- गैर-संचारी रोग (Non-Communicable Diseases- NCD) वह चिकित्सीय स्थितियाँ या रोग हैं जो संक्रामक कारकों के कारण नहीं फैलती हैं।
- गैर-संचारी रोगों को दीर्घकालिक बीमारियों के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि ये लंबे समय तक बनी रहते हैं तथा आनुवंशिक, शारीरिक, पर्यावरण और व्यवहार कारकों के संयोजन का परिणाम होती है।
- ये रोग वे पुरानी स्थितियाँ हैं जो बच्चों, किशोरों और वयस्कों में उच्च स्तर की विकलांगता एवं मृत्यु का कारण बनती हैं यदि उन्हें अनुपचारित छोड़ दिया जाता है।
- NCD में हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह, अस्थमा आदि शामिल हैं।
- विश्व स्तर पर NCD, रुग्णता और मृत्यु का मुख्य कारण हैं।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, ये वैश्विक स्तर पर 71% मौतों का कारण बनते हैं।
- अफ्रीकी क्षेत्र में NCD के कारण मृत्यु दर का अनुपात 27-88% के बीच है।
- गैर-संचारी रोग (Non-Communicable Diseases- NCD) वह चिकित्सीय स्थितियाँ या रोग हैं जो संक्रामक कारकों के कारण नहीं फैलती हैं।
भारत में गैर-संचारी रोगों (NCDs) की स्थिति:
- परिचय:
- भारत मेंं प्रत्येक वर्ष लगभग 58 मिलियन लोगों की (WHO रिपोर्ट, 2015) NCDs (हृदय और फेफड़ों के रोग स्ट्रोक कैंसर और मधुमेह) से मृत्यु हो जाती है या दूसरे शब्दों में 4 में से 1 भारतीयों को 70 वर्ष की आयु तक पहुँचने से पूर्व ही NCDs से मौत की आशंका होती है।
- इसके अलावा यह पाया गया है कि NCDs की वजह से वर्ष 1990 में 'विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष' (DALYs) की अवधि 30% बढ़कर वर्ष 2016 में 55% हो गई है और इसके कारण होने वाली मौतों के अनुपात में भी वृद्धि हुई है। NCDs (सभी प्रकार की मौतों के लिये) वर्ष 1990 में 37% से बढ़कर वर्ष 2016 में 61% हो गई थी।
- चार प्रमुख NDCs हृदय रोग (CVDs), कैंसर, पुराने श्वसन रोग (CRDs) और मधुमेह हैं।
- भारत मेंं प्रत्येक वर्ष लगभग 58 मिलियन लोगों की (WHO रिपोर्ट, 2015) NCDs (हृदय और फेफड़ों के रोग स्ट्रोक कैंसर और मधुमेह) से मृत्यु हो जाती है या दूसरे शब्दों में 4 में से 1 भारतीयों को 70 वर्ष की आयु तक पहुँचने से पूर्व ही NCDs से मौत की आशंका होती है।
- कारण:
- शारीरिक निष्क्रियता, अस्वास्थ्यकर आहार (फलों, सब्जियों और साबुत अनाज का कम तथा उच्च वसा युक्त खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन ), तंबाकू और शराब के सेवन NCDs के प्रमुख कारक हैं।
- उच्च रक्तचाप,
- रक्त में शर्करा की बढ़ी हुई मात्रा (मधुमेह का प्रमुख कारण),
- असामान्य रूप से रक्त में बढ़ी हुई वसा की मात्रा (डिस्लिपिडेमिया),
- इसके अलावा, वायु प्रदूषण जो मुख्य रूप से खाना पकाने और घरों को गर्म रखने के लिये ठोस ईंधन जलाने के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं, NCDs के प्रमुख कारक हैं ।
- शारीरिक निष्क्रियता, अस्वास्थ्यकर आहार (फलों, सब्जियों और साबुत अनाज का कम तथा उच्च वसा युक्त खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन ), तंबाकू और शराब के सेवन NCDs के प्रमुख कारक हैं।
- पहल:
- कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक की रोकथाम और नियंत्रण के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPCDCS):
- जोखिम कारकों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से, बुनियादी ढाँचे (जैसे NCD क्लीनिक, कार्डियक केयर यूनिट) स्थापित करना और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल स्तरों पर त्वरित जाँच करना आदि शामिल है।
- NCDs की रोकथाम और नियंत्रण हेतु वर्ष 2013-2020 की अवधि के लिये WHO वैश्विक कार्य योजना का कार्यान्वयन।
- विश्व का प्रथम देश है जिसने राष्ट्रीय कार्य योजना को विशिष्ट राष्ट्रीय लक्ष्यों और संकेतकों के साथ, वर्ष 2025 तक NCD से वैश्विक आकस्मिक मृत्यु की संख्या को 25% तक कम करने के लक्ष्य के साथ अपनाया है।
- उप घटक:
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के साथ NPCDCS के एकीकरण के परिणामस्वरूप अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्त्ताओं - विशेषकर ANM और मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता (ASHA) के रूप में बुनियादी ढाँचे और मानव संसाधनों में वृद्धि हुई है।
- क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज़ (COPD) और क्रॉनिक किडनी डिजीज़ (CKD) की रोकथाम तथा प्रबंधन और मधुमेह एवं टीबी जैसी सह-बीमारियों के बेहतर प्रबंधन पर भी NPCDCS कार्यक्रम के तहत विचार किया गया।
- आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (आयुष) का NPCDCS के साथ एकीकरण सामान्य जनसंख्या के बीच स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने की दिशा में एक और कदम है।
- NCDs की रोकथाम और नियंत्रण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये सोशल मीडिया के माध्यम से स्वास्थ्य प्रचार किया जा रहा है,
- नए अनुप्रयोगों में मोबाइल प्रौद्योगिकी का उपयोग कर NCDs के रोकथाम के लिये जागरूकता बढ़ाई जा रही है, जैसे कि मधुमेह नियंत्रण के लिये (mDiabetes ऐप), तंबाकू उत्पादों के सेवन को छोड़ने के लिये (mCessation ऐप) और मानसिक तनाव के सहायक के तौर पर (No more tension ऐप)।
- NCDs की रोकथाम और नियंत्रण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये सोशल मीडिया के माध्यम से स्वास्थ्य प्रचार किया जा रहा है,
- कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक की रोकथाम और नियंत्रण के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPCDCS):