भुगतान बोर्ड की सहायता हेतु एक मौद्रिक नीति समिति के गठन की आशा | 02 Feb 2017
पृष्ठभूमि
पाँच राज्यों में चुनाव से ठीक पहले 1 फरवरी, 2017 को वित्त मंत्री द्वारा पेश किये गए बजट में तकरीबन 92 सालों बाद आम बजट में रेल बजट को समाहित किया गया है| इस बार का बजट इसलिये भी खास है क्योंकि भारतीय बजट इतिहास में पहली बार योजनागत एवं गैर-योजनागत व्यय के मध्य अंतर को खत्म कर दिया गया है| हालाँकि, इस दौरान निम्न मुद्दों पर भी चर्चा की गई|
प्रमुख बिंदु
- ध्यातव्य है कि वित्त मंत्री द्वारा बैंक नियामकों (Banking Regulators) के संबंध में भुगतान नियामक बोर्ड (Payments Regulatory Board) की स्थापना के विषय में चिंता प्रकट की गई| बजट में प्रस्तावित प्रावधानों के अनुसार, इन नियामकों को भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India) से पृथक् नहीं किया जा सकता है|
- 1 फरवरी को संसद के पटल पर प्रस्तुत किये गए वित्त विधेयक (Finance Bill) के अनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक के अधीन एक 6 सदस्यीय भुगतान नियामक बोर्ड (जिसमें 3 सदस्य आरबीआई से होंगे) की स्थापना की जाएगी|
- इस बोर्ड के अध्यक्ष आरबीआई के गवर्नर तथा भुगतान एवं प्रबंधन विभाग के प्रभारी आरबीआई के डिप्टी गवर्नर होंगे| इसके अतिरिक्त, आरबीआई द्वारा एक अन्य तीसरे सदस्य को भी मनोनीत किया जाएगा|
- इसके अतिरिक्त, बाकी के तीन सदस्यों को केंद्र सरकार द्वारा मनोनीत किया जाएगा|
मौद्रिक नीति समिति बोर्ड
- इसी तरह मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee - MPC) का गठन भी एक 6 सदस्यीय समिति के रूप जाएगा| इस समिति के अंतर्गत 3 सदस्यों को आरबीआई द्वारा नियुक्त किया जाएगा तथा इसकी अध्यक्षता भी आरबीआई के गवर्नर द्वारा की जाएगी|
- ध्यातव्य है कि केंद्र सरकार द्वारा डिजिटल भुगतान के संबंध में वित्त सचिव रतन वाताल की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था| इस समिति द्वारा पेश की गई सिफारिशों के आधार पर ही एक स्वतंत्र निकाय की स्थापना की जा रही है|
- इस समिति के अंतर्गत आरबीआई का प्रतिनिधित्व पूर्व डिप्टी गवर्नर एच. आर. खान तथा कार्यकारी निदेशक चन्दन सिन्हा द्वारा किया गया|
- गौरतलब है कि डिजिटल भुगतान के संबंध में गठित इस समिति के द्वारा भुगतान के विषय में कुछ संरचनात्मक सुधारों के साथ-साथ भुगतान एवं निपटान व्यवस्था अधिनियम, 2007 (Payment and Settlement Systems Act) में भी संशोधन किये जाने की सिफारिश की गई|
- इस समिति के द्वारा भुगतान एवं निपटान व्यवस्था के पर्यवेक्षण एवं नियमन (Regulation and Supervision of Payment and Settlement System) के स्थान पर आरबीआई के अधीन एक भुगतान नियामक बोर्ड की स्थापना का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया|
- वित्त मंत्री के द्वारा बजट प्रस्तुत करते समय दिये गए अपने भाषण में कहा गया कि केंद्र सरकार द्वारा भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 की समीक्षा की जाएगी तथा उससे प्राप्त जानकारी के आधार पर उचित संशोधन किये जाएंगे|
वाताल समिति
- ध्यातव्य है कि वाताल समिति द्वारा व्यापक अध्ययन के पश्चात् की गई सिफारिशों के अंतर्गत भुगतान एवं निपटान अधिनियम के साथ-साथ भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम सहित अन्य कई अधिनियमों एवं नियामक तंत्रों में भी परिवर्तन करने की सिफारिश की गई है|
- भुगतान समाधान फर्म आईटीज़ेड कैश (Itz Cash) के प्रबंध निदेशक एवं भारतीय भुगतान परिषद् के अध्यक्ष श्री नवीन सूर्या (ये वाताल समिति के सदस्य भी थे) के अनुसार, इस प्रकार के किसी भी बोर्ड की स्थापना संबंधी कदम डिजिटल भुगतान जैसे विशाल क्षेत्र के प्रसार की दिशा में एक प्रभावशाली कदम साबित होगा|
- वाताल समिति द्वारा भारत में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा प्रदान करने हेतु एक मध्यावधि रोडमैप (Medium-Term Roadmap) प्रस्तुत किया गया है, इसका मुख्य उद्देश्य आगामी तीन वर्षों में देश में डिजिटल भुगतान को वर्तमान के निजी उपभोग (Personal Consumption) के 5% के स्तर से बढ़ाकर सभी प्रकार के भुगतानों में इसकी भागीदारी दर को 20 फीसदी के स्तर पर पहुँचाना है|
- गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा 8 नवम्बर को लिये गए विमुद्रीकरण के फैसले से डिजिटल भुगतान को बहुत अधिक प्रोत्साहन प्राप्त हुआ है| पिछले 2 महीने में देश की जनता ने नकद भुगतान की अपेक्षा डिजिटल भुगतान की ओर विशेष उत्साह प्रकट किया है| यही कारण है कि केंद्र सरकार द्वारा इस दिशा में विशेष ध्यान देते हुए इस वर्ष के बजट में डिजिटल भुगतान पर अधिक बल दिया गया है|
- सरकार द्वारा डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने हेतु नीतिगत उपायों के संबंध में लिये गए उपरोक्त फैसलों का स्वागत करते हुए डिजिटल भुगतान फर्म फ्री रिचार्ज (FreeCharge) द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि भारत को एक कैशलेस अर्थव्यवस्था के रूप में तब्दील करने की दिशा में डिजिटल भुगतान हेतु शामिल किये गए फिन्तेक उपकरणों (Fintech Equipment) के उपयोग संबंधी पहलों के साथ-साथ व्यापारियों द्वारा भुगतान हेतु आधार कार्ड के उपयोग किये जाने तथा 3 लाख से अधिक के नकद लेन-देन पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय एक बहुत ही प्रशंसनीय एवं प्रभावशाली कदम है|